सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि हमारा मकसद सिर्फ संवैधानिक संतुलन बनाये रखना है. कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को आदेश दिया है कि विधायकों को अयोग्य करने की कार्रवाई बाद में करें. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि बागी विधायकों को विश्वास मत के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं. ऐसे में कुमारस्वामी सरकार पर गिरने का खतरा मंडरा रहा है.
क्या होगा बागी विधायकों का
कुमारस्वामी सरकार को 18 जुलाई को सदन में विश्वास मत हासिल करना है. कुल मिला कर स्थिति अब 'हम तो डूबेंगे ही सनम, तुमको भी ले डूबेंगे' की बनती दिख रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस्तीफे पर फैसला स्पीकर को ही करना है.
पार्टी ऐसे में बागी विधायकों की सदस्यता रद्द कर सकती है. रद्द होने की स्थिति में अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो ये विधायक किसी भी प्रकार का मंत्री पद नहीं ले सकेंगे जब तक कि ये दोबारा चुन कर विधानसभा नहीं पहुंचे. यदि कुमारस्वामी की सरकार गिरती है तो ऐसे में राज्य में बनने वाली कोई भी सरकार अल्पमत में ही रहेगी जब तक कि उन सभी 16 सीटों पर दोबारा से चुनाव नहीं हो जायेगा.
अब ऐसे में मंत्री पद का लालच और सदस्यता रद्द होने का डर विधायकों के लिए असुविधाजनक स्थिति पैदा कर रहा है.