देशभर में धूमधाम से मनाया गया करवा चौथ का त्योहार, 'चांद का दीदार कर' पत्नियों ने तोड़ा व्रत
By धीरज पाल | Updated: October 27, 2018 22:10 IST2018-10-27T22:08:05+5:302018-10-27T22:10:28+5:30
पूरे भारत में मनाए जाने वाले इस त्योहार के दिन महिलाएं दिन भर निराजल व्रत रखती हैं और रात को चांद की पूजा के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करती हैं।

देशभर में धूमधाम से मनाया गया करवा चौथ का त्योहार, 'चांद का दीदार कर' पत्नियों ने तोड़ा व्रत
देशभर में आज करवाचौथ का व्रत धूमधाम से मनाया गया। सुहागिनों ने चांद का दीदार कर अपना व्रत तोड़ा। पत्नियों ने चांद का दीदार कर पतियों के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत तोड़ा। यह त्यौहार हिंदू धर्म में बहुत ही पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। पूरे पत्नियां अपने पति की लंबी आयु की के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। सुहागिन पूरे दिन निराजली व्रत रहने के बाद शाम चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ती है। बता दें हिन्दू धर्म में पति का स्थान स्वामी या भगवान के जगह होता है। पति की लम्बी उम्र के लिए हर विवाहित महिला कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखती है।
Punjab: #Visuals of #KarwaChauth celebrations from Ludhiana (pic 1) & Amritsar (pic 2&3). pic.twitter.com/KYkg2a1UWc
— ANI (@ANI) October 27, 2018
पूरे भारत में मनाए जाने वाले इस त्योहार के दिन महिलाएं दिन भर निराजल व्रत रखती हैं और रात को चांद की पूजा के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करती हैं। भारत में सिर्फ विवाहित ही नहीं बल्कि कुवांरी लड़कियां भी अच्छे वर के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। विवाहोपरांत 12 या 16 साल तक लगातार इस उपवास को किया जाता है लेकिन इच्छानुसार जीवनभर भी विवाहिताएं इस व्रत को रख सकती हैं। माना जाता है कि अपने पति की लंबी उम्र के लिये इससे श्रेष्ठ कोई उपवास अतवा व्रतादि नहीं है।
चांद को मानते हैं ब्रह्मा का प्रतीक
हिन्दू धर्म में चांद को ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि चांद के वरदान से इन्सान को लंबी आयु मिलती है। चांद में सुंदरता, शीतलता, प्यार, सिद्धी और प्रसिद्धी के लिए पूजा जाता है। यही कारण है कि करवा चौथ का व्रत महिलाएं चांद को देखकर तोड़ती हैं। छलनी से पूजा करने के बाद वो अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं।
भाइयों ने बहन के साथ किया था धोखा
छलनी से चांद को देखने की एक पौराणिक कथा के अनुसार एक साहुकार के तीन सात बेटे और एक बेटी थे। बेटी ने अपने पति की लम्बी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। जब सभी भाई खाना खाने बैठे तो बहन को भी बुलाया लेकिन बहन ने चांद पूजन के बाद ही कुछ खाने के लिए कहा।
ऐसे में भाईयों को अपनी बहन की चिंता हुई और उन्होंने दूर एक दिया रखकर छलनी के माध्यम से अपनी बहन को दिखाया और कहा कि चांद निकल आया है। बहन ने उसे चांद समझकर पूजा कर लिया। इसके बाद जब बहन ने व्रत तोड़ा तो उसके पति की तबियत बहुत खराब हो गई।
तब से आज तक छलनी में दीया रखकर चांद को देखने और फिर पति की पूजा का चलन चला आ रहा है। ऐसा छल किसी और शादीशुदा महिला के साथ ना हो इसीलिए छलनी से चांद को देखा जाता है।