झारखंड में जारी सियासी उहापोह के बीच राज्यपाल दिल्ली रवाना, सत्तापक्ष की धड़कनें तेज

By एस पी सिन्हा | Published: September 2, 2022 05:38 PM2022-09-02T17:38:51+5:302022-09-02T17:38:51+5:30

राज्यपाल रमेश बैस के दिल्ली रवाना होने से इस बात के भी कयास लगाये जाने लगे हैं कि राज्य कहीं राष्ट्रपति शासन की ओर तो नहीं बढ़ रहा है?

Jharkhand Crisis Governor Ramesh Bais Flies to Delhi | झारखंड में जारी सियासी उहापोह के बीच राज्यपाल दिल्ली रवाना, सत्तापक्ष की धड़कनें तेज

झारखंड में जारी सियासी उहापोह के बीच राज्यपाल दिल्ली रवाना, सत्तापक्ष की धड़कनें तेज

Highlights राजभवन से मिली जानकारी के अनुसार, राज्यपाल निजी कारणों से दिल्ली गए हैंझारखंड के राज्यपाल दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कर सकते हैं मुलाकातसीएम सोरेन की सदस्यता को लेकर राज्यपाल दिल्ली से लौटकर अपने फैसले की कर सकते हैं घोषणा

रांची: झारखंड में जारी ड्रामा थमने का नाम नही ले रहा है। राज्य में जारी सियासी उहापोह के बीच झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस आज सुबह दिल्ली रवाना हो गए। इससे राज्य में सियासी सरगर्मी और बढ़ गई है। इस बात के भी कयास लगाये जाने लगे हैं कि राज्य कहीं राष्ट्रपति शासन की ओर तो नहीं बढ़ रहा है? यूपीए प्रतिनिधिमंडल ने गुरूवार को ही राज्यपाल से मिलकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता मामले में जल्द फैसला सुनाने का आग्रह किया था। राजभवन से मिली जानकारी के अनुसार, राज्यपाल निजी कारणों से दिल्ली गए हैं। 

इस बीच सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा ने कोर पकड़ ली है कि राज्यपाल दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा अन्य शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात कर सकते हैं। राज्यपाल झारखंड की वर्तमान राजनीतिक हालातों तथा हाल के दिनों में राज्य में बढ़ते अपराध के मामले की भी जानकारी दे सकते हैं। यह भी बता सकते हैं कि विधायक मारे-मारे फिर रहे हैं। 

हालांकि पिछले एक सप्ताह से चल रहे सैर-सपाटे और पिकनिक से बहुत सारे विधायक नाराज बताये जा रहे हैं। यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि इन विधायकों का गुस्सा कभी भी अपने ही नेतृत्व पर फूट सकता है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं तक को इसका अंदाजा हो गया है। इस सबके बीच सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर क्या होगा?

अब यह संभावना जताई जा रही है कि राज्यपाल हेमंत की सदस्यता पर पांच सितंबर को होनेवाले विधानसभा के विशेष सत्र से पहले भी निर्णय ले सकते हैं। म। निर्वाचन आयोग की अनुशंसा पर हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द होना तय है। 

हेमंत के चुनाव लड़ने से रोक पर अभी भी संशय बरकरार है, क्योंकि इसपर राज्यपाल को ही निर्णय लेना है। आयोग ने इसपर अपना कोई मंतव्य नहीं दिया है। चुनाव आयोग अगर हेमंत सोरेन और उनके छोटे भाई विधायक बसंत सोरेन की सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश होती तो भी गठबंधन सरकार को कोई दिक्कत नहीं है। कारण कि उनके पास 50 विधायकों का समर्थन है। 

उधर, भाजपा के पास मात्र 26 विधायक हैं। उसकी सहयोगी आजसू के दो विधायक हैं। इस तरह से इनकी संख्या 28 हो जाती है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा विधानमंडल दल के नेता बाबूलाल मरांडी की सदस्यता भी खतरे में है। भाजपा तभी सरकार बना सकती है, जब कांग्रेस के 12 विधायक टूटकर आएं अथवा झामुमो दो धड़ों में बंट जाए। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार फिलहाल सरकार बनाने की दिशा में कोई कसरत करते नहीं दिख रहे हैं।

Web Title: Jharkhand Crisis Governor Ramesh Bais Flies to Delhi

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