कश्मीर: पाक सेना चाहती है जाकिर मूसा के आतंकी संगठन का खात्मा, भारत से साझा कर रही खुफिया जानकारियां?
By सुरेश डुग्गर | Published: June 22, 2019 04:47 PM2019-06-22T16:47:27+5:302019-06-22T16:47:27+5:30
अगर मिलने वाली जानकारियों पर विश्वास किया जाए तो जाकिर मूसा की सुरक्षाबलों के हाथों होने वाली मौत के लिए भी पाकिस्तानी खुफिया संस्था जिम्मेदार मानी जा रही है। बताया जाता है कि पाक खुफिया संस्था ने ही मूसा के छुपे होने के स्थान की पुख्ता जानकारी भारतीय सुरक्षाबलों को मुहैया करवाई थी जिस कारण वे इस कामयाबी को हासिल कर पाए थे।
कश्मीर में थोड़े दिन पहले मारे गए जाकिर मूसा के अंसार उल गजवात ए हिंद की बढ़ती पकड़ से पाक सेना की खुफिया एजेंसी आईएसआई किस कद्र घबराई हुई है यह इससे साबित होता है कि वह इस दल की हमलों की योजनाओं तथा गतिविधियों को भारतीय खुफिया संस्थाओं के साथ सांझा कर एक तीर से दो निशाने साधने में जुटी हुई है।
एक हफ्ता पहले 16 जून को ही पाक सेना ने इस आतंकी गुट के बारे में पुलवामा टाइप हमलों की योजनाओं को अंजाम देने की सूचनाओं का आादन प्रदान भारत सरकार के साथ किया था और ऐसी ही सूचनाएं अमेरीका को भी दी गई थीं।
दरअसल पिछले कुछ अरसे से कश्मीर के युवाओं के बीच अंसार उल गजवात ए हिंद तथा उसके कमांडर जाकिर मूसा की पकड़ बहुत ही मजबूत हुई थी। जाकिर मूसा कश्मीर में इस्लामिक शासन लागू करने के प्रति कश्मीरियों को भड़का रहा था जो पाकिस्तान को रास नहीं आ रहा था। उसकी परेशानी यह थी कि अधिक से अधिक युवा अंसार उल गजवात ए हिंद में शामिल होते जा रहे थे। ऐसा भी नहीं है कि मूसा की मौत के बाद अंसार उल गजवात ए हिंद में युवाओं का शामिल होना रुक गया हो बल्कि कल भी दो कश्मीरी युवक इस गुट में शामिल हो चुके हैं।
अगर मिलने वाली जानकारियों पर विश्वास किया जाए तो जाकिर मूसा की सुरक्षाबलों के हाथों होने वाली मौत के लिए भी पाकिस्तानी खुफिया संस्था जिम्मेदार मानी जा रही है। बताया जाता है कि पाक खुफिया संस्था ने ही मूसा के छुपे होने के स्थान की पुख्ता जानकारी भारतीय सुरक्षाबलों को मुहैया करवाई थी जिस कारण वे इस कामयाबी को हासिल कर पाए थे।
माना जाता है कि मूसा पाकी इरादों के बीच रोड़ बन चुका था। कश्मीर में छेड़ा गया जिहाद कश्मीर को इस्लामिक देश बनाने के जिहाद की ओर मुढ़ने लगा था जबकि पाकिस्तान चाहता है कि कश्मीर में सिर्फ उसके पक्ष में ही आवाज उठे। यही कारण है कि पहले भी कुछ साल पूर्व जब हिज्बुल मुजाहिदीन के कुछेक बागी कमांडरों ने पाक के इशारों पर चलने से इंकार कर दिया था तो उसने उनके प्रति पुख्ता जानकारियां साझा कर एक तीर से दो निशाने जरूर साध लिए थे। पहला, ऐसे कमांडरों से मुक्ति पा ली थी और दूसरा अमेरीका की नजर में आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाने वाला मुल्क बन गया था।