केरल हाईकोर्ट ने कहा, 'सहमति से सेक्स के बाद अगर शादी नहीं हो पाती है तो उसे रेप नहीं माना जाएगा'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 9, 2022 02:34 PM2022-07-09T14:34:27+5:302022-07-09T14:41:55+5:30
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि अगर दो वयस्क पार्टनर स्वेच्छा से यौन संबंध बनाते हैं और वो अगर उसके बाद संबंध शादी के रिश्ते में नहीं बदल पाते हैं तो उस सूरत में रेप का मामला नहीं बनता है।
तिरुवनंतपुरम:रेप और आपसी सहमति से यौन संबंध के विवादित विषय में केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि अगर दो वयस्कों के द्वारा स्वेच्छा से यौन संबंध स्थापित किया जाता है और बाद में वो संबंध विवाह जैसे रिश्ते में नहीं बदल पाते हैं तो उसमें रेप का केस नहीं बनता है।
कोर्ट ने कहा कि अगर वयस्क पार्टनर ने यौन संबंध बनाए और वो रिश्ता विफल हो जाता है, संबंध शादी के लिए रिश्ते में नहीं बदल पाते हैं तो उस सूरत में रेप का मामला बनता ही नहीं हैं।
केरल हाईकोर्ट ने बीते शुक्रवार को इसी तरह के एक विवादित मामले में आरोपी और केंद्र सरकार के स्थायी वकील को जमानत देते हुए कहा कि दो इच्छुक वयस्कों के बीच यौन संबंध तब तक बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएगा जब तक कि यौन उत्पीड़न या गलत बयानी के आधार पर यौन संबंध बनाने के लिए सहमति नहीं प्राप्त की गई हो।
जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने यह आदेश आयकर विभाग के स्थायी वकील नवनीत नाथ के मामले दिया, जिन्हें केरल पुलिस ने 21 जून को कोल्लम की एक महिला की शिकायत पर गिरफ्तार किया था। महिला ने पुलिस में आरोप लगाया गया था कि आरोपी नवनीत ने उसे शादी का झूठा वादा देकर रेप किया है।
जस्टिस थॉमस ने जमानत के अपने आदेश में कहा कि भले ही दो वयस्क शादी की इच्छा के आधार पर यौन संबंध स्थापित करते हैं और किसी कारण शादी नहीं हो पाती है तो उस मामले में रेप का केस नहीं बनता है। दो वयस्कों के बीच आपसी रजामंदी बनने वाले यौन संबंध आईपीसी की धारा 376 के दायरे में आने वाले रेप की श्रेणी में नहीं आएगा, जब तक कि यौन संबंध के लिए सहमति किसी कपटपूर्ण कार्य या गलत बयानी के कारण न की गई हो। यौन संबंध स्थापित होने के बाद शादी करने से इनकार या या शादी के रिश्ते का न हो पाना, ऐसा कारण नहीं है, जिसे रेप समझा जाए।"
इसके साथ ही अदालत ने कहा कि वयस्क पुरुष और महिला के बीच यौन संबंध केवल उसी परिस्थिति में रेप के दायरे में आएंगे, जब वह बिना इच्छा के या सहमति या फिर बल या धोखाधड़ी से हासिल की गई हो।
जज थॉमस ने आदेश में कहा, "शादी करने के वादे के बदले स्थापित हुए सहमति वाले यौन संबंध केवल तभी बलात्कार की श्रेणी में आएगी जब बना हुआ यौन संबंध किसी विकृत या धोखाधड़ी की मानसिकता से स्थापित किया गया हो।”
इससे साथ ही जस्टिस थॉमस ने आरोपी नवनीत नाथ को कुछ शर्तों के आधार जमानत देते हुए कहा कि भले ही उसके कथित अपराध गंभीर प्रकृति के हैं, याचिकाकर्ता का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और न ही जमानत मिलने पर उसके द्वारा कोर्ट से भागने की की संभावना है। इसलिए आरोपी को जमानत दी जाती है।
इनकम टैक्स विभाग के वकील नवनीत नाथ के खिलाफ आरोप था कि उनका अपनी महिला सहयोगी वकील के साथ कथित तौर पर चार साल से अधिक समय तक शारीरिक रिश्ता रहा, लेकिन अंत में उन्होंने महिला वकील की जगह किसी दूसरी महिला से शादी करने का फैसला किया।
अभियोजन पक्ष ने इस मामले में आरोप लगाया कि नवनीत नाथ ने पीड़िता से शादी करने का वादा करके इन चार सालों में कई बार अलग-अलग जगहों पर उसके साथ रेप किया लेकिन बाद में किसी और से शादी करने का फैसला किया।
जब पीड़िता को इस बात की जानकारी हुई तो उसने आरोपी नवनीत नाथ की होने वाली पत्नी से एक होटल में मुलाकात की और उसके बाद कथित तौर पर आत्महत्या की कोशिश की। मामला जब पुलिस के पास पहुंचा तो पीड़िता ने सारी कहानी पुलिस को सुनाई।
जिसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए बीते महीने नवनीत नाथ को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद नवनीत नाथ ने लोअर कोर्ट में जमानत की अर्जी दी, जो खारिज हो गई। उसके बाद वो जमानत के लिए केरल हाईकोर्ट पहुंचे थे।