कश्मीर में होकरसर, वुल्लर झील, हायगाम, मीरगुंड और शैलाबाग में मेहमान परिंदों की चहचहाहट

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: December 28, 2020 17:08 IST2020-12-28T17:07:20+5:302020-12-28T17:08:21+5:30

प्रवासी पक्षियों में ब्राह्णी बत्तख, टफड बत्तख, गड़वाल कामन पाक हार्ड, मिलार्ड, गैरेनरी, रैड करासड कामन टीट आदि शामिल हैं।

Kashmir Hokersar Vullar Lake Higam Mirgund and Shailabagh roaring with tunes of foreign lands Chanting | कश्मीर में होकरसर, वुल्लर झील, हायगाम, मीरगुंड और शैलाबाग में मेहमान परिंदों की चहचहाहट

पक्षियों की संख्या 7 से 8 लाख को पार कर जाती थी।

Highlightsघटते क्षेत्रफल के कारण इस बार आने वाले पक्षियों की संख्या कोई रिकार्ड नहीं बना पाई है।वेटलेंड सही मायनों में करीब 14 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है।मेहमान पक्षी रूस, साइबेरिया, मध्य एशिया और अन्य मुल्कों से आए हैं।

जम्मूः कश्मीर में होकरसर, वुल्लर झील, हायगाम, मीरगुंड और शैलाबाग जैसे कई ऐसे इलाके हैं जहां पर ये मेहमान पक्षी अपना डेरा डाले हुए हैं।

होकसार के वन्य जीव वार्डन का कहना था कि ये मेहमान पक्षी नवंबर से फरवरी तक चार माह की अवधि के लिए ही इन स्थानों पर ठहरते हैं। इसके बाद आमतौर पर ये पक्षी अपने पुराने स्थानों की ओर लौटना शुरू कर देते हैं। यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों में ब्राह्णी बत्तख, टफड बत्तख, गड़वाल कामन पाक हार्ड, मिलार्ड, गैरेनरी, रैड करासड कामन टीट आदि शामिल हैं। लेकिन होकरसर में घटते क्षेत्रफल के कारण इस बार आने वाले पक्षियों की संख्या कोई रिकार्ड नहीं बना पाई है।

सर्दियों की शुरुआत के साथ ही राज्य में आने वाले मेहमान प्रवासी पक्षियों की संख्या अगर कश्मीर घाटी में रिकार्ड तोड़ने लगी है तो भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित घराना वेटलेंड में इस बार भी कुछ अलग ही नजारा है। झुंड के झुंड प्रवासी पक्षियों के जमा हुए हैं।

कुछ क्षण के लिए वे हवा में उड़ान भरते हैं और फिर पुनः वहीं लौट आते हैं। उनकी चहचहाट से यह महसूस किया जा सकता है कि वे सीमा पर चल रहे युद्धविराम से सुकून पा रहे हैं। होकरसर स्थित वाइल्ड लाइफ वेटलेंड के अधिकारियों के मुताबिक, इस वेटलेंड में इस बार 15 अक्तूबर से ही प्रवासी पक्षियों का आना आरंभ हो गया था और अभी तक सिर्फ 2 लाख आए हैं।

अभी तक यही होता आया था कि पक्षियों की संख्या 7 से 8 लाख को पार कर जाती थी। कश्मीर में यह वेटलेंड सबसे बड़ा माना जाता है। हालांकि इसके आसपास तीन और छोटे छोटे वेटलेंड हैं पर खाने की समस्या के कारण प्रवासी पक्षी यहीं पर डेरा जमाना अच्छा समझते हैं।

वैसे सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, यह वेटलेंड सही मायनों में करीब 14 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है पर अतिक्रमण का नतीजा यह है कि यह अब 4 से 5 वर्ग किमी के बीच ही सिमट कर रह गया है। अधिकारी कहते थे कि पिछले कुछ समय से वन्य जीव विभाग की ओर से प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं और इन कोशिशों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।

वैसे कश्मीर में पारा धीरे धीरे जमाव बिंदू तक पहुंचने लगा है और ऐसे में कश्मीर के अलग-अलग वेटलेंड पर लगभग 5-7 लाख के करीब प्रवासी पक्षी भी पहुंच चुके हैं जिन्हें कश्मीर की सर्दी कुछ ज्यादा ही भाने लगी है। ये मेहमान पक्षी रूस, साइबेरिया, मध्य एशिया और अन्य मुल्कों से आए हैं।

दूसरी ओर आग उगलने वाली जम्मू कश्मीर की सीमाओं पर जम्मू से करीब 34 किमी की दूरी पर भारत पाक सीमा रेखा से करीब 600 मीटर पीछे स्थित घराना बर्ड सेंचुरी का अस्तित्व अभी तक खतरे में माना जा रहा था। ऐसा इसलिए था क्योंकि जहां पाकिस्तानी गोलीबारी निरंतर प्रवासी पक्षियों के अमन में खलल डाल रही थी वहीं सीमांत क्षेत्रों में दबाई गई बारूदी सुरंगों के विस्फोट उन्हें शांति से यहां रुकने नहीं दे रहे थे।

Web Title: Kashmir Hokersar Vullar Lake Higam Mirgund and Shailabagh roaring with tunes of foreign lands Chanting

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