केरल उच्च न्यायालय ने पेड़ काटे जाने के मामले की जांच एसआईटी से कराने का आदेश दिया
By भाषा | Published: September 1, 2021 05:30 PM2021-09-01T17:30:40+5:302021-09-01T17:30:40+5:30
केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि लाभ के लिए वन क्षेत्रों से पेड़ों को काटना और हटाना संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। साथ ही अदालत ने इस मामले की जांच सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराए जाने का आदेश दिया। अदालत ने एसआईटी को राज्य और जनता के हितों की रक्षा के लिए जल्द से जल्द अपनी जांच पूरी करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस तरह की घटना दोहराई नहीं जाए। उच्च न्यायालय ने कहा कि वन क्षेत्रों के साथ-साथ सरकारी और पट्टे वाली भूमि से मूल्यवान सार्वजनिक संपत्ति (पेड़ों) को हटाना एक गंभीर मामला है और ऐसे मामलों में किसी भी तरह की नरमी या ढिलाई नहीं बरती जा सकती। अदालत ने कहा, '' ऐसी स्थिति होने पर, हमारे मन में कोई संदेह नहीं है कि राज्य को इस मामले को और अधिक गंभीरता से लेना होगा। एसआईटी को वन क्षेत्र, सरकार और पट्टा भूमि से सागौन, टिम्बर, शीशम और आबनूस जैसे कीमती पेड़ काटने और हटाने के मुद्दे की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जांच करनी होगी। यह जांच केवल पट्टा भूमि से काटे और हटाए गए पेड़ों तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए।'' अदालत ने यह आदेश उस जनहित याचिका पर दिया जिसमें राज्य में पेड़ों की अवैध कटाई की जांच सीबीआई को सौंपने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने कहा, '' तथ्यों और कानून को ध्यान में रखते हुए हमारा विचार है कि इस समय जांच एजेंसी को बदलने का कोई कारण नहीं है जैसा कि प्रार्थना की गई है।
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