कानून में अजन्मे बच्चे को गोद लेने को लेकर समझौते की व्यवस्था नहीं, कर्नाटक उच्च न्यायालय का अहम फैसला

By भाषा | Published: December 10, 2022 07:55 PM2022-12-10T19:55:34+5:302022-12-10T19:56:42+5:30

न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति के एस हेमलेखा की पीठ ने अपने हालिया फैसले में कहा, ‘‘समझौते की तारीख तक बच्ची अपीलकर्ता संख्या चार के गर्भ में थी और बच्ची का जन्म दोनों पक्षों के बीच समझौते के पांच दिन बाद 26 मार्च,2020 को हुआ। इसका मतलब दोनों पक्षों ने अजन्मी बच्ची के संबंध में समझौता किया, जिसकी कानून में व्यवस्था नहीं है।’’

Karnataka High Court says law does not provide agreement regarding adoption an unborn child muslim couple childless | कानून में अजन्मे बच्चे को गोद लेने को लेकर समझौते की व्यवस्था नहीं, कर्नाटक उच्च न्यायालय का अहम फैसला

समझौते में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच गोद लिए जाने से जुड़े समझौते में पैसे का लेन देन-नहीं हुआ।

Highlightsदंपति को बच्ची का माता-पिता और अभिभावक घोषित किया जाए।जैविक माता-पिता हिंदू हैं, जबकि गोद लेने वाला दंपति मुस्लिम है।समझौते में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच गोद लिए जाने से जुड़े समझौते में पैसे का लेन देन-नहीं हुआ।

बेंगलुरुः कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा है कि कानून में अजन्मे बच्चे को गोद लेने को लेकर समझौते की व्यवस्था नहीं है। उच्च न्यायालय ने उन दो दंपतियों की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने इस संबंध में समझौता किया था।

न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति के एस हेमलेखा की पीठ ने अपने हालिया फैसले में कहा, ‘‘समझौते की तारीख तक बच्ची अपीलकर्ता संख्या चार के गर्भ में थी और बच्ची का जन्म दोनों पक्षों के बीच समझौते के पांच दिन बाद 26 मार्च,2020 को हुआ। इसका मतलब दोनों पक्षों ने अजन्मी बच्ची के संबंध में समझौता किया, जिसकी कानून में व्यवस्था नहीं है।’’

बच्ची के जैविक माता-पिता और गोद लेने वाले दंपति ने निचली अदालत में याचिका दायर करके अनुरोध किया कि गोद लेने वाले दंपति को बच्ची का माता-पिता और अभिभावक घोषित किया जाए। जैविक माता-पिता हिंदू हैं, जबकि गोद लेने वाला दंपति मुस्लिम है।

चूंकि मुस्लिम दंपति बेऔलाद है और बच्ची के जैविक माता-पिता गरीबी के कारण उसका पालन-पोषण करने में असमर्थ थे, इसलिए दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ। समझौते में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच गोद लिए जाने से जुड़े समझौते में पैसे का लेन देन-नहीं हुआ।

हालांकि, निचली अदालत ने यह कहकर याचिका खारिज कर दी थी कि समझौता बच्ची के कल्याण को नहीं दर्शाता। इसके बाद दोनों पक्षों ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई और यहां भी उनकी याचिका खारिज हो गई। 

Web Title: Karnataka High Court says law does not provide agreement regarding adoption an unborn child muslim couple childless

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