कन्हैया कुमार से पहले वाम दलों से जुड़े ये JNUSU अध्यक्ष भी थाम चुके हैं कांग्रेस का हाथ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 29, 2021 01:11 PM2021-09-29T13:11:48+5:302021-09-29T17:22:23+5:30

अपना छात्र जीवन जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में वाम दलों वाले छात्र संगठनों से जुड़कर बिताने के बाद छात्र नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने का चलन कई दशकों पुराना है.

kanhaiya kumar left leaders jnusu congress | कन्हैया कुमार से पहले वाम दलों से जुड़े ये JNUSU अध्यक्ष भी थाम चुके हैं कांग्रेस का हाथ

कन्हैया कुमार. (फाइल फोटो)

Highlightsकन्हैया कुमार से पहले 1992-93 में एसएफआई सदस्य के तौर पर जेएनयूएसयू अध्यक्ष बने शकील अहमद खान कांग्रेस के महासचिव हैं.आइसा के संदीप सिंह 2007-08 में जेएनयूएसयू अध्यक्ष थे और अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं.

नई दिल्ली: साल 2015-16 में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संगठन (जेएनयूएसयू) के अध्यक्ष बनने और फिर भाकपा नेता बने कन्हैया कुमार मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए. वह ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) से जुड़े थे.

हालांकि, अपना छात्र जीवन जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में वाम दलों वाले छात्र संगठनों से जुड़कर बिताने के बाद छात्र नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने का चलन कई दशकों पुराना है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, उनसे पहले 1992-93 में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) सदस्य के तौर पर जेएनयूएसयू अध्यक्ष बने शकील अहमद खान कांग्रेस के महासचिव हैं.

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सैयद नासिर हुसैन भी एसएफआई का प्रतिनिधित्व करते हुए 1999-2000 में जेएनयूएसयू अध्यक्ष थे.

वहीं, साल 2016-17 में आइसा का प्रतिनिधित्व करते हुए जेएनयूएसयू अध्यक्ष बने मोहित पांडे अब उत्तर प्रदेश कांग्रेस के साथ काम कर रहे हैं और प्रियंका गांधी की टीम में हैं.

एसएफआई का प्रतिनिधित्व करते हुए 1996-98 में जेएनयूएसयू अध्यक्ष के रूप में दो बार चुने गए बत्ती लाल बैरवा वर्तमान में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव हैं.

आइसा के संदीप सिंह 2007-08 में जेएनयूएसयू अध्यक्ष थे और अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं.

इसी तरह देवी प्रसाद त्रिपाठी भी स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य रहते हुए जेएनयूएसयू अध्यक्ष चुने गए थे और उसके बाद राष्ट्रीय राजनीति में जाने के लिए उन्होंने कांग्रेस को चुना था. हालांकि, शरद पवार के कांग्रेस से अलग होने पर वे एनसीपी में चले गए थे.

बता दें कि, जेएनयू में वाम दलों के छात्र संगठनों के दबदबा रहता है और वहां के छात्र संगठन चुनाव केवल कैंपस ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी लड़े जाते हैं. 

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