ज्योतिराव फुले जयंती: जिन्हें आंबेडकर मानते थे आधुनिक भारत का सबसे महान शूद्र, पढ़ें प्रेरक वचन

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 11, 2018 02:50 PM2018-04-11T14:50:03+5:302018-04-11T14:50:03+5:30

ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्री फुले को आधुनिक भारत का पहला कन्या और पहला दलित विद्यालय खोलने का श्रेय दिया जाता है।

Jyotirao Phule Birth Anniversary: Social Reformer Historical Contribution to Women and Dalits and his Quotes in Hindi | ज्योतिराव फुले जयंती: जिन्हें आंबेडकर मानते थे आधुनिक भारत का सबसे महान शूद्र, पढ़ें प्रेरक वचन

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आज (11 नवंबर) भारत के अग्रणी समाज सुधारक ज्योतिराव गोविंदराव फुले की जयंती है। फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को सतारा (महाराष्ट्र) में हुआ था। जब वो करीब नौ महीने के थे तभी उनकी माँ का देहांत हो गया। फुले ने पुणे के स्कॉटिश मिशन हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। इस स्कूल ने उनके जीवन की धारा बदल दी। यहीं से उनके मन में समाज सुधार और समरसता के बीज पड़े। पुणे जॉर्ज वाशिंगटन और छत्रपति शिवाजी के जीवन से अत्यधिक प्रभावित थे। फुले अमेरिकी विचारक थॉमस पेन और उनकी किताब "द राइट्स ऑफ मैन" से भी बहुत ज्यादा प्रभावित थे। बाबासाहब बीआर आंबेडकर ने ज्योतिराव फुले को "आधुनिक भारत का सबसे महान शूद्र" कहा था जिसने हिन्दू समाज के निचले तबके को उच्च तबके की दासता से मुक्त कराया। 

फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले ने 1848 में देश का पहला कन्या विद्यालय खोला। फुले दंपती ने दलितों के लिए भी स्कूल खोला। दलित और महिला शिक्षा के मामले के अलावा फुले दंपती धार्मिक कुरीतियों के खिलाफ भी सक्रिय रहे। फुले ने 1873 में दलितों और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए सत्य शोधक समाज की स्थापना की। फुले ने अपने जीवन में करीब 16 किताबें लिखीं। फुले की किताब "गुलामगिरी" को आधुनिक भारत में दलित उद्धार का आधार ग्रंथ माना जाता है। अछूतों के लिए दलित शब्द देने का श्रेय भी फुले को दिया जाता है। 28 नवंबर 1890 को 63 की उम्र में उनका निधन हुआ। फुले को 11 मई 1888 को सामाजिक कार्यकर्ता विट्ठलराव कृष्णजी वांडेकर ने "महात्मा" की उपाधि दी थी। तभी से उनके नाम से उन्हें महात्मा फुले कहा जाता है।  

ज्योतिराव फुले के प्रेरक वचन-

1- किसानों की दुर्दशा के लिए आर्थिक असमानता जिम्मेदार है।

2- किसी व्यक्ति से ईर्ष्या होने पर उसके धर्म से नफरत नहीं करनी चाहिए। 

3- किसी अन्य व्यक्ति के अधिकारों को मत छीनें।

4- भगवान और भक्त के बीच कोई मध्यस्थ नहीं होना चाहिए।

5- सच की राह पर चलना ही धर्म है, बाकी सब अधर्म है।

6- महिलाओं के लिए अलग नियम और पुरुषों के लिए अलग नियम पक्षपात है।

7- कुछ लोगों ने काल्पनिक देवता गढ़कर पाखण्ड को बढ़ावा दिया।

8- सत्कर्म करने से वैभव भले न मिले लेकिन शांति और सुख जरूर मिलते हैं। इसी तरह दुष्कर्म करने वाले को वैभव मिल जाता है लेकिन सुख और शांति निश्चित तौर पर नहीं मिलती।

9- विद्या बिना मति गई, मति बिना नीति गई
 नीति बिना प्रगति गई, प्रगति बिना धन,
धन बिना शूद्र हुए दमित, एक विद्या के अभाव में इतने अनर्थ हुए

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Web Title: Jyotirao Phule Birth Anniversary: Social Reformer Historical Contribution to Women and Dalits and his Quotes in Hindi

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