बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद सोमवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विधानसभा परिसर में गंगा जल का छिड़काव कर उसका 'शुद्धिकरण' किया। कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान में भाजपा के शासन को 'भष्ट' शासन बताया था और बोम्मई सरकार पर 40 प्रतिशत कमीशनखोरी का आरोप लगाया था। कांग्रेस कर्नाटक के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने इस साल जनवरी में कहा था कि विधान सौध (विधानसभा) को गोमूत्र से "शुद्ध" करने का समय आ गया है। बता दें कि डीके शिवकुमार ने 20 मई को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है।
शिवकुमार ने कहा था, "हम विधान सौध को साफ करने के लिए कुछ विवरण लेकर आएंगे। मेरे पास शुद्धिकरण के लिए कुछ गंजला (गोमूत्र) भी है।" शिवकुमार ने आरोप लगाया कि विधानसभा "भाजपा के शासन के दौरान भ्रष्टाचार से प्रदूषित" हुई थी। 5 मई को चुनाव से कुछ दिन पहले, कर्नाटक कांग्रेस एक द्विभाषी 'भ्रष्टाचार दर कार्ड' लेकर आई, जिसमें तत्कालीन सत्तारूढ़ भाजपा सरकार द्वारा किए गए विभिन्न 'घोटालों' की ओर इशारा किया गया था।
'भ्रष्टाचार दर कार्ड' अंग्रेजी और कन्नड़ दोनों में जारी किया गया था और तत्कालीन विपक्षी दल ने आरोप लगाया था कि सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने राज्य में सत्ता में रहते हुए 1,50,000 करोड़ रुपये लूटे थे।
कांग्रेस ने 'भ्रष्टाचार दर कार्ड' में कहा कि मुख्यमंत्री पद पर 2500 करोड़ रुपये और मंत्री पद पर 500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। बीजेपी की 'डबल इंजन सरकार' को 'ट्रबल इंजन सरकार' बताते हुए कांग्रेस ने रेट कार्ड पर कमीशन का जिक्र किया, जिसमें लिखा था, 'सरकार अलग डील की मांग करती है। यह मठ अनुदान के लिए 30 प्रतिशत कमीशन के साथ शुरू होता है, सड़क अनुबंधों के लिए 40 प्रतिशत और कोविड-19 आपूर्ति के लिए 75 प्रतिशत तक जाता है।
कर्नाटक में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में 135 सीटें जीतने के बाद, सिद्धारमैया ने दूसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख डीके शिवकुमार ने उनके डिप्टी के रूप में शपथ ली। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के अलावा, कम से कम आठ अन्य कांग्रेस नेताओं ने शनिवार को कर्नाटक में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली।