नरोदा गाम मामले के फैसले पर कपिल सिब्बल ने दी प्रतिक्रिया, कहा- 'क्या हमें कानून के शासन का जश्न मनाना चाहिए या...'
By मनाली रस्तोगी | Published: April 21, 2023 10:38 AM2023-04-21T10:38:35+5:302023-04-21T10:40:44+5:30
गुजरात की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को 2002 के नरोदा गाम दंगों के मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया। राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को नरोदा गाम मामले के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया।
नई दिल्ली: गुजरात की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को 2002 के नरोदा गाम दंगों के मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया। अहमदाबाद के नरोदा गाम में गोधरा मामले के बाद भड़के दंगों में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों के मारे जाने के दो दशक से अधिक समय बाद विशेष अदालत का यह फैसला आया है।
वहीं, राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को नरोदा गाम मामले के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "नरोदा गाम : एक 12 साल की बच्ची समेत हमारे 11 नागरिकों की मौत। 21 साल बाद 67 आरोपी बरी। क्या हमें : कानून के शासन का जश्न मनाना चाहिए या उसके निधन पर निराशा व्यक्त करनी चाहिए!"
Naroda Gam :
— Kapil Sibal (@KapilSibal) April 21, 2023
11 of our citizens including a 12 year old girl killed
After 21 years
67 accused acquitted
Should we :
Celebrate the rule of law
or
Despair its demise !
जहां पीड़ितों के परिवारों के एक वकील ने कहा कि फैसले को गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जाएगी क्योंकि उन्हें "न्याय से वंचित" किया गया है, वहीं घटना के 21 साल बाद आए फैसले को आरोपियों और उनके रिश्तेदारों ने "सच की जीत" करार दिया। अहमदाबाद स्थित विशेष जांच दल (एसआईटी) मामलों के विशेष न्यायाधीश एस के बक्शी की अदालत ने नरोदा गाम दंगों से जुड़े इस बड़े मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लगाए जाने के बाद राज्यभर में दंगे भड़क गए थे। इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की थी। अदालत के विस्तृत आदेश आने वाले दिनों में उपलब्ध होने की उम्मीद है। संक्षिप्त फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद कुछ आरोपियों ने अदालत के बाहर 'जय श्री राम' और 'भारत माता की जय' के नारे लगाए।
जिन आरोपियों को बरी किया गया उनमें गुजरात सरकार में मंत्री रहीं कोडनानी (67), विहिप के पूर्व नेता जयदीप पटेल और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी शामिल हैं। इस मामले में कुल 86 आरोपी थे, जिनमें से 18 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई, जबकि एक को अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 169 के तहत साक्ष्य के आभाव में पहले आरोपमुक्त कर दिया था।
सीआरपीसी की धारा 169 साक्ष्य की कमी होने पर अभियुक्त की रिहाई से संबंधित है। मामले में बरी किए गए सभी 67 आरोपी पहले से ही जमानत पर थे। नरोदा ग्राम मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चल रहा था।
एक दिन पहले गोधरा स्टेशन के पास भीड़ द्वारा साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 बोगी में आग लगाने के विरोध में बुलाए गए बंद के दौरान 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के नरोदा गाम क्षेत्र में दंगे भड़क गए थे।
(भाषा इनपुट के साथ)