Karnataka Election Results: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 2,59,278 ने ‘नोटा’ का बटन दबाया, आठवीं बार विधायक बने शिवकुमार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 13, 2023 05:29 PM2023-05-13T17:29:06+5:302023-05-13T17:35:03+5:30
Karnataka Election Results: 10 मई को हुए मतदान में भाग लेने वाले करीब 3.84 करोड़ मतदाताओं में से 2,59,278 (0.7 फीसदी) ने ‘नोटा’ का बटन दबाया।
Karnataka Election Results: कर्नाटक में 10 मई को हुए विधानसभा चुनाव में करीब 2.6 लाख मतदाताओं ने ‘नोटा’ यानी ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ के विकल्प का इस्तेमाल किया। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर साढ़े तीन बजे तक उपलब्ध आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
इसके मुताबिक, 10 मई को हुए मतदान में भाग लेने वाले करीब 3.84 करोड़ मतदाताओं में से 2,59,278 (0.7 फीसदी) ने ‘नोटा’ का बटन दबाया। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर ‘नोटा’ विकल्प 2013 में पेश किया गया था। कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने वर्ष 1989 से अपनी जीत के सिलसिले को बरकरार रखते हुए शनिवार को कनकपुरा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 1,21,595 मतों के भारी अंतर से पराजित किया। शिवकुमार लगातार आठवीं बार विधायक निर्वाचित हुए हैं।
निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, शिवकुमार को 1,42,156 वोट जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी जद (एस) प्रत्याशी बी. नागराजू को 20,561 वोट मिले। वहीं, भाजपा उम्मीदवार आर. अशोक 19,602 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
शिवकुमार की जीत का अंतर 2018 की तुलना में बहुत अधिक रहा, तब उन्होंने जद (एस) के उम्मीदवार नारायण गौड़ा को हराकर 79,909 मतों के अंतर से सीट जीती थी। करीब ढाई दशक तक ‘जनता परिवार’ से जुड़े रहे और कांग्रेस-विरोधी रुख के लिए पहचाने जाने वाले सिद्धरमैया 2006 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और अब उन्हें कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
कांग्रेस के 75-वर्षीय नेता सिद्धरमैया शनिवार को जब मैसूर में खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे तो वह नयी ऊर्जा से लबरेज नजर आये। सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘यह (कर्नाटक में चुनाव परिणाम) 2024 में कांग्रेस की जीत की ओर महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने पूर्व में कई बार कहा था, ‘‘यह मेरा अंतिम चुनाव है। मैं चुनावी राजनीति से संन्यास ले लूंगा।’’
हालांकि, शनिवार को सिद्धरमैया ने संकेत दिया कि उनकी निगाहें भविष्य की संभावनाओं पर टिक गई हैं। मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने की इच्छा जता चुके सिद्धरमैया अब आगे होने वाले घटनाक्रम का इंतजार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धरमैया और कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार मुख्य तौर पर दौड़ में हैं।
सिद्धरमैया वर्ष 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर संभाल चुके हैं। वर्ष 2013 में एम. मल्लिकार्जुन खरगे (वर्तमान में कांग्रेस अध्यक्ष) और तत्कालीन केंद्रीय श्रम मंत्री को पछाड़ते हुए सिद्धरमैया मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2004 में खंडित जनादेश के बाद कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाई थी, जिसमें कांग्रेस नेता एन. धरम सिंह मुख्यमंत्री, जबकि तत्कालीन जद (एस) नेता सिद्धरमैया को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।
सिद्धरमैया कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और यह समुदाय राज्य में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। सिद्धरमैया को जद (एस) से बर्खास्त किए जाने के बाद पार्टी के आलोचकों ने दावा किया था कि उन्हें इसलिए हटाया गया, क्योंकि जद (एस) नेता एच. डी. देवेगौड़ा अपने बेटे कुमारस्वामी को पार्टी के नेता के रूप में बढ़ाने के इच्छुक थे।
अधिवक्ता सिद्धरमैया ने उस वक्त भी ‘राजनीति से सन्यांस’ की बात कहते हुए वकालत के पेशे में लौटने का विचार व्यक्त किया था। उन्होंने अपनी पार्टी के गठन की संभावना को खारिज करते हुए कहा था कि वह धनबल नहीं जुटा सकते।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने उन्हें लुभाते हुए पार्टी में पद देने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने कहा था कि वह भाजपा की विचारधारा से सहमत नहीं हैं और 2006 में समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। यह एक ऐसा कदम था जिसके बारे में कुछ वर्षों पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था।
सिद्धरमैया 1983 में लोकदल के टिकट पर चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने इस सीट से पांच बार जीत हासिल की और तीन बार पराजय का स्वाद चखा। मैसुरू जिले के गांव सिद्धारमनहुंडी में 12 अगस्त, 1948 को जन्मे सिद्धरमैया ने मैसुरू विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली और बाद में यहीं से कानून की डिग्री हासिल की।