नरेंद्र मोदी सरकार जेएनयू तनाव को जल्द से जल्द खत्म करना चाहती है. स्थिति जिस कदर उग्र हुई और इसे संभालने में संबंधित अधिकारियों की विफलता से प्रधानमंत्री मोदी बेहद चिंतित हैं. उनकी नाराजगी जताने के बाद ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय सक्रिय हुआ और कुलपति एम. जगदीश कुमार को बुलाया. उनको बिंदुवार बताया गया कि किस तरह वह जेएनयू कैंपस में बिगड़ रही स्थिति को भांपने और उसे संभालने और कार्रवाई करने में विफल रहे. उन्हें डैमेज कंट्रोल करने और फीस में बढ़ोत्तरी से संबंधित उचित आदेश जारी करने को कहा गया.
अब यह साफ है कि कुलपति को हॉस्टल फीस बढ़ाने की अनुमति दी जा सकती है जबकि अन्य शुल्क में बढ़ोत्तरी को रोक लगाई जा रही है. यही नहीं, भाजपा ने अपनी विचारधारा मानने वाले छात्रों को वामपंथी विचारधारा वाले छात्रों की तरह प्रदर्शन नहीं करने के लिए कहा है. इससे टकराव और बढ़ेगा. भाजपा नेतृत्व ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) समर्थित तत्वों की ओर से वामपंथी छात्रों के हिंसक आचरण का प्रतिशोध लेना स्वीकार नहीं किया है. उनका मानना है कि कानून को अपने हाथों में लेने के बजाय पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन से औपचारिक शिकायतें दर्ज करानी चाहिए थीं.
भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी के जेएनयू के कुलपति को हटाने संबंधी कल के ट्वीट ने पार्टी नाराज नहीं है. उन्होंने पार्टी के अधिकतर नेताओं के इस विचार को पेश किया है कि मौजूदा कुलपति कुशलतापूर्वक प्रशासन को चलाने में विफल रहे हैं, विशेषकर एक ऐसे संस्थान में जो वामपंथियों का गढ़ रहा है. ऐसे तत्वों को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक परिपक्वता की आवश्यकता थी.
भाजपा की मंशा पर पानी फिरा
भाजपा नेतृत्व इसलिए भी नाखुश है क्योंकि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों से ध्यान जेएनयू आंदोलन पर केंद्रित हो गया है. भाजपा चाहती थी कि सीएए पर राष्ट्रवादियों और देशद्रोहियों के बीच लड़ाई हो, लेकिन जेएनयू घटनाक्रम ने उसकी इस इच्छा पर पानी फेर दिया जो हाईकमान को पसंद नहीं है. जेएनयू घटनाक्रम ने मानव संशाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' की छवि भी खराब कर दी है. हाल के दिनों में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ जेएनयू कुलपति की बैठकों की श्रृंखला निशंक के खराब संचालन व्यवस्था की ओर इशारा करती है, जिनके अधीन यह केंद्रीय विश्वविद्यालय आता है.