JNU हिंसा: जेएनयू छात्रसंघ प्रेसिडेंट आइशी घोष सहित 22 छात्र नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज

By स्वाति सिंह | Updated: January 7, 2020 10:11 IST2020-01-07T10:04:40+5:302020-01-07T10:11:05+5:30

प्राथमिकी में आगे कहा गया 'जेएनयू प्रशासन ने उन्हें विश्वविद्यालय के अंदर हिंसा को रोकने का आग्रह किया, जिसके बाद पुलिस परिसर के भीतर घुसी। अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को बुलाना पड़ा और छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की गई। पुलिस को हिंसा के संबंध में और पीसीआर कॉल प्राप्त हुईं।

JNU violence: FIR lodged against 22 student leaders including JNU Students Union President Aishi Ghosh | JNU हिंसा: जेएनयू छात्रसंघ प्रेसिडेंट आइशी घोष सहित 22 छात्र नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज

जल्द ही पुलिस इन छात्रों को पूछताछ के लिए बुलाएगी।

HighlightsJNU प्रशासन की ओर से शिकायत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की हैं।एफआईआर में जेएनयू छात्र संघ की प्रेसिडेंट आइशी घोष सहित 22 छात्र नेताओं के नाम है।

 जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन की ओर से शिकायत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की हैं। इन एफआईआर में जेएनयू छात्र संघ की प्रेसिडेंट आइशी घोष सहित 22 छात्र नेताओं के नाम है। लाइव हिंदुस्तान में छपी खबर के मुताबिक  जल्द ही पुलिस इन छात्रों को पूछताछ के लिए बुलाएगी। बता दें कि शुक्रवार और शनिवार को जेएनयू परिसर में छात्रों ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान छात्रों ने सर्वर रूम ठप कर लोगों को बंधक बनाने के साथ संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। इस घटना के बाद जेएनयू प्रशासन ने इन 22 छात्रों के खिलाफ नामजद शिकायत दी थी। 

शिकायत में कहा गया 'रविवार को अपराह्न तीन बज कर 45 मिनट पर पुलिस निरीक्षक की अगुवाई वाली एक टीम को सूचना मिली कि पेरियार हॉस्टल में कुछ छात्र इकट्ठा हो गए हैं और उनके बीच झगड़ा हो रहा है। वे छात्रावास की इमारत में भी तोड़फोड़ कर रहे हैं।'  पुलिस निरीक्षक की अगुवाई वाली यह टीम प्रशासनिक ब्लॉक में तैनात थी। जानकारी मिलने पर पुलिस निरीक्षक पेरियार हॉस्टल पहुंचे और उन्होंने देखा कि 40 से 50 लोग हाथों में डंडे लिए थे और छात्रों को पीट रहे थे, छात्रावास में तोड़फोड़ कर रहे थे। इनमें से कुछ के चेहरे ढंके हुए थे। 

प्राथमिकी में आगे कहा गया 'जेएनयू प्रशासन ने उन्हें विश्वविद्यालय के अंदर हिंसा को रोकने का आग्रह किया, जिसके बाद पुलिस परिसर के भीतर घुसी। अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को बुलाना पड़ा और छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की गई। पुलिस को हिंसा के संबंध में और पीसीआर कॉल प्राप्त हुईं।' इसमें आगे कहा गया, ‘‘शाम सात बजे के करीब सूचना मिली कि साबरमती हॉस्टल में कुछ लोग घुस आए हैं और छात्रों को पीट रहे हैं। वहां 50 से 60 लोग हाथो में डंडे लिए हुए थे। उनसे तत्काल मारपीट बंद करने और परिसर से चले जाने को कहा गया, लेकिन उन्होंने इमारत में तोड़फोड़ जारी रखी और छात्रों के साथ मारपीट करते रहे। कुछ देर बाद वे भाग गए और घायल छात्रों को अस्पताल ले जाया गया।’’

इसके बाद सोमवार को वसंतकुंज नॉर्थ थाने में जेएनयू हिंसा में आइशी घोष, विवेक कुमार, गौतम शर्मा, गीता कुमारी, साकेत मून, सतीश यादव, राजू कुमार, चुनमुन यादव, कामरान, मानस कुमार, दोलन और सारिका चौधरी सहित 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

JNU: परिसर के बाहर क्यों खड़ी रही पुलिस?

