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पंजाब के जिस जेल में बंद थे जवाहर लाल नेहरू, बारिश के कारण वह गिरा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 18, 2019 18:55 IST

फरीदकोट के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजबचन सिंह संधू ने बताया कि उस ऐतिहासिक जेल के 240 वर्गफुट वाले कमरे की एक दीवार बुधवार को भारी बारिश के कारण गिर गयी। इस कमरे में नेहरू, के संथानम और ए टी गिडवानी को 22 सितंबर 1923 को बंद किया गया था।

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ठळक मुद्देअकालियों द्वारा बरतानिया हुकूमत के खिलाफ चलाये गए ‘जैतो का मोर्चा’ में हिस्सा लेने के लिए नेहरू और दो अन्य कांग्रेस नेता जैतो पहुंचे थे।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कमरे की स्थिति अच्छी नहीं थी और पिछले कुछ सालों से इसकी देख रेख के लिए कुछ नहीं किया गया था।

जैतो, 18 जुलाई (भाषा) पंजाब के फरीदकोट जिले के जैतो शहर में स्थित जेल के जिस प्रकोष्ठ में 1923 में जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस के दो अन्य नेता बंद थे, वह मूसलाधार बारिश की वजह से ध्वस्त हो गया।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान नेहरू और उनके सहयोगी निषेधाज्ञा की अवज्ञा के आरोप में कुछ समय के लिए वहां बंद रहे थे। दरअसल, नेहरू के तत्कालीन नाभा रियासत में प्रवेश पर पाबंदी थी जिसका उन्होंने उल्लंघन किया था।

फरीदकोट के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजबचन सिंह संधू ने बताया कि उस ऐतिहासिक जेल के 240 वर्गफुट वाले कमरे की एक दीवार बुधवार को भारी बारिश के कारण गिर गयी। इस कमरे में नेहरू, के संथानम और ए टी गिडवानी को 22 सितंबर 1923 को बंद किया गया था।

अकालियों द्वारा बरतानिया हुकूमत के खिलाफ चलाये गए ‘जैतो का मोर्चा’ में हिस्सा लेने के लिए नेहरू और दो अन्य कांग्रेस नेता जैतो पहुंचे थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कमरे की स्थिति अच्छी नहीं थी और पिछले कुछ सालों से इसकी देख रेख के लिए कुछ नहीं किया गया था।

मोर्चा का समर्थन करने संबधी एक प्रस्ताव 1923 में कांग्रेस में पास किया गया था, उसके बाद नेहरू यहां पहुंचे थे। नेहरू को दो अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ पार्टी ने राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी लेने के लिए यहां भेजा था । जेल में एक दिन रहने के बाद नेहरू समेत तीनों कांग्रेस नेताओं को नाभा जेल भेज दिया गया।

वर्ष 2008 में पंजाब दौरे के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 23 सितंबर को उस प्रकोष्ठ में गए थे जहां देश के पहले प्रधानमंत्री एक बार बंद हुए थे। यह प्रकोष्ठ जैतो पुलिस थाने के बगल में है। पंजाब कांग्रेस के महासचिव पवन गोयल ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस प्रकोष्ठ की देख रेख के लिए 65 लाख रुपये जारी किये थे। 

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