कैलाश सत्यार्थी ने उज्जैन में कहा, 'दुनिया के अनेक देश बच्चों की गुलामी और मजदूरी को खत्म करने के लिए आगे आ रहे हैं'
By बृजेश परमार | Published: April 3, 2022 08:56 PM2022-04-03T20:56:09+5:302022-04-03T21:07:23+5:30
कैलाश सत्यार्थी ने शनिवार को उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित एक विशिष्ट व्याख्यान में बोलते हुए कहा कि बच्चों की गुलामी और मजदूरी को समाप्त करने के लिए दुनिया के अनेक देश कटिबद्ध हुए हैं। बाल मजदूरी समाप्त करने से बेरोजगारी की समस्या का समाधान सम्भव है।
उज्जैन: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने शनिवार को उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित एक विशिष्ट व्याख्यान में बोलते हुए कहा कि बच्चों की गुलामी और मजदूरी को समाप्त करने के लिए दुनिया के अनेक देश कटिबद्ध हुए हैं। बाल मजदूरी समाप्त करने से बेरोजगारी की समस्या का समाधान सम्भव है।
सत्यार्थी ने कहा कि एक दौर में इस बात की चर्चा कोई नहीं करता था कि बच्चे बड़े पैमाने पर मजदूरी करते थे। इसी दृष्टि से बाल अधिकारों को लेकर विशेष प्रयास किए गए और यूएन में सतत विकास लक्ष्य के तहत बाल मजदूरी एवं बाल वेश्यावृत्ति को समाप्त करने का संकल्प लिया गया। बच्चों की गुलामी और मजदूरी को समाप्त करने के लिए दुनिया के अनेक देश कटिबद्ध हुए हैं।
व्याख्यान में मौजूद श्रोताओं को संबोधित करते हुए कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बाल मजदूरी समाप्त करने से बेरोजगारी की समस्या का समाधान सम्भव है। वर्तमान दौर में हवा और समुद्र का विनाश किया जा रहा है। इसके विरुद्ध सभी को सजग होना होगा।
सत्यार्थि ने कहा कि भारत भूमि शांति के लिए जानी जाती है, लेकिन एक समय तक किसी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार नहीं मिला था। जब मुझे यह पुरस्कार प्राप्त हुआ तो मैंने इसे अपना नहीं, संपूर्ण राष्ट्र का सम्मान माना। इसीलिए मैंने इसे संपूर्ण राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। वर्तमान दौर में बचपन का सम्मान आवश्यक है। सीखने और आजादी का अधिकार बच्चों का है। जब उन्हें यह मिल जाएगा, तभी समाज आगे बढ़ेगा। मैं अदृश्यता, मौन और गुमनामी की आवाज का प्रतिनिधित्व करता हूं।
उन्होंने कहा कि विषमता और विसंगतियों के विरुद्ध संघर्ष हमने बचपन में ही सीख लिया था। इतनी सुंदर धरती को हमने क्या कर दिया है। हम सभी एक ही परमात्मा के पुत्र हैं। तमाम प्रकार के भेदभाव ईश्वर निर्मित नहीं है। बचपन और सपनों की कीमत पर असमानता जारी है। हमारे सपनों में स्पष्टता होना चाहिए। पूरी मानवता के लिए जो सपने देखते हैं वे बड़ा सपना देखते हैं। सपने के साथ संकल्प जरूरी है। कभी यह मत सोचो कि अकेले हो, आत्मविश्वास सबसे बड़ा दोस्त है।
देश के मौजूदा हालात पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान दौर में भारत में मनोरोग बढ़ता जा रहा है। निराशा और आत्मविश्वास की कमी से ये रोग बढ़ रहे हैं, इनसे मुक्त होने के लिए प्रयास करने होंगे। शिक्षा को मौलिक अधिकार में शामिल करने के लिए अनेक प्रयास किए गए जो आज साकार हो गए हैं। लड़कियों के शोषण को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून बनना चाहिए। कोई कार्य करना हमारे हाथ में है, परिणाम हमारे हाथ में नहीं है।
इस मौके पर कैलाश सत्यार्थी के जीवन और उनके योगदान पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया गया। कैलाश सत्यार्थी द्वारा रचित पुस्तकें उनके द्वारा मंच पर उपस्थित अतिथियों को भेंट की गईं। व्याख्यान में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि उज्जैन हजारों वर्षों से काल की गणना का केंद्र रहा है। यह एक दौर में ग्रीनविच के रूप में प्रसिद्ध रहा है। वर्तमान में दुनिया को शांति की आवश्यकता है। उज्जैन के गौरव दिवस पर इस प्रकार का आयोजन आने वाले समय में युवा पीढ़ी को मार्ग दिखाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर प्रकाश बरतूतिया ने कहा कि कैलाश सत्यार्थी बच्चों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने विवश बच्चों की पीड़ा को दूर करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। उनके द्वारा दिए गए संदेशों को नई पीढ़ी को आत्मसाथ करना चाहिए। इस अवसर पर अतिथियों ने डॉ जगमोहन शर्मा, विदिशा की काव्यकृति यक्ष प्रिया की पाती का लोकार्पण किया।
व्याख्यान के बाद विश्वविद्यालय ने रात्रि में कैलाश सत्यार्थी के सम्मान में एक काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें देश-विदेश के अनेक रचनाकारों ने अपनी कविताओं और लघुकथाओं का पाठ किया। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने की थी।
वहीं काव्य गोष्ठी में प्रमुख अतिथि विदिशा के डॉक्टर जगमोहन शर्मा, नॉर्वे के वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक थे। अतिथियों का स्वागत कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक और हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया।