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कंगना ने कहा-1947 में आजादी नहीं, बल्कि भीख मिली थी, आजादी 2014 में मिली; बयान पर विवाद छिड़ा

By भाषा | Updated: November 11, 2021 21:17 IST

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नयी दिल्ली, 11 नवंबर अभिनेत्री कंगना रनौत ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि भारत को ‘‘1947 में आजादी नहीं, बल्कि भीख मिली थी’’ और ‘‘जो आजादी मिली है वह 2014 में मिली'’ जब नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई।

पहले भी विवादास्पद बयान देती रहीं कंगना अपने इस बयान से एक बार फिर विवाद में पड़ गयी हैं। आम आदमी पार्टी ने मुंबई पुलिस में आवेदन दाखिल कर कंगना के खिलाफ ‘राजद्रोह पूर्ण और भड़काऊ’ बयान के लिए मामला दर्ज करने की मांग की है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी समेत कई नेताओं, सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं एवं अन्य लोगों ने बुधवार शाम को एक कार्यक्रम में दिये गये अभिनेत्री के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य प्रीति शर्मा मेनन ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 504, 505 और 124ए के तहत कार्रवाई के लिए अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘शांति भंग करने के मकसद से जानबूझकर अपमान।’’

मेनन ने मुंबई के पुलिस आयुक्त और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘‘उम्मीद है कि कुछ कार्रवाई होगी।’’

आईपीसी की धारा 504 ‘शांति भंग की मंशा से इरादतन अपमान’, 505 ‘सार्वजनिक क्षति’ से संबंधित बयानों से जुड़ी है, वहीं 124ए राजद्रोह से संबंधित है।

पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल पर रनौत के बयान वाला वीडियो क्लिप भी साझा किया। 24 सेकेंड के इस क्लिप में रनौत को कहते सुना जा सकता है, '' 1947 में आजादी नहीं, बल्कि भीख मिली थी और जो आजादी मिली है वह 2014 में मिली।''

वह एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में बोल रही थीं जिसमें उनकी बात पर कुछ श्रोताओं को ताली बजाते भी सुना जा सकता है।

वरुण ने कहा, ‘‘यह राष्ट्र-विरोधी कृत्य है और इसे यही कहा जाना चाहिए। इसे ऐसा नहीं कहना उन लोगों के साथ विश्वासघात होगा जिन्होंने अपना खून बहाया और आज हम एक देश के रूप में तनकर और आजाद खड़े हो सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि लोग कभी हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के असंख्य बलिदानों को नहीं भूल सकते जिसमें लाखों लोगों की जान गयी और कई परिवार तबाह हो गये। उन्होंने कहा कि इन शहादतों को इस ‘शर्मनाक तरीके’ से अपमानित करने को केवल लापरवाही वाला या संवेदनहीन बयान नहीं कहा जा सकता।

कंगना रनौत की आलोचना करते हुए वरुण ने ट्वीट कर कहा, ''कभी महात्मा गांधी जी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान, और अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार। इस सोच को मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह?''

रनौत का ट्विटर एकाउंट निलंबित कर दिया गया है और उन्होंने इंस्टाग्राम पर पलटवार किया।

कंगना ने कहा, ‘‘हालांकि मैंने साफ तौर पर 1857 की क्रांति,प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख किया है जिसे कुचला गया...जिससे ब्रिटिशों की तरफ से और भी दमन और जुल्म हुए और लगभग एक सदी बाद हमें गांधी के भीख के कटोरे में आजादी दी गई...जा और रो अब...’’

