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कश्मीर: आतंकी हिंसा में तेजी, नहीं हटेंगी राष्ट्रीय रायफल्स की यूनिटें

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: October 5, 2023 12:22 IST

केंद्र सरकार ने कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों के मद्देनजर घाटी से राष्ट्रीय रायफल्स की यूनिटों को हटाने की योजना को फिलहाल रद्द कर दिया है।

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ठळक मुद्देकेंद्र सरकार ने कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों के मद्देनजर लिया बड़ा फैसला घाटी से राष्ट्रीय रायफल्स की यूनिटों को हटाने की योजना को फिलहाल किया गया रद्दसीमा पार से आतंकियों के घुसपैठ की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए लिया गया फैसला

जम्मू: कश्मीर घाटी से चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय रायफल्स की यूनिटों को हटाने की योजना को फिलहाल रद्द कर दिया गया है। रक्षा सूत्रों के अनुसार कश्मीर से चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय रायफल्स की यूनिटों को हटाने की योजना को टाल दिया गया है क्योंकि बीते कुछ महीनों में आतंकी हिंसा में तेजी आयी है।

रक्षा सूत्रों के मुताबिक सर्दियों से पहले एलओसी पर घुसपैठ की घटनाएं भी बढ़ी हैं और दो मामलों में पाक सेना द्वारा आतंकियों को कवर फायर देने के बाद सेना को घुसपैठ रोकने की खातिर किए जा रहे प्रबंधों में अतिरिक्त जवानों की जरूरत को देखते हुए राष्ट्रीय रायफल्स के जवानों को कश्मीर से हटाने का फैसला टाल दिया गया है।

इससे पहले चीन सीमा पर लाल सेना की घुसपैठ के बाद वर्ष 2021 में कश्मीर के भीतर और एलओसी से राष्ट्रीय रायफल्स की कई बटालियनों को हटा कर लद्दाख सीमा पर भेजा जा चुका है। दरअसल सेना की चिंता एलओसी पार लांच पैडों पर आतंकियों के जमावड़े को लेकर भी है।

हालांकि इसके प्रति सिर्फ अपुष्ट समाचार ही हैं कि उस पार लांच पैडों पर कितने आतंकी इस ओर धकेलने के लिए पाक सेना द्वारा जमा किए गए हैं, पर रक्षा सूत्र इनकी संख्या 200 से 500 के बीच होने का दावा करते थे। अबकि अब यह खबरें भी बाहर आ रही हैं कि पिछले कुछ दिनों से एलओसी पार से विदेशी आतंकी अच्छी खासी संख्या में कथित तौर पर घुसने में कामयाब हुए हैं। इससे सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ गई है।

रक्षा अधिकारियों के अनुसार ऐसे में कश्मीर खासकर जम्मू संभाग के राजौरी व पुंछ के जुड़वा जिलों में आतंकियों से निपटने को फोर्स की कमी से निपटने की खातिर जहां अतिरिक्त जवानों की मांग की जा रही है, वहीं राष्ट्रीय रायफल्स की उन बटालियनों को फिलहाल हटाकर चीन सीमा पर भेजने की योजनाओं को स्थगित कर दिया गया है, जो आतंकवाद विरोधी ग्रिड में खास भूमिका निभा रही हैं।

राष्ट्रीय रायफल्स की इन बटालियनों को अब न हटाने के पीछे का फैसला कोकरनाग की 7 दिनों तक चलने वाली जंग के कारण भी लेना पड़ा है, जिसमें पहली बार युद्ध जैसे हथियारों का इस्तेमाल सेना द्वारा 3 आतंकियों को मार गिराने के लिए किया गया था।

यही नहीं राजौरी व पुंछ के इलाकों में आतंकी हमलों और फिर उनसे होने वाली मुठभेड़ों के लंबे खिंचने के कारण सेना को राष्ट्रीय रायफल्स के जवानों की ही जरूरत पड़ रही है, जो आतकंवाद से निपटने में सबसे अधिक सक्षम और अनुभवी माने जाते हैं।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरKashmir Policeआतंकवादीआतंकी हमलाterrorist attack
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