पुलवामा आतंकी हमले के बाद देश के कुछ इलाकों में कश्मीरियों पर हमले की खबरों के बीच बेंगलुरु की कराची बेकरी नाम की एक दुकान को भी विरोध झेलना पड़ा है। शुक्रवार को कुछ लोगों के दुकान के बाहर जमा होकर विरोध जताने के बाद इस 'कराची बेकरी' ने अपने नाम वाले बोर्ड में कराची लिखे हिस्से को ढक दिया।
पुलवामा हमले में 14 फरवरी को 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गये थे। इसके बाद से ही पूरे देश में पाकिस्तान विरोध की लहर उफान पर है और लोग कई जगहों पर पाकिस्तान के खिलाफ मार्च निकाल रहे हैं।
बेंगलुरू में कराची बेकरी के पहले शब्द को ढके जाने की पुष्टि करते हुए पुलिस ने बताया है कि शुक्रवार रात उन्हें इस दुकान की ओर से फोन आया था। हालांकि, किसी तरह की संपत्ति के नुकसान की खबर नहीं है। वहीं, विरोध करने वालों ने कहा कि उन्हें लगता था कि यह पाकिस्तानी दुकान है।
पाकिस्तानी नहीं है कराची बेकरी
कराची बेकरी कोई पाकिस्तानी दुकान नहीं है और इसकी शुरुआत 1952 में हुई थी। इसे भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद यहां आये एक सिंधी खानचंद रामनामी ने शुरू किया था। रामनामी कराची से यहां आये थे और इसलिए उन्होंने दुकान का नाम 'कराची बेकरी' रखा।
वैसे, सोशल मीडिया पर कई लोग दुकान का नाम कवर किये जाने का जमकर विरोध भी कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, 'फासिस्ट लोग कराची नाम के कारण कराची बेकरी का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में ये लोग अब मुल्तानी मिट्टी का भी विरोध करेंगे। वजवान और रोगन जोस का क्या होगा, ये भी तो कश्मीरी हैं।'