कर्नाटक कांग्रेस खींचतानः खड़गे और राहुल जी भ्रम दूर करिए?, सीएम सिद्धरमैया बोले-सत्ता संघर्ष सही नहीं, स्वतंत्र हैं विधायक और कभी भी कहीं जा सकते?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 25, 2025 17:11 IST2025-11-25T17:06:46+5:302025-11-25T17:11:31+5:30

Karnataka Congress tussle: शिवकुमार का समर्थन करने वाले विधायकों के एक समूह के दिल्ली जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर सिद्धरमैया ने कहा, "उन्हें (विधायकों को) जाने दीजिए, विधायकों को स्वतंत्रता है। देखते हैं वे क्या राय देते हैं। अंततः, फैसला आलाकमान को करना है। हम आलाकमान की बात मानेंगे।"

Karnataka Congress tussle high command clear confusion CM Siddaramaiah said power struggle not right, let MLAs go what would you say | कर्नाटक कांग्रेस खींचतानः खड़गे और राहुल जी भ्रम दूर करिए?, सीएम सिद्धरमैया बोले-सत्ता संघर्ष सही नहीं, स्वतंत्र हैं विधायक और कभी भी कहीं जा सकते?

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HighlightsKarnataka Congress tussle: विधायक पार्टी नेतृत्व से मिलने और अपनी राय साझा करने के लिए स्वतंत्र हैं।Karnataka Congress tussle: मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाओं के बीच सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष तेज हो गया है।Karnataka Congress tussle: कांग्रेस नीत सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल का आधा सफर तय कर चुकी है।

बेंगलुरुः कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर सत्ता संघर्ष को लेकर अटकलों के बीच मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंगलवार को कहा कि पार्टी आलाकमान को अंततः इस भ्रम को समाप्त करना चाहिए। सिद्धरमैया ने दोहराया कि वह मुख्यमंत्री पद पर बदलाव संबंधी मुद्दे पर आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि विधायक पार्टी नेतृत्व से मिलने और अपनी राय साझा करने के लिए स्वतंत्र हैं।

मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाओं के बीच सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष तेज हो गया है, जहां 2023 में सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार से जुड़े एक कथित "सत्ता-साझाकरण" समझौते का हवाला दिया जा रहा है। कांग्रेस नीत सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल का आधा सफर तय कर चुकी है।

शिवकुमार का समर्थन करने वाले विधायकों के एक समूह के दिल्ली जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर सिद्धरमैया ने कहा, "उन्हें (विधायकों को) जाने दीजिए, विधायकों को स्वतंत्रता है। देखते हैं वे क्या राय देते हैं। अंततः, फैसला आलाकमान को करना है। हम आलाकमान की बात मानेंगे।"

विधायकों के एक वर्ग द्वारा आलाकमान से मामले पर विराम लगाने की अपील के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "वे (विधायक) जो भी कहना चाहते हैं, उन्हें आलाकमान से कहने दीजिए। अंततः इस भ्रम को समाप्त करने के लिए आलाकमान को ही निर्णय लेना है।"

पार्टी सूत्रों ने सोमवार को बताया कि शिवकुमार का समर्थन करने वाले छह कांग्रेस विधायकों का एक समूह 23 नवंबर को शीर्ष नेताओं से मिलने के लिए नयी दिल्ली गया था। उन्होंने बताया कि शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी के लिए जल्द ही कुछ और विधायकों के दिल्ली जाने की संभावना है।

पिछले हफ्ते शिवकुमार का समर्थन करने वाले लगभग 10 विधायकों ने दिल्ली जाकर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाक़ात की थी। मंत्रिमंडल में फेरबदल के बारे में पूछे गए एक सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, "यह तब होगा जब आलाकमान कहेगा।" उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल उनकी कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी से मिलने की कोई योजना नहीं है।

खड़गे पिछले कुछ दिनों से बेंगलुरु में थे लेकिन शिवकुमार उनसे नहीं मिले। हालांकि मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के लिए खरगे के रवाना होने के समय वह उनके साथ थे। पार्टी में नेतृत्व विवाद के बीच, सिद्धरमैया ने शनिवार को खड़गे के बेंगलुरु स्थित निवास पर उनके साथ एक घंटे से ज़्यादा समय तक बैठक की। पार्टी सूत्रों के अनुसार, सिद्धरमैया अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल पर ज़ोर दे रहे हैं।

जबकि शिवकुमार चाहते हैं कि पार्टी पहले नेतृत्व परिवर्तन पर फ़ैसला करे। पार्टी के सूत्रों के अनुसार, अगर कांग्रेस आलाकमान मंत्रिमंडल में फेरबदल को मंजूरी देता है, तो यह संकेत होगा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे, जिससे शिवकुमार के इस पद पर आसीन होने की संभावना खत्म हो जाएगी।

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