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मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद के अंदर प्रवेश करने और नमाज की अनुमति के लिए पत्रकार पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

By भाषा | Updated: January 28, 2020 06:35 IST

याचिकाकर्ता जिया उस सलाम ने पीरजादे द्वारा दायर याचिका में खुद को पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए कहा कि ना तो कुरान, ना ही हदीस मुस्लिम महिलाओं के मस्जिदों में प्रवेश को निषिद्ध करता है।

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ठळक मुद्देकई पुस्तकों के लेखक सलाम ने अधिवक्ता फारूक रशीद के मार्फत दायर अपनी याचिका में कहा कि पैगंबर मुहम्मद साहब ने खुद ही महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश की इजाजत दी है। याचिका में कहा गया है, ‘‘पुरूष और महिला मक्का की मस्जिद- अल- हरम में नमाज अदा करते हैं और वे मदीना में अल मस्जिद अल नबवी में भी नमाज अदा करते हैं।’’

मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद के अंदर प्रवेश करने और नमाज की अनुमति के लिए दायर याचिकाओं के समूह में पक्षकार बनने के लिए एक वरिष्ठ पत्रकार ने उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दायर की है। 9 न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने 13 जनवरी को कहा था कि यह इस व्यापक मुद्दे का निपटारा करेगी कि क्या अदालतें विशेष धार्मिक आचरणों में हस्तक्षेप कर सकती है और मस्जिद में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश की मांग करने वाली याचिकाओं सहित अन्य याचिकाओं के समूह पर सुनवाई करेगी।पीठ जिन अन्य विषयों पर विचार करेगी, उनमें केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की लड़कियों और महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा तथा दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय और पारसी समुदाय से जुड़े विषय भी शामिल हैं। पीठ द्वारा इन याचिकाओं पर फरवरी के प्रथम सप्ताह में सुनवाई करने की संभावना है।याचिकाकर्ता जिया उस सलाम ने पीरजादे द्वारा दायर याचिका में खुद को पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए कहा कि ना तो कुरान, ना ही हदीस मुस्लिम महिलाओं के मस्जिदों में प्रवेश को निषिद्ध करता है। कई पुस्तकों के लेखक सलाम ने अधिवक्ता फारूक रशीद के मार्फत दायर अपनी याचिका में कहा कि पैगंबर मुहम्मद साहब ने खुद ही महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश की इजाजत दी है।याचिका में कहा गया है, ‘‘पुरूष और महिला मक्का की मस्जिद- अल- हरम में नमाज अदा करते हैं और वे मदीना में अल मस्जिद अल नबवी में भी नमाज अदा करते हैं।’’

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