कर्नाटक विधानसभा के लिए कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को विपक्ष का नेता चुना गया है, वहीं, एसआर पाटिल को विधान परिषद के लिए नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। पहले विपक्ष के नेता पद के लिए कांग्रेस में खींचतान चल रही थी। इस पद के लिए सिद्धारमैया ही सबसे आगे थे। वहीं, खबर आई थी कि जी परमेश्वर और एच के पाटिल समेत कुछ वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया को विपक्ष का नेता बनाने के विरोध में थे।
बता दें कि कर्नाटक विधानसभा का गुरुवार से शुरू होने वाला शीतकालीन सत्र हंगामेदार होने की आशंका है क्योंकि कांग्रेस और जनता दल समेत अन्य विपक्षी पार्टियां सत्ताधारी दल भाजपा को बाढ़ सहित कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी में हैं।
भाजपा शासनकाल में विधानसभा का यह दूसरा सत्र होगा। इससे पहले जुलाई सत्र में येदियुरप्पा ने अपना बहुमत सिद्ध किया था। बहुमत सिद्ध करने के बाद ही येदियुरप्पा ने तीन महीनों के लेखानुदान पर मतदान का प्रस्ताव रखा था।
गौरतलब है कि केंद्र द्वारा बाढ़ राहत में हुई देर पर विपक्ष का हमला तेज होगा। कर्नाटक से भाजपा के 25 सांसद और केंद्रीय मंत्री बाढ़ के मुद्दे पर विपक्ष की निशाने पर रहेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी विधानसभा के भीतर जबकि पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा यहां गुरुवार को विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे।
कांग्रेस ने भी बाढ़ के मुद्दे पर सरकार को घेरने की योजना बनाई है। सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग की है। केंद्र सरकार ने कर्नाटक के बाढ़ पीड़ितों के लिए अंतरिम राहत के तौर पर 1200 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
विधानसभा में येदियुरप्पा के लिए यह राहत की बात होगी। सूत्रों के अनुसार विपक्ष सत्र की अवधि दो सप्ताह तक बढ़ाने की मांग कर सकता है। राज्य सरकार ने पहले विधानसभा सत्र की अवधि 14 से 26 अक्टूबर तक निर्धारित की थी लेकिन उपचुनावों को देखते हुए इसमें परिवर्तन कर 21 अक्टूबर से सत्र चालू करने का निर्णय लिया गया। हालांकि बाद में निर्वाचन आयोग ने कुछ कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) के विधायकों का मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने के कारण उपचुनावों को दिसंबर तक के लिए टाल दिया।
(पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)