Jharkhand Political Crisis: झारखंड में सियासी संकट, झामुमो और कांग्रेस विधायकों के साथ लतरातू बांध पहुंचे सीएम हेमंत, नाव की सवारी, तस्वीरें वायरल

By एस पी सिन्हा | Updated: August 27, 2022 17:56 IST2022-08-27T17:54:44+5:302022-08-27T17:56:42+5:30

Jharkhand Political Crisis: झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 49 विधायक हैं। उनमें सबसे बड़ी पार्टी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक हैं। सदन में मुख्य विपक्षी दल भाजपा के 26 विधायक हैं।

Jharkhand Political Crisis CM Hemant Soren seen taking boat ride near Latratu dam in Khunti JMM & Congress MLAs see video pic | Jharkhand Political Crisis: झारखंड में सियासी संकट, झामुमो और कांग्रेस विधायकों के साथ लतरातू बांध पहुंचे सीएम हेमंत, नाव की सवारी, तस्वीरें वायरल

बैठक में सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक अपने सामान के साथ पहुंचे थे। राज्य के ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने दावा किया कि ये विधायक ‘‘खूंटी जिले के लतरातू में मोमेंट्स रिसोर्ट्स में पिकनिक मनाने जा रहे हैं।’’

Highlightsसत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक तीन बसों में सवार होकर रवाना हो गए।झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राजद के विधायकों के साथ सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे।विधायकों की तीसरे दौर की मैराथन बैठक के तुरंत बाद यह राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया।

रांचीः खनन पट्टा लेने के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की झारखंड विधानसभा की सदस्यता रद्द हो गई है। मुख्यमंत्री पद जाना तय है। महज इसकी औपचारिक घोषणा बाकी है। ऐसे में हेमंत सोरेन और उनकी गठबंधन सरकार का राजनीतिक भाग्य अधर में लटक चुका है।

झारखंड में सियासी संकट गहराता जा रहा है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झामुमो और कांग्रेस विधायकों के साथ खूंटी जिले के लतरातू बांध के पास नाव की सवारी की। खूंटी जिले में लतरातू बांध के पास एक गेस्ट हाउस की तस्वीरें, जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और UPA विधायक और मंत्री रांची से आए हैं।

ऐसी संभावना है कि महागठबंधन के विधायकों को दूसरे राज्य में शिफ्ट जा सकता है। सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर महागठबंधन के विधायकों की बैठक हुई। बैठक में शामिल होने के लिए सभी विधायक बैग में कपड़े लेकर पहुंचे थे। बैठक खत्म होने के बाद सभी विधायक तीन बसों पर सवार होकर मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकले है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने सभी विधायकों को तीन बसों में भर कर छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हो गए। इनमें कांग्रेस और झामुमो के विधायक शामिल हैं। एक बस में खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी बैठे हुए थे। पूरी सुरक्षा व्यवस्था के बीच विधायकों को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शिफ्ट किया जा रहा है।

सूत्रों की मानें तो रायपुर के एक होटल की सुरक्षा बढा दी गई है। होटल के कमरे को खाली करा लिया गया है। किसी तरह की नई बुकिंग नहीं ली जा रही है। ऐसी आशंका जतायी जा रही है कि कल रविवार सुबह तक झारखंड के विधायक रायपुर पहुंच जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि तेजी से बदलते राजनीतिक परिदृश्य में विधायकों की संख्या को बरकरार रखने के लिए 'रिसॉर्ट पॉलिटिक्स' का सहारा लिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इस गतिविधियों से यह साफ होता जा रहा कि झारखंड में विधायकों की तोडफोड भी होने की आशंका बनी हुई है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक रोज पहले दावा किया था कि हेमंत सोरेन के पास सिर्फ 36 विधायक ही हैं। कयामत तक वह शेष विधायकों का प्रबंध नहीं कर पाएंगे। यह दावा उन्होंने झामुमो के इस दावे पर किया था कि उसके पास 50 विधायकों का समर्थन पत्र है।

अब निशिकांत दुबे ने टवीट कर कहा है कि उनका दावा सच साबित होता दिख रहा है। इससे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा वाले पिछले पांच माह से उन्हें सत्ता से हटाने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा वाले हर तरह के हथियार चला रहे हैं। उन्होंने गर्दन पर आरी तक चलाने का प्रयास किया लेकिन उनका हर औजार टूट जा रहा है। मैं आदिवासी का बेटा हूं।

झारखंड का बेटा हूं। कोई इतनी आसानी से नहीं तोड सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विरोधी जितनी भी ताकत लगा लें, झारखंड सरकार को हिला नहीं सकते हैं। इसबीच चर्चा है कि आज शनिवार को चुनाव आयोग इस संबंध में अधिसूचना जारी कर सकता है। राज्यपाल रमेश बैस ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद करने का निर्णय लिया है। अब मामला चुनाव आयोग के पास पहुंच गया है।

आयोग ही हेमंत की सदस्यता रद होने की अधिसूचना जारी करेगा। निर्वाचन आयोग अधिसूचना जारी कर उसकी सूचना राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के माध्यम से झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष को देगा। ऐसे में अब सवाल उठता है कि हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद वह किसे मुख्यमंत्री बनाएंगे?

जबतक कि वह दोबारा विधायक नहीं चुन लिए जाते हैं। देखने वाली बात यह भी होगी कि चुनाव आयोग किसी खाली सीट पर इतनी जल्दी चुनाव कराने के लिए तैयार होता है या नहीं? भाजपा सांसद निशिकांत का दावा है कि मतदाता सूची तैयार करने का काम चलेगा, इस वजह से चुनाव आयोग छह महीने के भीतर चुनाव नहीं करा सकता है।

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