झारखंड: 'ऑपरेशन लोटस' की संभावना से सहमे महागठबंधन के नेता, राज्यपाल के कदम पर टिकी निगाहें
By एस पी सिन्हा | Published: February 1, 2024 07:28 PM2024-02-01T19:28:40+5:302024-02-01T19:29:46+5:30
झारखंड के राज्यपाल से महागठबंधन दल के विधायक दल के नेता चंपई सोरेन को आश्वासन मिला है पर अभी स्पष्ट रूप से समय नहीं मिला है। ये बातें राज्यपाल से मुलाकात के बाद चंपई सोरेन एवं अन्य विधायकों ने मीडिया से बात करते हुए कहा है।
रांची:झारखंड में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद सियासी संकट उठ खड़ा हुआ है। महागठबंधन के नेता ऑपरेशन लोटस की संभावना से सहमे हुए हैं। हालांकि हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना जा चुका है। बुधवार की रात चंपई सोरेन ने झारखंड में सरकार बनाने का दावा करते हुए 43 विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंप दिया है। लेकिन राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन की तरफ से अभी तक उन्हें न्योता नहीं मिला है, जिसको लेकर कयासों का बाजार गर्म है।
झारखंड के राज्यपाल से महागठबंधन दल के विधायक दल के नेता चंपई सोरेन को आश्वासन मिला है पर अभी स्पष्ट रूप से समय नहीं मिला है। ये बातें राज्यपाल से मुलाकात के बाद चंपई सोरेन एवं अन्य विधायकों ने मीडिया से बात करते हुए कहा है। बता दें कि चंपई सोरेन के पत्र के बाद राज्यपाल ने चंपई सोरेन समेत पांच विधायकों को मुलाकात के लिए बुलाया था। मुलाकात के लिए चंपई सोरेन,आलमगीर आलम, प्रदीप यादव, सत्यानंद भोक्ता और विनोद सिंह पहुंचे थे।
मुलाकात के बाद चंपई सोरेन ने कहा कि कल ही सरकार बनाने का दावा पेश किया गया था और आज हम लोगों ने राज्यपाल से कहा कि काफी विलंब हो गया है। इसलिए सरकार गठन के लिए जल्द कदम उठाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने भी आश्वासन दिया है कि वे जल्द कदम उठाएंगे पर पर ये कदम कब तक उठाए जाएंगे। इसके बारे में स्पष्टता नहीं है।
इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा को अपने विधायक दल में टूट का खतरा मंडरा रहा है। कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन खुद मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं। अगर वह नहीं बन सकें तो अपने देवर बसंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनवाना चाहती हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि झामुमो के 13 और कांग्रेस के 7 विधायक संपर्क से बाहर हो जा रहे हैं। वैसे सभी को सर्किट हाउस में रखा गया है।
विधायकों में टूट को देखते हुए पार्टी अपने विधायकों को चार्टर्ड प्लेन से हैदराबाद शिफ्ट करने की तैयारी में है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक झारखंड के 35 विधायकों को हैदराबाद भेजा जा सकता है, जबकि हर सियासी हलचल पर नजर बनाए रखने के लिए कुछ करीबी विधायक रांची में ही रह सकते हैं। बताया जा रहा है कि चार्टर्ड विमान आने की सभी कागजी प्रक्रियाएं पूरी हो गई हैं। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है ऐसे में उसे सबसे सुरक्षित जगह माना जा रहा है।
उधर, झारखंड में सियासी गहमागहमी के बीच भाजपा में बैठकों का दौर शुरू हो गया है। ऐसे में बिहार के बाद झारखंड में बड़े सियासी खेल की संभावना प्रबल हो गई है। झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी रांची पहुंच चुके हैं। बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच अब सियासत एक बार फिर ऑपरेशन लोटस की तरफ बढ़ती नजर आ रही है। सियासी संकट के बीच भाजपा के सक्रिय होने के बाद हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो और कांग्रेस के साथ ही गठबंधन में शामिल अन्य दल अलर्ट हो गए हैं।
बता दें कि झारखंड में महागठबंधन के 48 विधायक हैं, लेकिन चंपई सोरेन ने सिर्फ 43 विधायकों का समर्थन पत्र ही राज्यपाल को सौंपा है। बाकी पांच विधायकों का समर्थन फिलहाल चंपई सोरेन को नहीं मिल सका है। झामुमो के विधायकों को पूरी सुरक्षा में रखा जा रहा है। झामुमो के आलाकमान को विधायकों के तोड़ने का खतरा सता रहा है। झारखंड विधानसभा में 80 विधायक हैं, जिनमें से सत्ताधारी गठबंधन के पास 48 नंबर है। उधर भाजपा और एनडीए की बात करें तो उसके पास इस समय 32 विधायक हैं।