झारखंड चुनाव: पार्टियों ने सरकारी नौकरी, किसानों की कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता जैसे कई लोकलुभावन किये वादे

By भाषा | Updated: December 8, 2019 20:49 IST2019-12-08T20:49:47+5:302019-12-08T20:49:47+5:30

गौरतलब है कि इस साल हुए लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ‘न्याय योजना’ लेकर आई थी। झारखंड चुनाव में इसे (न्याय योजना को) नहीं दोहराने के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि यह मुद्दा पार्टी (कांग्रेस) ने अपने घोषणा पत्र में क्यों नहीं शामिल किया, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है।

Jharkhand elections: Parties made many populist promises like government job, farmers loan waiver, unemployment allowance | झारखंड चुनाव: पार्टियों ने सरकारी नौकरी, किसानों की कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता जैसे कई लोकलुभावन किये वादे

झारखंड चुनाव: पार्टियों ने सरकारी नौकरी, किसानों की कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता जैसे कई लोकलुभावन किये वादे

Highlightsभाजपा ने प्रथम चरण के चुनाव से ठीक पहले 27 नवंबर को 63 पृष्ठों का अपना घोषणापत्र जारी किया थादिलचस्प है कि ‘कांग्रेस-झामुमो-राजद’ गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपना घोषणापत्र किसी को उपलब्ध ही नहीं कराया है

झारखंड में पांच चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न पार्टियों के चुनाव घोषणापत्रों में युवाओं को सरकारी नौकरियां, बेरोजगार युवाओं को भत्ता और किसानों की कर्ज माफी सहित कई लोकलुभावन वादे किए गए हैं। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में पूरे राज्य में घुसपैठ खत्म करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने की घोषणा की है।

भगवा पार्टी ने अपने संकल्पपत्र में वादा किया है कि फिर से सत्ता में आने पर वह झारखंड को 2024 तक पूर्वी भारत का ‘लॉजिस्टिक हब’ बना देगी और प्रत्येक गरीब परिवार के एक सदस्य को नौकरी देगी, जबकि विपक्षी कांग्रेस ने हर परिवार के कम से कम एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया है।

भाजपा ने प्रथम चरण के चुनाव से ठीक पहले 27 नवंबर को 63 पृष्ठों का अपना घोषणापत्र जारी किया था, जिसमें उसने वादा किया है कि उसकी ‘सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी’ सरकार प्रत्येक बीपीएल परिवार को रोजगार/स्वरोजगार उपलब्ध करायेगी। वहीं, कांग्रेस ने अपने 40 पृष्ठों के घोषणापत्र में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर किसानों के दो लाख रुपये तक के सभी कृषि रिण तुरंत माफ करने का वादा किया है। साथ ही, पार्टी ने सरकार बनने के छह माह के भीतर सभी सरकारी रिक्तियों को भरने और प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी देने की बात कही है। कांग्रेस ने यह भी कहा है कि जब तक नौकरी का यह वादा पूरा नहीं कर पायेगी, तब तक वह परिवार के एक सदस्य को बेरोजगारी भत्ता देगी।

पार्टी ने किसानों को 2,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ‘मनरेगा’ के तहत अधिक से अधिक दिनों का रोजगार देने की घोषणा की है। कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कांग्रेस की ‘न्याय योजना’ की तर्ज पर गरीबों को प्रति परिवार 72 हजार रुपये सालाना देने की घोषणा की।

गौरतलब है कि इस साल हुए लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ‘न्याय योजना’ लेकर आई थी। झारखंड चुनाव में इसे (न्याय योजना को) नहीं दोहराने के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि यह मुद्दा पार्टी (कांग्रेस) ने अपने घोषणा पत्र में क्यों नहीं शामिल किया, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। झामुमो ने अपने ‘निश्चय पत्र’ में निजी क्षेत्र में राज्य के 75 प्रतिशत लोगों को रोजगार सुनिश्चित कराने और सरकारी नौकरियों में झारखंड के पिछड़े समुदाय को 27 प्रतिशत, आदिवासियों को 28 प्रतिशत एवं दलितों को 12 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया है। पार्टी ने रिक्त पड़े सभी सरकारी पदों पर दो वर्ष के भीतर भरने और स्नातक बेरोजगारों को 5,000 रुपये तथा स्नातकोत्तर बेरोजगारों को 7,000 रुपये प्रति माह बेरोजगारी भत्ता देने का भी वादा किया है।

दिलचस्प है कि ‘कांग्रेस-झामुमो-राजद’ गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपना घोषणापत्र किसी को उपलब्ध ही नहीं कराया है। मुख्यमंत्री रघुवर दास नीत भाजपा सरकार में पांच साल तक उसकी सहयोगी पार्टी रही ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आज्सू) 53 सीटों पर अपने बूते चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में ‘‘गांव की सरकार’’ की बात कही है और स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता देने का वादा किया है। वहीं, राज्य विधानसभा की सभी 81 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) पार्टी ने स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने के लिए स्थानीयता की नीति को युक्तिसंगत बनाने की बात कही है। झाविमो ने ‘हम आएंगे कर दिखाएंगे’ के संकल्प के साथ अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है, जिसमें राज्य में कानून एवं व्यवस्था दुरुस्त करने को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा गया है।

पार्टी ने मनरेगा मजदूरों को 171 रुपये के बजाय 300 रुपये मजदूरी देने का वादा किया है। राजग के घटक दल एवं राज्य विधानसभा चुनाव अपने बूते लड़ रहे जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) ने दूसरे चरण के चुनाव से पहले अपना घोषणा पत्र जारी किया और उसमें रोजगार देने की पार्टी की नीति की चर्चा की है, लेकिन इसके लिए कोई निश्चित लक्ष्य नहीं निर्धारित किया गया है।

कम्युनिस्ट पार्टियों ने गरीबों और किसानों के हितों की बातें करते हुए पिछले पांच वर्षों के जन मुद्दों को एक संकल्प पत्र के माध्यम से लोगों के सामने रखा है लेकिन अब तक कोई घोषणा पत्र जारी नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा चुनाव पांच चरणों में हो रहा है।

राज्य में 30 नवंबर को पहले चरण और सात दिसंबर को दूसरे चरण के लिए मतदान हुआ। वहीं, 12 दिसंबर को तीसरे चरण, 16 दिसंबर को चौथे और 20 दिसंबर को पांचवें एवं आखिरी चरण का मतदान होगा। मतगणना एक साथ 23 दिसंबर को होगी।

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