उपायुक्त को नाराज करने वाले बयान के लिए कश्मीरी कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया
By भाषा | Published: June 15, 2021 07:57 PM2021-06-15T19:57:00+5:302021-06-15T19:57:00+5:30
गांदेरबल (जम्मू-कश्मीर), 15 जून जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल के सलाहकार को लक्षित कर यह टिप्पणी करने वाले एक राजनीतिक कार्यकर्ता को जेल भेज दिया गया कि उसे उनके जैसे कश्मीरी अधिकारी से उम्मीद है, उन नौकरशाहों से नहीं जो बाहरी हैं। उनकी टिप्पणियों से गांदेरबल की उपायुक्त और उत्तर प्रदेश काडर की आईएएस अधिकारी खफा हो गईं।
गांदेरबल जिले के साफापोरा में वानी मोहल्ला के रहने वाले 50 वर्षीय कार्यकर्ता सज्जाद सोफी को भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत गिरफ्तार किया गया। उन्हें एक अदालत ने जमानत दे दी लेकिन फिर भी उन्हें कथित तौर पर ‘‘शांति के प्रति खतरा मानते हुए’’ एहतियातन हिरासत में रखा गया।
माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने मंगलवार को कहा कि सोफी की गिरफ्तारी अकारण की गई है और यह ‘‘मौलिक अधिकारों का सरेआम उल्लंघन’’ है।
पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, सोफी ने दस जून को उप-राज्यपाल के सलाहकार बशीर अहमद खान के जनता दरबार में उक्त टिप्पणी की थी। अपने इलाके के लोगों को हो रही परेशानियों के बारे में बोलते हुए सोफी ने कहा था कि वह (बशीर) इन मुद्दों को बाहरी अफसरों की तुलना में बेहतर ढंग से समझ सकते हैं क्योंकि वह स्थानीय हैं।
सोफी ने उनसे कहा था, ‘‘मैं आपसे उम्मीद रख सकता हूं क्योंकि आप कश्मीरी हो और हमें समझ सकते हो। मैं आपकी कॉलर पकड़ कर आपसे जवाब मांग सकता हूं। लेकिन ऐसे अफसर जो बाहरी हैं, उनसे मैं क्या उम्मीद कर सकता हूं।’’
उनकी इस टिप्पणी से गांदेरबल की उपायुक्त कृतिका ज्योत्सना अप्रसन्न हो गईं। वह 2014 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और राहुल पांडे की पत्नी हैं जो राज भवन में सूचना निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। ज्योत्सना और पांडे इस वर्ष फरवरी माह में अंतर-काडर प्रतिनियुक्ति पर जम्मू-कश्मीर आए थे।
उनकी टिप्पणियों से उपायुक्त कथित तौर पर नाराज हो गईं। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक ज्योत्सना अपनी सीट से उठीं और इस बात पर उन्होंने ‘‘कड़ी आपत्ति’’ जताई। सोफी को पुलिस ने तलब किया और धारा 153 के तहत मामला दर्ज कर लिया और उसी रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘घटना की परिस्थितियों और बयानों के आधार पर आईपीसी की धारा 153 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया।’’
शनिवार को एक स्थानीय अदालत ने सोफी को जमानत दे दी और कहा कि ‘‘जमानत देने का नियम है और इसे अस्वीकार करना अपवाद है।’’ जमानत मिलने के बावजूद सोफी को पुलिस ने छोड़ा नहीं बल्कि उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 107 के तहत मामला दर्ज कर लिया जिसमें ‘‘शांति के लिए खतरा’’ माने जाने वाले व्यक्ति को ‘‘एहतियाती हिरासत’’ में लिया जाता है।
गांदेरबल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुहैल मुनावर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सोफी को आईपीसी की धारा 107 और 151 के तहत एहतियातन हिरासत में रखा गया है।’’ उन्होंने कहा कि शांति को खतरे की आशंका को देखते हुए ही उन्हें हिरासत में लिया गया हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि छोटे स्तर के इस राजनीतिक कार्यकर्ता का अपराध का पहले से कोई रिकॉर्ड नहीं है।
माकपा नेता तारिगामी ने सोफी के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई की निंदा की और कहा, ‘‘मध्य कश्मीर के गांदेरबल जिले के रहने वाले व्यक्ति को महज यह कहने के कारण जेल भेजा गया कि उन्हें स्थानीय अधिकारियों से अधिक उम्मीदें हैं। यह कार्रवाई अनुचित, बेवजह है तथा लोगों के बुनियादी अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन है।’’ उन्होंने उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।