नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर सोमवार को देशवासियों के नाम एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी के जरिए नड्डा ने 13 राजनीतिक दलों के विपक्षी नेताओं द्वारा जारी एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि कांग्रेस के शासन में सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं।
अपनी चिट्ठी में उन्होंने लिखा, "1969 में गुजरात, 1980 में मुरादाबाद, 1984 में भिवंडी, मेरठ 1987, 1980 के दशक में कश्मीर घाटी में हिंदुओं के खिलाफ विभिन्न घटनाएं, 1989 भागलपुर, 1994 हुबली।।।कांग्रेस शासन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा की सूची लंबी है। इसी तरह दलितों और आदिवासियों के खिलाफ सबसे भीषण नरसंहार कांग्रेस के शासन में हुए हैं। यह वही कांग्रेस है जिसने संसदीय चुनाव में भी डॉ अंबेडकर को शिकस्त दी थी।"
इसके अलावा जेपी नड्डा ने विपक्षी दलों पर अपने पत्र में 'क्षुद्र', 'विभाजनकारी' और 'वोट बैंक' की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने विपक्षी दलों से "विकास की राजनीति" को अपनाने का आग्रह किया। अपनी बात को जारी रखते हुए नड्डा ने अपने पत्र में लिखा, "आज जब सभी धर्मों, सभी आयु समूहों के साथ-साथ जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग गरीबी को हराने और भारत को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एक साथ आए हैं, मैं विपक्ष से ट्रैक बदलने और विकास की राजनीति को अपनाने का आग्रह करूंगा।"
बताते चलें कि बीते शनिवार को विपक्षी नेताओं ने एक बयान जारी किया था जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारत में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा के बीच चुप रहने का आरोप लगाया था। अपने बयान में विपक्षी दलों ने कहा था, "हम प्रधानमंत्री की चुप्पी पर हैरान हैं, जो कट्टरता का प्रचार करने वालों के शब्दों और कार्यों के खिलाफ बोलने में विफल रहे हैं और जो अपने शब्दों और कार्यों से हमारे समाज को उकसाते और भड़काते हैं। यह चुप्पी इस तथ्य का वाक्पटु प्रमाण है कि इस तरह की निजी सशस्त्र भीड़ आधिकारिक संरक्षण की विलासिता का आनंद लेती है।"
विपक्षी दलों द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया था, "हम देश के कई राज्यों में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा की कड़ी निंदा करते हैं। हम गहराई से चिंतित हैं, क्योंकि रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि जिन क्षेत्रों में ये घटनाएं हुई हैं, वहां एक भयावह पैटर्न है। सांप्रदायिक हिंसा फैलाने वाले आक्रामक सशस्त्र धार्मिक जुलूसों से पहले भड़काऊ भड़काऊ भाषण दिए गए।" हस्ताक्षर करने वालों में प्रमुख विपक्षी दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, माकपा, भाकपा, द्रमुक, राजद, जेकेएनसी और अन्य शामिल हैं।