केरल: पाप से मुक्ति के लिए 12 ब्राह्मणों के पैर धुलने की रस्म पर हाईकोर्ट सख्त, कोचीन देवस्वम बोर्ड हलफनामा जमा करेगा
By विशाल कुमार | Published: February 9, 2022 09:55 AM2022-02-09T09:55:11+5:302022-02-09T09:56:42+5:30
कोचीन देवस्वम बोर्ड के स्थायी वकील ने इस पर एक हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा और अदालत ने इसे मंजूर कर लिया। कोर्ट इस मामले पर 25 फरवरी को फिर से विचार करेगी।
कोच्चि:केरल के त्रिपुनिथुरा स्थित श्री पूर्णात्रयीसा मंदिर में 'पंथरंडु नमस्कारम' के तहत श्रद्धालुओं को अपने पापों से छुटकारा पाने के लिए 12 ब्राह्मणों के पैर धोने की रिपोर्ट पर केरल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने कोचिन देवस्वम बोर्ड के प्रबंधन के तहत संचालित मंदिर में इस प्रथा पर स्वत: संज्ञान लिया है।
सुनवाई के दौरान, कोचीन देवस्वम बोर्ड के स्थायी वकील ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार श्रद्धालुओं से ब्राह्मणों के पैर नहीं धुलवाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि 'पंथरंडु नमस्कारम' के तहत थंत्री (मुख्य पुजारी) 12 ब्राह्मणों के पैर धुलते हैं।
कोचीन देवस्वम बोर्ड के स्थायी वकील ने इस पर एक हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा और अदालत ने इसे मंजूर कर लिया। कोर्ट इस मामले पर 25 फरवरी को फिर से विचार करेगी।
बता दें कि, रिपोर्ट सामने आने के बाद पिछले सप्ताह देवस्वम मंत्री के राधाकृष्णन ने कोचीन देवस्वम बोर्ड (सीडीबी) के अध्यक्ष वी. नंदकुमार से त्रिपुनिथुरा श्री पूर्णात्रयीसा मंदिर में पैर धोने की रस्म पर रिपोर्ट मांगी थी।
राधाकृष्णन ने कहा था कि पुनर्जागरण की अपनी विरासत के लिए प्रसिद्ध केरल को बदनाम करने वाले ऐसे अनुष्ठानों को खत्म करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। अन्य देवस्वम बोर्डों के तहत भी मंदिरों में प्रचलित किसी भी सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य समान मध्ययुगीन अनुष्ठानों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।