झारखंड: जर्जर शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल, बच्चे जमीन पर बैठकर करते हैं पढ़ाई
By एस पी सिन्हा | Published: December 5, 2022 06:02 PM2022-12-05T18:02:42+5:302022-12-05T18:06:53+5:30
झारखंड के ज्यादातर प्राथमिक से लेकर हाईस्कूलों तक में बेंच-डेस्क की भारी कमी है। जिसके कारण पढ़ने वाले विद्यार्थी जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी होती है। बरसात दिनों में अक्सर स्कूल की जमीन भीग जाती है, जिस कारण छात्रों को जमीन पर बैठकर पढ़ने में काफी परेशानी होती है।
रांची: सियासी ऊहापोह के लिए बीते कुछ महीनों से खासा चर्चित झारखंड में स्कूली शिक्षा की जमीनी हकीकत सामने आई है, जिसे शिक्षा व्यवस्था के लिए शर्मनाक माना जा सकता है। राज्य में हाल यह है कि 12 हजार सरकारी विद्यालयों में बच्चे जमीन पर बोरा-टाट बिछाकर उसपर बैठते हैं और पढाई करते हैं। राज्य के प्राथमिक से लेकर हाईस्कूल तक में बेंच-डेस्क की कमी है। विद्यार्थी जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। बरसात में जब जमीन भी भीग जाती है, तब नीचे बैठने में विद्यार्थियों को परेशानी होती है।
बताया जाता है कि झारखंड शिक्षा परियोजना ने जिलों से बेंच-डेस्क की आवश्यकता के संबंध में जानकारी मांगी थी। इसमें यह बात सामने आई है कि 12 हजार स्कूलों में बेंच-डेस्क की आवश्यकता है। जिलों को भेजे गये पत्र में कहा गया था कि पदाधिकारियों के क्षेत्र भ्रमण के दौरान यह बात सामने आई है कि कई विद्यालयों में अब भी विद्यार्थी जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं।
हाल यह है कि प्राथमिक व मध्य विद्यालयों के पास इतनी राशि भी नहीं है कि वे अपने स्तर से बेंच-डेस्क क्रय कर सके। बेंच-डेस्क क्रय को लेकर विभाग के स्तर पर भी कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है। राज्य के सरकारी स्कूलों को पिछले पांच वर्ष से बेंच-डेस्क के लिए राशि नहीं मिली है। स्कूलों को वर्ष 2016-2017 में बेंच-डेस्क के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना की ओर से राशि दी गयी थी।
इसके बाद से विद्यालयों को राशि नहीं दी गई है। पांच वर्ष पूर्व विद्यालयों को जो बेंच-डेस्क उपलब्ध कराये गये थे, उनमें से अधिकतर की स्थिति खराब है। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि राज्य में केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर खुले 89 मॉडल स्कूल में से अधिकतर स्कूलों में बेंच-डेस्क नहीं है। विद्यार्थी छठी से 12वीं कक्षा में पहुंच गये, पर बेंच-डेस्क नहीं मिला। बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई कर रहे हैं।
झारखंड में प्रथम चरण में वर्ष 2011 में 40 तथा 2013 में 49 मॉडल स्कूल खोले गये। स्कूलों का भवन तो बन गया, लेकिन बेंच-डेस्क नहीं दिये गये। स्कूल में सुविधा स्मार्ट क्लास की है परंतु आज भी सिल्ली के उच्च विद्यालय बंता हजाम में कक्षा नौवीं के 87 विद्यार्थी जमीन पर बैठ के पढ़ाई करते हैं। जबकि सरकार का दावा है कि राज्य के सभी स्कूलों को स्मार्ट बनाने की दिशा में कार्रवाई की जा रही है।