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करुणानिधि को श्रद्धांजलि देने के बाद राज्य सभा और लोक सभा की बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: August 8, 2018 12:07 IST

करुणानिधि ने 1957 में पहली बार विधान सभा चुनाव लड़ा और जीता। 1969 में अन्नादुरई के आकस्मिक निधन के बाद वो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। वह पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे , 13 बार तमिलनाडु विधानसभा में विधायक रहे और विधान परिषद सदस्य भी रहे।

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नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) द्रमुक के दिवंगत नेता एवं तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि को श्रद्धांजलि देने के बाद उनके सम्मान में राज्य सभा और लोक सभा की बैठक आज दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई । उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने करुणानिधि के निधन का जिक्र किया। 94 वर्षीय करुणानिधि का कल शाम चेन्नई के एक अस्पताल में निधन हो गया था। नायडू ने बताया कि द्रमुक के संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष करूणानिधि का जन्म नागपट्टनम जिले के तिरुक्कुवलई गांव में जून 1924 में हुआ था। 

नायडू ने कहा कि बचपन से ही नाटक, कविता, साहित्य में गहरी रूचि रखने वाले करूणानिधि ने सामाजिक कुप्रथाओं पर अपनी लोकप्रिय पटकथाओं के जरिये करारा प्रहार किया। उन्हें तमिल भाषा से विशेष लगाव था। भाषा, साहित्य, कला एवं वास्तुकला के जरिये उन्होंने तमिल संस्कृति को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति नायडू ने कहा कि करूणानिधि के निधन से देश ने एक मुखर राजनीतिज्ञ, उत्कृष्ट लेखक एवं बेहतरीन समाजसेवक खो दिया है। उन्होंने पूरे सदन की ओर से दिवंगत नेता के परिवार के प्रति संवेदना जाहिर की। 94 वर्षीय नेता ने 11 दिन तक बीमारी से लड़ने के बाद कल शाम चेन्नई के कावेरी अस्पताल में अंतिम सांस ली।

लोक सभा में करुणानिधि को श्रद्धांजलि

बुधवार (8 अगस्त) को  लोक सभा में आज द्रमुक के दिवंगत नेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि को श्रद्धांजलि दी गयी और उनके सम्मान में सदन की बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन की बैठक शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने करुणानिधि के निधन का उल्लेख किया। स्पीकर ने कहा कि करुणानिधि जननायक थे और उनका निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। सदस्यों ने दिवंगत नेता के सम्मान में कुछ पल का मौन रखा। इसके बाद सुमित्रा महाजन ने सदन की बैठक को उनके सम्मान में पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

करुणानिधि का राजनीतिक करियर-

करुणानिधि छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़ गये थे। सी अन्नादुरई ने जब 1949 में अन्ना द्रमुक का गठन किया तो करुणानिधि उसके अहम हिस्सा थे। करुणानिधि ने 1957 में पहली बार विधान सभा चुनाव लड़ा और जीता। 1969 में अन्नादुरई के आकस्मिक निधन के बाद वो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। वह पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे , 13 बार तमिलनाडु विधानसभा में विधायक रहे और विधान परिषद सदस्य भी रहे। करुणानिधि दो बार तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। अपने समर्थकों और प्रशंसकों में‘ कलईंगर ’ के नाम से लोकप्रिय करुणानिधि राजनीति में आने से पहले तमिल फिल्मों के लिए स्क्रीनप्ले राइटर के रूप में भी काम करते थे। 1952 में आई हिट तमिल फिल्म‘ पराशक्ति ’ तमिल सिनेमा के साथ ही करुणानिधि के जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।

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