Karakat Lok Sabha Seat 2024: पवन सिंह, उपेन्द्र कुशवाहा और राजा राम सिंह में त्रिकोणीय मुकाबला, राजपूत और लव-कुश समीकरण पर सभी की निगाह, क्या है समीकरण

By एस पी सिन्हा | Published: May 27, 2024 04:54 PM2024-05-27T16:54:43+5:302024-05-27T16:56:30+5:30

Karakat Lok Sabha Seat 2024: उपेन्द्र कुशवाहा को लव-कुश समीकरण को साधने के लिए यह सीट मुफीद रही है, मगर इस बार उन्हें बकायदा लड़ना पड़ रहा है।

Karakat Lok Sabha Seat 2024 polls 1 june Triangular contest Pawan Singh, Upendra Kushwaha Raja Ram Singh all Rajput Luv-Kush equation what bihar chunav | Karakat Lok Sabha Seat 2024: पवन सिंह, उपेन्द्र कुशवाहा और राजा राम सिंह में त्रिकोणीय मुकाबला, राजपूत और लव-कुश समीकरण पर सभी की निगाह, क्या है समीकरण

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HighlightsKarakat Lok Sabha Seat 2024: भोजपुरी फिल्मों के स्टार पवन सिंह की निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एंट्री से मुकाबला और रोचक हो गया है। Karakat Lok Sabha Seat 2024: काराकाट लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाता डेढ़ से दो लाख हैं। Karakat Lok Sabha Seat 2024: पिछड़ी, अति पिछड़ी और अनुसूचित जातियों के मतदाता करीब दो लाख माने जाते हैं।

Karakat Lok Sabha Seat 2024: बिहार में सातवें चरण में 8 लोकसभा सीटों पर होने वाले मतदान को लेकर सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। सातवें चरण में ही काराकाट लोकसभा सीट पर भी मतदान होना है। इस सीट पर एनडीए उम्मीदवार के तौर पर उपेन्द्र कुशवाहा मैदान में हैं, जिन्हें इंडिया गठबंधन में भाकपा-माले के राजा राम सिंह टक्कर दे रहे हैं, लेकिन इस लड़ाई को भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने त्रिकोणीय बना दिया है। भाजपा से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ने पर पार्टी ने पवन सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इन सबके बीच काराकाट में सभी दल जाति की फसल काटने के लिए दम लगा रहे हैं। उपेन्द्र कुशवाहा को लव-कुश समीकरण को साधने के लिए यह सीट मुफीद रही है, मगर इस बार उन्हें बकायदा लड़ना पड़ रहा है।

उनकी लड़ाई उन्हीं के स्वजातीय राजाराम सिंह (महागठबंधन उम्मीदवार) से है, मगर भोजपुरी फिल्मों के स्टार पवन सिंह की निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एंट्री से मुकाबला और रोचक हो गया है। यहां निर्दलीय जीत-हार में निर्णायक साबित होंगे। काराकाट में हो रहे त्रिकोणीय लड़ाई में उपेन्द्र कुशवाहा ने पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन राजा राम सिंह और पवन सिंह ने उनकी चिंता बढ़ा दी है।

एक तरफ राजा राम सिंह हैं जो कुशवाहा जाति से ही आते हैं। वह माले के कैडर वोटर के साथ साथ राजद के एमवाय समीकरण और कुशवाहा जाति के वोट काट मैदान में हैं। वहीं, दूसरी ओर निर्दलीय पवन सिंह उस राजपूत जाति से आते हैं, जो एनडीए का स्वाभाविक वोटर माने जाते हैं। पवन सिंह इस वोट बैंक को अपने पाले में करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा के जीत के लिए एनडीए के तमाम बड़े नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है और कई दिग्गज नेता प्रचार के लिए पहुंच रहे हैं। यहां दो से ढाई लाख राजपूत मतदाता हैं। वहीं एक से डेढ़ लाख ब्राह्मण और करीब 75 हजार भूमिहार मतदाता हैं। कोइरी-कुर्मी मतदाता भी करीब ढाई लाख माने जाते हैं।

काराकाट लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाता डेढ़ से दो लाख हैं। इसके अलावा पिछड़ी, अति पिछड़ी और अनुसूचित जातियों के मतदाता करीब दो लाख माने जाते हैं। चुनावों की एक सच्चाई है कि वोट जाति और पार्टी के कैडर मतदाताओं में बंटा रहता है। दरअसल, जिस राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार और कोइरी-कुर्मी मतदाताओं की यहां भरमार है उनका वोट पिछले चुनावों में लालू विरोध में पड़ता आया था।

इन वर्गों के वोटरों को प्रमुखता से एनडीए का कोर वोटर माना जाता है। ऐसे में पवन सिंह के पक्ष में मुख्य रूप से इन्हीं वर्गों के वोटरों का बड़ा रुझान हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह एक तरह से पवन सिंह का एनडीए के लिए वोट काटने वाली स्थिति बन जाएगी।

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