इसी सप्ताह पद्मश्री सम्मान पाने वाली रनौत ने चैनल के कार्यक्रम में अपने बयान में कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें ‘भीख’ की तरह आजादी मिली तो क्या यह आजादी है? कांग्रेस के नाम पर अंग्रेज क्या छोड़ गये.... वे अंग्रेजों का विस्तार थे।’’

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने रनौत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके बयान ने दिखाया है कि जो लोग पद्म पुरस्कारों के काबिल नहीं हैं, उन्हें यह सम्मान देने पर क्या होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मांग करता हूं कि कंगना रनौत को अपने बयान के लिए सभी भारतीयों से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। हमारे स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का अपमान किया गया।’’

वल्लभ ने कहा, ‘‘भारत सरकार को ऐसी महिला से प्रतिष्ठित पद्म सम्मान वापस ले लेना चाहिए जो महात्मा गांधी, सरदार भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल का अपमान कर रही है। अगर सरकार उन्हें पद्म सम्मान दे रही है तो इसका मतलब है कि सरकार ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रही है।’’

उन्होंने कहा कि कंगना रनौत ने जो कहा है, वह ‘सीधा राजद्रोह’ है।

कांग्रेस के डिजिटल संचार और सोशल मीडिया समन्वयक गौरव पांधी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कभी इस बात को स्वीकार नहीं कर सकता कि उनके ब्रिटिश आकाओं को 1947 में देश छोड़ने पर मजबूर किया गया।

शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने रनौत के बयान की तुलना भाजपा की एक कार्यकर्ता से की जिन्होंने हाल में दावा किया था कि भारत को आजादी 99 साल के पट्टे पर मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘नयी रुचि पाठक आई हैं। 99 साल के पट्टे पर भीख में मिली आजादी। आका को खुश करने के लिए झांसी की रानी समेत हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का खून, पसीना और बलिदान भुला दिया गया।’’

रनौत भले ही ट्विटर पर इस समय नहीं हों लेकिन उनका नाम ट्रेंड कर रहा है और इतिहासकार एस इरफान हबीब समेत कई लोग उनके बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। हबीब ने लिखा, ‘‘बेशर्मी की हद है।’’

अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने भी अपने ट्विटर पेज पर कंगना का वीडियो क्लिप साझा किया और उनके बयान पर ताली बजाने वालों पर हैरानी जताई। ‘तनु वेड्स मनु’ श्रृंखला की दोनों फिल्मों में कंगना के साथ काम कर चुकीं लेकिन उनकी आलोचक स्वरा ने लिखा, ‘‘ये कौन बेवकूफ ताली बजा रहे थे, मुझे उनके बारे में जानना है।’’

कुछ लोगों ने कंगना को पद्मश्री सम्मान मिलने पर ही सवाल खड़ा किया है। फिल्मकार ओनिर ने कहा, ‘‘क्या अब से हम नया स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे?’’

कंगना का नाम लिये बिना बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने कहा, ‘‘उसे आप क्या कहेंगे जो जब भी मुंह खोले तो जहर उगले।’’

वकील अमन वादुद ने कहा कि यह सोचा-समझा बयान था। उन्होंने कहा, ‘‘संविधान पर हमले के लिए जमीन तैयार की जा रही है। बहुत सोच-समझकर दिया गया बयान। इसे अलग से पढ़ने की भूल मत कीजिए।’’

स्टैंडअप हास्य कलाकार और सरकार के मुखर आलोचक कुणाल कामरा ने ट्विटर पर ऑनलाइन पोस्ट में लिखा, ‘‘कंगना सही हैं। भारत को सहज विवेक और तर्कसंगत सोच से 2014 में आजादी मिली।’’

रनौत विवादास्पद बयानों को लेकर अक्सर खबरों में रहती हैं-चाहे भाई-भतीजावाद पर फिल्मकार करण जौहर के साथ उनका झगड़ा हो, किसानों के प्रदर्शन पर अभिनेता-गायक दिलजीत दोसांझ के साथ तनातनी रही हो, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना सरकार की आलोचना करने वाले उनके ट्वीट रहे हों या मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से करने की बात हो।

उन्होंने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद मुंबई में असुरक्षित महसूस करने की बात कही थी जिसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें वाई-प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की।

ट्विटर ने अभिनेत्री का खाता स्थायी रूप से निलंबित कर दिया है और कहा कि ‘ट्विटर के नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर’ ऐसा किया गया।

पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा पर उनके बयानों के बाद ट्विटर ने यह कदम उठाया था। अब वह इंस्टाग्राम पर अपने वीडियो और संदेश डालती हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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