वाराणसी से इंदौर के लिए चलाई गई काशी महाकाल एक्सप्रेस में भगवान शिव का मंदिर बनाए जाने का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। ट्रेन में मंदिर पर जहां विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है वहीं आम जनता भी जानना चाहती है कि आखिरकार सीट पर शिव हमेशा के लिए आसीन हो चुके हैं, या कुछ दिन के लिए। सभी के सवालों पर विराम लगाते हुए आईआरसीटीसी ने बयान जारी किया है। आईआरसीटीसी के मुताबिक मंदिर की स्थापना अस्थायी रूप से की गई है। ट्रेन में मंदिर सिर्फ उद्घाटन के दिन के लिए है। इसके बाद मंदिर को वहां से हटा लिया जाएगा।
आईआरसीटीसी के मुताबिक महाकाल एक्सप्रेस को हरी झंडी 20 फरवरी 2020 को दिखाई जाएगी। ट्रेन के संचाल से पहले कर्मचारियों ने अस्थायी रूप से महाकाल की तस्वीरों को बर्थ पर रख दिया है। केवल उद्घाटन रन के लिए ही शिव की प्रतिमा और फोटो बर्थ पर रखी गई है। इस उद्घाटन रन में कोई भी यात्री ट्रेन में सवार नहीं होगा। महाकाल एक्सप्रेस की बोगी नंबर बी-5 में सीट नंबर 64 पर भगवान महाकाल (शिव) का मंदिर बनाया गया है।
असदुद्दीन ओवैसी के ट्वीट पर छिड़ा था बवाल
ट्रेन में शिव मंदिर पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी रुख अख्तियार किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए संविधान की प्रस्तावना ट्वीट की थी। ओवैसी के ट्वीट के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था। ओवैसी के ट्वीट पर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं, किसी ने इसका विरोध किया तो किसी ने पक्ष में अपनी बात रखी।
काशी महाकाल एक्सप्रेस का रूट
काशी महाकाल एक्सप्रेस हफ्ते में दो दिन मंगलवार और गुरुवार को चलेगी। यह वाराणसी से चलकर इंदौर तक जाएगी। लखनऊ, कानपुर, बीना, भोपाल, उज्जैन होते हुए इंदौर तक पहुंचेगी। इंदौर से बुधवार और शुक्रवार को उज्जैन, संत हिरदाराम नगर (भोपाल), बीना, कानपुर और लखनऊ होकर वाराणसी जाएगी।