MP Political Crisis: सीएम पद से इस्तीफे के बाद बोले कमलनाथ, लोभी-प्रलोभी जीत गए, मध्यप्रदेश की उम्मीदों और विश्वास की हुई हार 

By रामदीप मिश्रा | Updated: March 20, 2020 15:35 IST2020-03-20T15:08:22+5:302020-03-20T15:35:38+5:30

MP Political Crisis: ज्योतिरादित्या सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के 11 मार्च को विधायक के पद से अपना त्यागपत्र देने से सियासी संकट पैदा हुआ। इनमें से छह के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत कर लिये थे, जबकि 16 बागी विधायकों के इस्तीफे कल देर रात को मंजूर हुए थे।

kamal nath reaction after resign from madhya pradesh chief minister post | MP Political Crisis: सीएम पद से इस्तीफे के बाद बोले कमलनाथ, लोभी-प्रलोभी जीत गए, मध्यप्रदेश की उम्मीदों और विश्वास की हुई हार 

कमलनाथ ने कहा कि आज उम्मीदों और विश्वास की हुई हार। (फाइल फोटो)

Highlightsमध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन को सौंप दिया है। कमलनाथ ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा है कि उम्मीदों और विश्वास की हार हो गई।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन को सौंप दिया है। फ्लोर टेस्ट से ही पहले ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई। इस बीच कमलनाथ ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा है कि उम्मीदों और विश्वास की हार हो गई।

कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, 'आज मध्यप्रदेश की उम्मीदों और विश्वास की हार हुई है, लोभी और प्रलोभी जीत गए हैं। मध्यप्रदेश के आत्मसम्मान को हराकर कोई नहीं जीत सकता। मैं पूरी इच्छाशक्ति से मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम करता रहूँगा।'

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'मै प्रदेश की जनता का धन्यवाद व आभार मानता हूँ, जिन्होंने इन 15 माह में मुझे पूर्ण सहयोग प्रदान किया। आपके प्रेम -स्नेह - सहयोग की बदौलत ही मेरी सरकार ने इन 15 माह में प्रदेश की तस्वीर बदलने का कार्य किया है।'


इसके अलावा उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कि हमारी सरकार ने 15 महीने में प्रदेश को नई दिशा देने की कोशिश की है। इन 15 महीनों के दौरान हमने क्या गलती की है। प्रदेश पूछ रहा है कि उनका क्या कसूर है। बीजेपी ने 22 विधायकों को लालच देकर कर्नाटक में बंधक बनाने का काम किया। इसकी सच्चाई देश की जनता देख रही है। करोड़ों रुपये खर्च करके यह खेल खेला गया। पहले दिन से ही बीजेपी ने षड्यंत्र किया। प्रदेश के साथ धोखा करने वाली बीजेपी को जनता माफ नहीं करेगी। 

इससे पहले कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गुरुवार को उस समय जोरदार झटका लगा था जब सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण के लिए शुक्रवार को सदन की विशेष बैठक बुलाने का अध्यक्ष एन पी प्रजापति को निर्देश दिया और कहा कि यह प्रक्रिया शाम पांच बजे तक पूरी करनी होगी। 

बेंगलुरू में डेरा डाले कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के बारे में शीर्ष अदालत ने कर्नाटक और मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इनके द्वारा उठाये गए किसी भी कदम से नागरिकों के रूप में इनके अधिकारों में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होगा। 

राज्यपाल द्वारा 16 मार्च को सदन में राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद कमलनाथ सरकार को विश्वास मत हासिल करने के निर्देश का पालन किये बगैर ही विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च के लिये स्थगित करने की अध्यक्ष की घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के नौ विधायकों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। 

राज्यपाल लालजी टंडन ने शनिवार की रात मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस संबंध में पत्र लिखा था कि उनकी सरकार अल्पमत में आ गयी है, इसलिए राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद वह सदन में विश्वास मत हासिल करें। चौहान ने राज्यपाल के निर्देशानुसार विधान सभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराने का अनुरोध किया था। 

चौहान और अन्य ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद राज्य में कमल नाथ सरकार सदन में बहुमत खो चुकी है और उसे एक दिन भी सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक, कानूनी, लोकतांत्रिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है। इसके एक दिन बाद ही मप्र कांग्रेस विधायक दल ने भी उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की जिसमें पार्टी के 16 विधायकों का अपहरण कर उन्हें बेंगलुरू में बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया गया था। 

पार्टी ने इन बागी विधायकों से मुलाकात करने का अवसर प्रदान करने के लिये केन्द्र और कर्नाटक की भाजपा सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था। राज्य की 222 सदस्यीय विधानसभा में इस समय कांग्रेस के 16 बागी विधायकों सहित कुछ 108 सदस्य हैं जबकि भाजपा के 107 सदस्य हैं। अध्यक्ष कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे पहले ही स्वीकार कर चुके हैं। 

मालूम हो कि ज्योतिरादित्या सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के 11 मार्च को विधायक के पद से अपना त्यागपत्र देने से सियासी संकट पैदा हुआ। इनमें से छह के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत कर लिये थे, जबकि 16 बागी विधायकों के इस्तीफे कल देर रात को मंजूर हुए थे। इससे कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई थी। ये सभी विधायक वर्तमान में बेंगलुरू में ठहरे हुए हैं। 

Web Title: kamal nath reaction after resign from madhya pradesh chief minister post

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