बिहार में सियासी बवाल, RSS नेताओं की जानकारी इकट्ठा करने से जुड़ा पत्र सामने आया

By भाषा | Published: July 17, 2019 08:49 PM2019-07-17T20:49:26+5:302019-07-17T20:49:26+5:30

अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जे एस गंगवार ने बुधवार को कहा कि कई आरएसएस पदाधिकारी के जान को खतरा से संबंधित खुफिया सूचना थी, इसलिए उक्त पत्र तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा संबंधित अधिकारियों को जिलों में भेजा गया था।

JS Gangwar, ADG (Special Branch) on SP's direction to collect information of RSS leaders: | बिहार में सियासी बवाल, RSS नेताओं की जानकारी इकट्ठा करने से जुड़ा पत्र सामने आया

गंगवार ने बुधवार को कहा कि कई आरएसएस पदाधिकारी के जान को खतरा से संबंधित खुफिया सूचना थी।

Highlightsभाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि आदेश के बारे में कोई जानकारी नहीं है और शरारत करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।संजय मयूख ने बुधवार को इस मामले को सदन में उठाते कहा कि सरकार को इस संदर्भ में स्पष्ट बयान देना चाहिए।

बिहार पुलिस की विशेष शाखा की ओर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारियों के बारे में विवरण एकत्र करने से संबंधित निर्देश को लेकर पूर्व में जारी एक पत्र के बारे में जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल होने पर बुधवार को राज्य में राजनीतिक बवंडर पैदा हो गया।

बिहार पुलिस की विशेष शाखा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा बीते 28 मई को लिखे गए पत्र में आरएसएस और उसके 19 सहयोगी संगठनों के जिला स्तर के पदाधिकारियों के नाम, पता, टेलीफोन नंबर और व्यवसाय को लेकर एक रिपोर्ट मांगी गई थी और प्राप्तकर्ताओं को अपनी रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर जमा करने के लिए कहा गया था।

हालांकि, बिहार के उप-मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक को विशेष शाखा के आदेश के बारे में कोई जानकारी नहीं है और शरारत करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जे एस गंगवार ने बुधवार को कहा कि कई आरएसएस पदाधिकारी के जान को खतरा से संबंधित खुफिया सूचना थी, इसलिए उक्त पत्र तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा संबंधित अधिकारियों को जिलों में भेजा गया था।

उन्होंने उक्त पुलिस अधीक्षक, जो वर्तमान में दूसरी शाखा में पदस्थापित हैं तथा प्रशिक्षण पर हैं, के नाम का खुलासा करना उचित नहीं बताते हुए कहा कि पत्र की भाषा को पुलिस मुख्यालय आपत्तिजनक मानती है। उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है और उनके जवाब के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

बिहार विधान परिषद में भाजपा सदस्य तथा पार्टी के मीडिया सेल के राष्ट्रीय प्रभारी संजय मयूख ने बुधवार को इस मामले को सदन में उठाते कहा कि सरकार को इस संदर्भ में स्पष्ट बयान देना चाहिए। बिहार विधान परिषद में भाजपा के एक अन्य सदस्य सच्चिदानंद राय ने कहा कि हमारी पार्टी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इरादों से सावधान रहना चाहिए, जिनके पास गृह विभाग का भी प्रभार है।

हमें पत्र लिखे जाने के समय को ध्यान में रखना चाहिए जो कि उसी समय के आस-पास का है जब उन्होंने राजग के एक सहयोगी के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने के बावजूद केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था।

भाजपा विधायक मिथिलेश तिवारी ने कहा कि अगर कुछ नियमित प्रक्रिया के हिस्से के रूप में जानकारी एकत्र की जा रही है तो उसमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन अगर यह किसी उल्टे मकसद से किया जा रहा था, तो मुझे सख्त आपत्ति है। मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि पुलिस को संघ परिवार के कार्यकर्ताओं पर निगरानी क्यों रखनी चाहिए, जो नि:स्वार्थ रूप से राष्ट्र निर्माण के लिए जाने जाते हैं।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने भी गुस्से भरे ट्वीट की झड़ी लगाते हुए कहा कि देश के लोकतंत्र को मजबूत करने में आरएसएस का महत्वपूर्ण योगदान है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि किसी संगठन के विस्तार और उसकी गतिविधि से किसी को कोई परेशानी क्यों होगी।

वहीं, बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि जदयू और भाजपा का साथ केवल दिखावा है। दोनों में कोई भी एक दूसरे की बात नहीं मानते। 

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