कोविड महामारी के कारण जेएनयू हिंसा की जांच में देरी हुई: कुलपति

By भाषा | Updated: September 11, 2021 15:51 IST2021-09-11T15:51:03+5:302021-09-11T15:51:03+5:30

JNU violence probe delayed due to COVID pandemic: VC | कोविड महामारी के कारण जेएनयू हिंसा की जांच में देरी हुई: कुलपति

कोविड महामारी के कारण जेएनयू हिंसा की जांच में देरी हुई: कुलपति

नयी दिल्ली, 11 सितंबर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम जगदीश कुमार ने कहा कि पिछले साल जनवरी में परिसर में की गई हिंसा की जांच में कोरोना वायरस महामारी की वजह से देरी हुई है। इस घटना में करीब 35 लोग जख्मी हो गए थे।

यह पूछे जाने पर कि घटना की जांच के लिए विश्वविद्यालय द्वारा गठित समिति ने ऑनलाइन बयान क्यों नहीं लिए, कुमार ने कहा कि विद्यार्थी पहले से ही बहुत तनाव में हैं और उन्हें ऑनलाइन बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजने का यह सही समय नहीं है।

लाठी और रॉड से लैस नकाबपोश लोगों के एक समूह ने पांच जनवरी, 2020 को जेएनयू परिसर में विद्यार्थियों और शिक्षकों पर हमला किया था और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी थी।

हिंसा में घायल होने वालों में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष भी शामिल थीं। घटना के कुछ दिनों बाद, जेएनयू ने घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों की सिफारिश की थी।

कुमार ने पीटीआई-भाषा से शुक्रवार को कहा, “ समिति मामले की जांच कर रही है। इसे बयान लेने के लिए लिए विद्यार्थियों को बुलाना है। जब वे अपने गृहनगर में हों तो क्या उन्हें बुलाने का यह सही समय है? इसके लिए हमें स्थिति देखने की जरूरत है। ये हमारे छात्र हैं। कोविड की स्थिति को देखते हुए, बयान नहीं लिए गए हैं। हम स्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं।”

यह पूछे जाने पर कि समिति ने ऑनलाइन बयान क्यों नहीं लिए तो कुलपति ने कहा, "स्थिति अनुकूल नहीं है। हम इंतजार कर रहे हैं। विद्यार्थी पहले से ही बहुत तनाव में हैं। ऑनलाइन बयान देने के लिए उन्हें नोटिस भेजने का यह सही समय नहीं है। हम अपने विद्यार्थी को अपराधी नहीं मानते हैं। वे हमारे अपने विद्यार्थी हैं।"

इस साल अगस्त में, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा को सूचित किया था कि दिल्ली पुलिस ने जेएनयू हिंसा के सिलसिले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया है, हालांकि कई लोगों से पूछताछ की गई है।

हिंसा के बाद कुमार को कुलपति के पद से हटाने की मांग की गई थी और जब भीड़ परिसर में दंगा कर रही थी, तब कार्रवाई नहीं करने को लेकर दिल्ली पुलिस की आलोचना की गई थी। पुलिस को खासकर तब निशाने पर लिया गया जब कथित उत्पात के संबंध में दर्ज दो प्राथमिकियों में घोष समेत छात्र संघ के नेताओं को नामज़द किया गया था।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) द्वारा सुरक्षा एजेंसी ‘साइक्लोप्स’ के अनुबंध को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ईसी) की ओर से दो साल के लिए नवीनीकृत करने पर जताई गई आपत्ति पर, कुमार ने कहा कि अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया गया है, बल्कि नई एजेंसी को रखने की प्रक्रिया पूरी होने तक अनुबंध को बढ़ाया गया है, जिसमें करीब छह महीने लगेंगे।

उन्होंने कहा, “अगर आप एक सुरक्षा एजेंसी को रखना चाहते हैं, तो आपको निविदा प्रक्रिया और सरकार द्वारा निर्धारित सामान्य वित्तीय नियमों का पालन करना होगा। इस कोविड अवधि के दौरान, हमारे कई कर्मी (कोरोना वायरस से) संक्रमित हुए। आप अचानक सुरक्षाकर्मियों को जाने के लिए नहीं कह सकते हैं, जिससे परिसर की सुरक्षा खतरे में पड़ जाए।”

उन्होंने कहा, “कार्यकारी परिषद ने निर्णय लिया कि सुरक्षा कंपनी अपना काम जारी रखेगी।”

जेएनयूटीए ने नौ सितंबर को एक बयान में कहा था कि कार्यकारी परिषद ने पांच जनवरी, 2020 को विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों पर हमले और लॉकडाउन के दौरान परिसर में चोरी की घटनाओं को रोकने में विफल रहने के बावजूद ‘साइक्लोप्स’ कंपनी के अनुबंध को दो साल के लिए नवीनीकृत कर दिया है।

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Web Title: JNU violence probe delayed due to COVID pandemic: VC

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