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सबरीमाला मंदिरः पुलिस सुरक्षा के बावजूद दर्शन नहीं कर सकीं दोनों महिला पत्रकार, विरोध के बाद वापसी

By आदित्य द्विवेदी | Updated: October 19, 2018 11:04 IST

Sabarimala Protest Updates, Highlights, status in Hindi:मंदिर के कपाट खुलने के बाद से अभी तक रजोधर्म वाली महिला प्रवेश नहीं कर सकी है। पत्रकार कविता जक्कल और रेशमा ने मंदिर में प्रवेश की घोषणा की है।

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तिरुवनंतपुरम, 19 अक्टूबरः सबरीमाला मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन के बीच भगवान अयप्पा मंदिर में दर्शन की घोषणा करने वाली महिला पत्रकारों को शुक्रवार को भी निराश लौटना पड़ा। पुलिस सुरक्षा के बावजूद वो सबरीमाला मंदिर नहीं पहुंच सकी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महिला पत्रकार कविता जक्कल और रेशमा को सिर पर हेलमेट पहनाकर पुलिस सुरक्षा में मंदिर ले जाया जा रहा था। मंदिर के कपाट खुलने के बाद से अभी तक रजोधर्म वाली कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकी है। गुरुवार को भारी विरोध प्रदर्शन के बीच कविता को बिना दर्शन किए वापस लौटना पड़ा था।

केरल के इंस्पेक्टर जनरल ने कहा, 'हमने महिला महिलाओं से हालात के बारे में बताया जिसके बाद उन्होंने वापस लौटने का फैसला किया है। यह उनका फैसला है।'

महिला की उम्र लगभग 25 वर्ष है और अगर वह सबरीमला पहाड़ी पर चढ़ जाती है तो वह उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सबरीमला के भगवान अयप्पा मंदिर में जाने वाली माहवारी उम्र की पहली महिला होगी। उच्चतम न्यायालय ने 28 सितंबर के अपने फैसले में मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी थी।

विभिन्न हिंदू संगठनों की ओर से केरल में आहूत बंद गुरुवार की सुबह शुरू हुआ। बंद के कारण बसें और ऑटोरिक्शा सड़कों से नदारद रहे। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पत्तनमतिट्टा जिले में स्थित सबरीमला पहाड़ी पर जाने के तीनों मुख्य रास्तों पंबा, निलाक्कल और एरुमेली सहित विभिन्न जगहों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

इससे पहले सबरीमला मुद्दे पर विरोध के बीच भगवान अयप्पा मंदिर में दर्शन करने जाने की घोषणा करने वाली केरल की एक महिला ने सोमवार को शिकायत की कि उसे सोशल मीडिया पर धमकियां दी जा रही हैं और अपशब्द कहे जा रहे हैं। पहाड़ी स्थित सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश से उत्साहित कन्नूर जिला निवासी 32 वर्षीय महिला रेश्मा निशांत ने फेसबुक पर पोस्ट करके बताया कि वह मंदिर जाएगी।

विगत 28 सितम्बर को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने मासिक धर्म वाली आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर प्रवेश से रोक हटा दी थी।

रेश्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उसकी जैसी महिला श्रद्धालुओं को पहाड़ी मंदिर जाने की इजाजत दी है और उम्मीद है कि राज्य सरकार और पुलिस उसे आवश्यक संरक्षण प्रदान करेगी। उसने कहा कि उसके साथ तीर्थयात्रा पर कुछ अन्य महिलाएं भी रहेंगी।

समाचार एजेंसी ANI और PTI Bhasha से इनपुट्स लेकर

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