बता दें कि पिछले कुछ दिनों से जेएनयू में फीस की बढ़ोतरी को लेकर छात्रों का एक गुट विरोध प्रदर्शन कर रहा था। पुलिस द्वारा सोमवार को दर्ज की गई एक प्राथमिकी में उल्लेख किया गया है कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने पुलिस को परिसर में पहुंचने के लिए एक लिखित अनुरोध रविवार दोपहर लगभग 3:45 बजे भेजा था। पुलिस ने एफआईआर कॉपी में इस बात का जिक्र किया है कि रविवार को जब पेरियार छात्रावास में हिंसा की पहली घटना हुई तो करीब पौने चार बजे पुलिस को सूचना मिली थी।  

एचटी रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस को 3:45 बजे दिए गए सूचना में बताया गया था कि कुछ “छात्र” लड़ रहे हैं और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। एफआईआर में ऐसा लिखा है। इसके अलावा, पुलिस ने एफआईआर में लिखा है कि इसी समय हमें जेएनयू से एक पत्र मिला, जिसमें पुलिस से स्थिति को नियंत्रित करने का अनुरोध किया गया था। पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पश्चिम) देवेंद्र आर्य ने कहा कि स्थिति का पता लगाने के लिए एक पीसीआर वैन परिसर में पहुंच गई थीं। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद जेएनयू के प्रशासन ब्लॉक परिसर में तैनात एक इंस्पेक्टर और 15-20 पुलिस के लोगों ने भी इस मामले में पुलिस को कॉल कर जानकारी दी थीं।

आर्य ने कहा कि करीब 40-50 अज्ञात लोग मफलर और कपड़े से अपना चेहरा ढँके हुए कैंपस में घुसे थे। उन्होंने कहा ये सभी लाठी मारकर छात्रावास की संपत्ति बर्बाद कर रहे थे और छात्रों के साथ मारपीट कर रहे थे। इसके बाद पुलिस को देखकर उपद्रवी भाग गए और पुलिस कर्मियों ने स्थिति को नियंत्रण में लाया।" इसके बाद एफआईआर में लिखा है कि शाम 7 बजे के आसपास, पुलिस को फिर से कैंपस के साबरमती टी-पॉइंट और साबरमती हॉस्टल पर "भीड़ के हमले" और बर्बरता के बारे में कॉल आया। जेएनयू में तैनात एक पीसीआर वैन और पुलिसकर्मियों ने हमं ये सूचना दिया।

पुलिसवालों के मुताबिक, शाम के समय भी 40-50 दंगाइयों के एक समूह ने लाठी डंडों से हॉस्टल में छात्रों के साथ मारपीट की। पुलिस ने भीड़ को संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाने और शांतिपूर्ण तरीके से तितर-बितर करने के लिए अपमे तरीके का इस्तेमाल किया। चेतावनी के बावजूद, भीड़ ने हिंसा जारी रखी और पुलिस के आदेशों पर कोई ध्यान नहीं दिया। इन सबके बाद कैंपस में मौजूद पुलिस वालों ने कंट्रोल रूम में फोन कर जानकारी दी। अब तक कई छात्र घायल हो गए थे। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि पहले से ही विश्वविद्यालय प्रशासन के हस्तक्षेप के बावजूद, एफआईआर के अनुसार, पुलिस बल गेट पर आकर रुक गया और परिसर में प्रवेश करने की आधिकारिक अनुमति का इंतजार करने लगा।

जब इस मामले में डीसीपी आर्य से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “एफआईआर दर्ज करते समय कोई गलती हो गई होगी। हमें केवल 7:45 बजे अनुमति मिली। हमारी टीमों ने लगभग 8 बजे परिसर में प्रवेश किया। चूंकि एफआईआर लिखी जा चुकी है, इसलिए अब सुधार नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद हम आगे से अपने सभी अधिकारिक रिपोर्टों में शाम 7:45 बजे की ही बात करेंगे। ”

Web Title: JNU violence: FIR lodged against 22 student leaders including JNU Students Union President Aishi Ghosh

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