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भयानक बर्फबारी के बीच जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे का ‘चलने’ से इंकार, दाम सातवें आसमान पर, 10 दिन से हाहाकार

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: January 13, 2021 14:46 IST

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) के मानकों के तहत भारी हिमपात को राज्य विशिष्ट प्राकृतिक आपदा घोषित किया।

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ठळक मुद्देमनोज सिन्हा ने चुनौतीपूर्ण जलवायु परिस्थितियों में भी 24x7 काम करने वाले कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना की।बर्फ प्रभावित जिलों को 4x4 बचाव वाहन और एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएं।अगर मौसम फिर से खराब हुआ तो मरम्मत का कार्य लंबा खिंच सकता है।

जम्मूः भयानक बर्फबारी के बाद सात दिनों के उपरांत दो दिन पहले जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे खुलने पर सिर्फ नागरिकों ने ही नहीं बल्कि कश्मीर प्रशासन ने भी राहत की सांस तो ली।

लेकिन यह राहत मात्र कुछ ही घंटों की थी क्योंकि रात को रामबन के पास एक पुल की दीवार ढह गई और कश्मीर घाटी अब 10 दिनों के लिए पूरी तरह से दुनिया कट गई। प्रशासन 10 दिनों के भीतर सड़क मार्ग को बहाल करने की बात तो करता है लेकिन डर इस बात का है कि अगर मौसम फिर से खराब हुआ तो मरम्मत का कार्य लंबा खिंच सकता है।

मौसम खराब होने की आशंका के पीछे तर्क भी है। मौसम विभाग की भविष्यवाणियां इस बार गलत साबित हो रही हैं। कल रात को 17 व 18 जनवरी को भीषण बर्फबारी की भविष्यवाणी करने वाले मौसम विभाग ने आज सुबह 20 तक मौसम साफ रहने की घोषणा तो की है पर लोगों को यकीन नहीं है।

नतीजा सामने है। राजमार्ग बंद होने से हाहाकार मचा हुआ है। कीमतें आसमान छू रही हैं। चाह कर भी प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा है क्योंकि पूरी दुनिया से कटी कश्मीर घाटी को शेष देश से मिलाने वाला दूसरा मार्ग मुगल रोड भी 10 से 12 फुट की बर्फ से ढका हुआ है जिसे फिलहाल खोल पाना असंभव दिख रहा है।

मजबूरी में प्रशासन ने भी पेट्रोल व डीजल की राशनिंग कर दी है। इससे कश्मीरियों की परेशानियां दोगुनी हो गई हैं। सड़कों पर जमीं बर्फ पर वैसे ही गाड़ियां घिसट रह थीं और अब पेट्रोल डीजल की किल्लत ने उन्हें और परेशान कर दिया है।

राजबाग के रहने वाले अब्दुल हमीद के बकौल, पहली बार नहीं है कि कश्मीर को बर्फ ने तारे दिखा दिए हों बल्कि जबसे मैने होश संभाला है ऐसा ही पाया है। अब्दुल हमीद अब उम्र के 60 बसंत पार कर चुका था। वह तो बस दोनों हाथ जोड़ खुदा से बर्फ से मुक्ति देने की दुआ ही करता था, शासद यही उसके बस में था।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरभारतीय सेनागृह मंत्रालयमनोज सिन्हा
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