झारखंड: मुख्यमंत्री पद जाने के खौफ के बीच सीएम हेमंत सोरेन ने बुलाई यूपीए विधायकों की बैठक
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 26, 2022 02:01 PM2022-08-26T14:01:18+5:302022-08-26T14:06:14+5:30
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खनन-पट्टे के आवंटन के विवाद में चुनाव आयोग ने गवर्नर रमेश बैश से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत लाभ के पद के विषय में विधायक पद से अयोग्य घोषित करने की सिफारिश कर दी है।
रांची:झारखंड में सियासत तेजी से करवट ले रही है। मुख्यमंत्री पद जाने के भय से झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी प्रमुख हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कांग्रेस और राजद समेत सभी यूपीए विधायकों की बैठक बुलाई। संभावना जताई जा रही है कि सीएम सोरेन विधायकों के साथ ताजा राजनैतिक घटनाक्रम और मुख्यमंत्री पद छीनने की सभावना के बारे में चर्चा कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खनन-पट्टे के आवंटन के विवाद में चुनाव आयोग ने गवर्नर रमेश बैश से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत लाभ के पद के विषय में विधायक पद से अयोग्य घोषित करने की सिफारिश कर दी है।खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री सोरेन ने बीते गुरुवार को इस विवाद का ठीकरा विपक्षी भाजपा पर फोड़ते हुए आरोप लगाया कि केंद्र में सत्ताधारी भाजपा नेतत्व संवैधानिक साजिश करके उनकी सरकार को गिराना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरने ने कहा, "मेरे खिलाफ राजनीति हो रही है, आयोग भाजपा नेताओं की कठपुतली बनकर इस रिपोर्ट को तैयार किया है, जो सीलबंद लिफाफे में है।" उन्होंने कहा कि इस विषय में आधिकारिक तौर पर उनका किसी से कोई संवाद नहीं हुआ है। लेकिन खबरों के मुताबिक भाजपा उन्हें चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य किये जाने को आश्वस्त दिखाई दे रही है।
सोरेन के लिए खनन लीज विवाद तक गले की फांस बना जब फरवरी 2022 में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुवर दास ने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद राजधानी रांची के पास अपने नाम से खदान का आवंटन किया है। इस नाते वो लाभ के पद के दोषी हुए और उन्हें गवर्नर द्वारा विधानसभा से अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।
रघुबर दास ने इस मामले में राज्यपाल रमेश बैस को पत्र लिखा और उनके मुलाकात करते इस संबंध में एक्शन लेने की मांग की। जिसके बाद राज्यपाल रमेश बैश ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरने पर लगे आरोपों के संबंध में चुनाव आयोग से सलाह मांगी थी।
इस विवाद में चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को नोटिस जारी किया था और लंबी सुनवाई के बाद कथित तौर पर गुरुवार को झारखंड के गवर्नर रमेश बैस से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अयोग्य ठहराने के लिए अपनी सिफारिश भेज दी है।
मजे की बात यह है कि आयोग ने इस संबंध में अपनी सीलबंद सिफारिश जब राज्यपाल बैस को भेजी तो वो दिल्ली में ही मौजूद थे और आयोग की सिफारिश के बाद फौरन झाररखंड वापस लौट गये। राज्यपाल रमेश बैस के रांची लौटते ही भाजपा इस मामले में सीएम सोरेन पर हमलावर हो गई है और उनकी विधानसभा की सदस्यता खारिज करने की मांग कर रही है।
वहीं सीएम हेमंत सोरेन का आरोप है कि बीते 6 महीने से केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों के जरिये राज्य सरकार पर दबाव बना रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने आईएएस पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया, उसके बाद से ही राज्य के राजनैतिक हालात बेहद अस्थीर माने जा रहे थे।