बेंगलुरु:कांग्रेस और भाजपा के बीच कर्नाटक में चल रही सत्ता की जंग में उस समय बेहद दिलचस्प मोड़ पर आ गया, जब सत्ताधारी भाजपा ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की एक साझा तस्वीर को 'घमंड बनाम सादगी' का मुद्दा बना दिया। दरअसल एक फोटो को लेकर भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी है और आरोप लगा रही है कि बेहद सौम्य, सरल और बेहतरीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपमान किया है।
बताया जा रहा है कि भाजपा जिस तस्वीर को मुद्दा बना रही है वो हाल ही में बेंगलुरु में एक मीडिया कॉन्क्लेव के दौरान ली गई है। भाजपा जिस प्रकार से तस्वीर में दोनों नेताओं के मुद्रा का वर्णन कर रही है, उसके अनुसार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का हाथ जोड़कर अभिवादन कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे मुख्यमंत्री बोम्मई के अभिवादन को अनदेखा कर रहे हैं, जिससे उनका दंभ प्रदर्शित हो रहा है।
इस तस्वीर को लेकर हमले की शुरूआत असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने की। सीएम सरमा ने अपने ट्विटर हैंडले से तस्वीर को साझा करते हुए कैप्शन में लिखा है, "बसवराज बोम्मई को प्रणाम है, कर्नाटक के मुख्यमंत्री जैसे उच्च पद पर आसीन होने के बावजूद अत्यधिक विनम्रता और सादगी का प्रदर्शन। 'अहंकार बनाम सरलता'"
वहीं देश के कानून मंत्री औप भाजपा के वरिष्ठ नेता किरेन रिजिजू ने भी तस्वीर को साझा करते हुए ट्वीट किया है। केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने ट्वीट के कैप्शन में लिखा है, "एक बीजेपी के मुख्यमंत्री और दूसरे कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष।"
वहीं मजेदार बात यह है कि भाजाप के दोनों शीर्ष नेताओं द्वारा किये गये ट्वीट से पूर्व 22 अप्रैल को कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी इसी तस्वीर को साझा करते हुए ट्वीट किया है और कैप्शन दिया है, "विदा हो रहे 'PayCM' कर्नाटक को लूटने के लिए माफी मांग रहे हैं।"
मालूम हो कि कर्नाटक में दोनों दलों के बीच सत्ता पाने का संघर्ष बेहद मुश्किल भरे दौर से गुजर रहा है। एक तरफ जहां लिंगयात मुख्यमंत्रियों को भ्रष्ट बताकर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने गले में भारी मुश्किल का फंदा डाल लिया है, वहीं भाजपा ने भी जगदीश शेट्टर और लक्ष्मण सावदी जैसे अपने अनुभवी नेताओं का टिकट काटकर खुद को परेशानी में डाल लिया है।
इसके अलावा 'लिंगायत सीएम' के मुद्दे पर भी दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ आरोपों की तलवार लेकर आमने-सामने हैं। ऐसे में यह देखना मजेदार होगा कि कौन सा दल कर्नाटक की जनता का विश्वास जीतता है और उसे सत्ता का कुंजी मिलती है। बहरहाल इस बाद का फैसला तो कर्नाटक की जनता आने वाले 10 मई को ईवीएम के जरिये मुहर लगाकर करेगी लेकिन तब तक दोनों दल एक-दूसरे को घेरने की कवायद में मुस्तैद रहेंगे।