झारखंड में सभी दल चुनावी मोड में, महागठबंधन के आकार पर संदेह के अब भी बादल, बन सकता है ये समीकरण

By एस पी सिन्हा | Updated: October 31, 2019 20:12 IST2019-10-31T20:10:54+5:302019-10-31T20:12:13+5:30

कांग्रेस नेता आलमगीर आलम ने कहा कि महागठबंधन के लिए लोकसभा चुनाव के समय हुए समझौते पर कांग्रेस अडिग है. सीट शेयरिंग का खाका भी तैयार हो गया है और जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी.

Jharkhand assembly election still doubts on grand alliance as jvm may not get included | झारखंड में सभी दल चुनावी मोड में, महागठबंधन के आकार पर संदेह के अब भी बादल, बन सकता है ये समीकरण

झारखंड में सभी दल चुनावी मोड में, महागठबंधन के आकार पर संदेह के अब भी बादल, बन सकता है ये समीकरण

झारखंड में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर झाविमो के बगैर महागठबंधन का रास्ता साफ होता दिख रहा है. लोकसभा चुनाव में महागठबंधन में शामिल बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा विधानसभा चुनाव में अलग राह पकडती दिख रही है. यह बात भी कहीं न कहीं स्पष्ट हो रही है कि मरांडी को हेमंत सोरेन का नेतृत्व स्वीकार नहीं है. दूसरी ओर, हेमंत भी झाविमो को साथ लेकर चलने के मूड में नहीं हैं. सबसे बड़ा खतरा यह है कि झाविमो के विधायक आसानी से भाजपा में चले जाते हैं और इससे विपक्ष कमजोर होता है.

हालांकि, इसके बाद भी झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के बीच महागठबंधन की डील के साथ ही सीटों को लेकर भी खींचतान शुरू हो गई है. सूत्रों के मुताबिक सीट शेयरिंग को लेकर झामुमो-44, कांग्रेस-27, राजद-5 और वाम दल-5 के फॉर्मूले पर बातचीत जारी है. 

कांग्रेस नेता आलमगीर आलम ने कहा कि महागठबंधन के लिए लोकसभा चुनाव के समय हुए समझौते पर कांग्रेस अडिग है. सीट शेयरिंग का खाका भी तैयार हो गया है और जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी. बतौर आलमगीर महागठबंधन में झाविमो के लिए जगह है, लेकिन ये तय बाबूलाल मरांडी को करना है कि वे महागठबंधन में रहना चाहते हैं या नहीं. 

इस बार वामदलों को भी महागठबंधन में शामिल किया जाएगा. दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन में ये तय हुआ था कि संसदीय चुनाव में कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका में रहेगा, जबकि विधानसभा चुनाव में झामुमो. विधानसभा चुनाव हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लड़ा जायेगा. लेकिन अब झाविमो को हेमंत सोरेन के नेतृत्व पर आपत्ति है. झाविमो चुनाव बाद नेतृत्व पर फैसला चाहता है. इस सबके बीच झाविमो ने अकेले मैदान में उतरने की तैयारी भी शुरू कर दी है. वहीण, झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने साफ किया है कि कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत कर आगे की रणनीति तय की जाएगी.

इधर, कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष इरफान अंसारी ने दल के तमाम वरिष्ठ नेताओं के लिए सीटों की वकालत की है. वे अपने पिता पूर्व सांसद फुरकान अंसारी को मधुपुर से चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं. हालांकि मधुपुर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की भी दावेदारी है. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि कांग्रेस के सभी सीनियर नेताओं को विधानसभा चुनाव लड़ाया जाए. वरीय नेताओं से राय-मशविरा कर ही टिकट का बंटवारा हो. 

मधुपुर विधानसभा सीट झामुमो नहीं  जीत सकता. हेमंत सोरेन को आगे आकर सही निर्णय लेना चाहिए. झारखंड में सीट बंटवारे में सभी वरिष्ठ नेताओं की राय ली जाएगी और अनुभव को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा. एक-एक सीट पर सभी सीनियर से बात करके ही पार्टी टिकट देगी. लोकसभा चुनाव में इस मसले पर चूक हुई थी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव 35 सीटों की मांग कर रहे हैं. यह भी तय है कि झामुमो 40 सीटों के आसपास अपना हिस्सा रखेगा. सीटों की संख्या को लेकर घोषणा चुनाव की अधिसूचना के बाद ही होगी. 

इस तरह अभी महागठबंधन के अंदर हीं किच-किच की स्थिती देखी जा रही है. सभी दल अपना डफली अपना राग वाली स्थिती में दिखाइ देते नजर आ रहे हैं. वहीं, विधायक अपनी टिकट की चाह में किसी भी दल का दामन थामने को बेताब दिख रहे हैं. महागठबंधन दलों में अभी भगदड की स्थिती बनी हुई है. ऐसे में सभी दल अपने विधायकों पर पैनी निगाहें बनाये हुए हैं. लेकिन जो स्थिती बनी हुई है, उससे यह साफ नजर आने लगा है कि झारखंड में सभी दल चुनावी मोड में पुरी तरह से चले गये हैं.

Web Title: Jharkhand assembly election still doubts on grand alliance as jvm may not get included

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