क्या जवाहर लाल नेहरू को लेकर आपकी जानकारी दुरुस्त है? जानें उनके बारे में फैलाए गए झूठ

By आदित्य द्विवेदी | Updated: November 14, 2018 11:32 IST2018-11-14T11:32:57+5:302018-11-14T11:32:57+5:30

जवाहर लाल नेहरू जयंती विशेषः कश्मीर मुद्दा हो या देश का बंटवारा... आजाद भारत के इतिहास की कमोबेश सभी समस्याओं के लिए जवाहर लाल नेहरू को खलनायक बनाए जाने का दुष्प्रचार हो रहा है। लेकिन क्या यही हकीकत है?

Jawaharlal Nehru birth anniversary special untold story, unknown facts about first prime minister | क्या जवाहर लाल नेहरू को लेकर आपकी जानकारी दुरुस्त है? जानें उनके बारे में फैलाए गए झूठ

जवाहर लाल नेहरू (फाइल फोटो)

'नेहरू के दादा गंगाधर का नाम ग्यासुद्दीन गाज़ी था लेकिन अंग्रेज सरकार के शिकंजे से बचने के लिए उन्होंने हिंदू नाम गंगाधर अपना लिया।'

'भारत में अंग्रेजी हुकूमत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी के साथ 'अंतरंग' संबंध थे।'

'जवाहर लाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद के एक वेश्यालय में हुआ था।'

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बारे में ऐसे तमाम दुष्प्रचार किए जाते रहे हैं। साल 2015 में तो जवाहर लाल नेहरू के विकीपीडिया पेज से भी छेड़छाड़ की गई और ये सारी जानकारियां डाल दी गई। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया था कि यह कथित छेड़छाड़ केंद्र सरकार के आईपी एड्रेस से हुई थी। हालांकि विकीपीडिया पेज से ये जानकारियां तो दुरुस्त कर ली गई लेकिन व्हाट्सऐप, फ़ेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसी भ्रामक सूचनाओं का अंबार लगा हुआ है। धीरे-धीरे ये कपोल कथाएं सोशल मीडिया और संघ की शाखाओं से निकलकर राजनीतिक मंचों पर भी कही जाने लगी हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि उनके बारे में फैले दुष्प्रचार की सच्चाई जानने की कोशिश की जाए।

नेहरू और पटेल में दुश्मनी?

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी इस बात को स्थापित करने में जी-जान से लगी हुई है कि नेहरू और पटेल के बीच दुश्मनी थी। दोनों में पद और सत्ता आदि को लेकर कोई मतभेद, महत्वाकांक्षा और टकराव थे। इस बात में कितनी सच्चाई है?

सभी सोचने-समझने वालों में विभिन्न मुद्दों पर मतभेद होते हैं लेकिन वैचारिक असहमि को मनभेद (परस्पर विरोध) की तरह पेश करना लोगों को गुमराह करने जैसा है। नेहरू और पटेल में कई मुद्दों पर मतभेद थे। वैसे ही जैसे गांधी और नेहरू के बीच, गांधी और सुभाष चंद्र बोस के बीच, गांधी और भगत सिंह के बीच और गांधी और डॉ बीआर आंबेडकर के बीच थे। लेकिन इन वैचारिक असहमतियों का यह अर्थ कत्तई नहीं है कि ये नेता एक दूसरे के दुश्मन थे। 

इनमें से कई राजनेताओं के गहरे राजनीतिक मतभेद थे लेकिन पटेल और नेहरू के बीच ऐसा कत्तई नहीं था। दोनों ही गांधी जी को अपना आदर्श मानते थे और दोनों ही कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता और नेता थे। आजादी के बाद पटेल लम्बा जीवन नहीं देख पाये लेकिन जीते-जी वो हमेशा जवाहरलाल नेहरू को अपना नेता मानते रहे। किसी भी राजनीतिक और सामाजिक समस्या से निपटने का नेहरू और पटेल का तरीका भिन्न था लेकिन यह दो व्यक्तियों के निजी नजरिये और स्वभाव के बीच का अंतर था न कि बुनियादी राजनीतिक मतभेद का। 

हमें यह नहीं भूलना चाहिए नेहरू और पटेल दोनों कांग्रेसी थे और दोनों का राजनीतिक मतभेद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), कम्युनिस्ट पार्टी और समाजवादी पार्टियों से था। यह पटेल ही थे जिन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था। 

नेहरू के दादा मुस्लिम थे?

यह सरासर झूठ है। सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार फैलाया जाता है कि नेहरू के दादा गंगाधर का नाम ग्यासुद्दीन गाज़ी था लेकिन अंग्रेज सरकार के शिकंजे से बचने के लिए उन्होंने हिंदू नाम गंगाधर अपना लिया। नेहरू के पुरखे कश्मीरी पंडित थे।

बीआर नन्दा की किताब "द नेहरूज़" में जवाहर लाल नेहरू की वंशावली का जिक्र है। जवाहरलाल के पूर्वजों का मूल उपनाम "कौल" था। मोतीलाल नेहरू के पुरखे कश्मीर से आकर दिल्ली में बसे थे। नेहरू के दादा गंगाधर 1857 विद्रोह के समय दिल्ली में एक पुलिस अधिकारी थे। इस परिवार ने कौल उपनाम की जगह नेहरू उपनाम कैसे अपनाया इस बारे में कई बातें कही जाती हैं। शशि थरूर की किताब 'नेहरू' के अनुसार जवाहरलाल के पुरखे एक नहर के बगल में रहते थे इसलिए उनके नाम के आगे नेहरू जुड़ गया। कुछ उसी तरह जैसे हरिवंश राय बच्चन के बेटे अमिताभ बच्चन ने अपने नाम से राय हटा दिया और उनके बाद उनके बेटे भी 'बच्चन' उपनाम करते हैं। 

इस वायरल फोटो की हकीकत?

इस तस्वीर को आपने अपने वाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया पर प्लेटफॉर्म पर देखा होगा। कैप्शन कुछ ऐसा कि अंग्रेजों से लोहा लेते हुए नेहरू। इसमें उनका चारित्रिक हनन करने की कोशिश की गई है। लेकिन सच्चाई ये नहीं है।

यह तस्वीर किसी अंग्रेज महिला की नहीं बल्कि एक भारतीय महिला की ही है। यह भारतीय महिला और कोई नहीं बल्कि नेहरू की भांजी नयनतारा सहगल हैं। नयनतारा सहगल जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की दूसरी बेटी हैं और अंग्रेजी की विख्यात लेखिका भी हैं जिन्होंने कई किताबें लिखी हैं।

नेहरू क्यों बन रहे हैं दुष्प्रचार का शिकार?

स्वाधीनता इतिहास का जिक्र होते ही भारतीय स्वयं सेवक संघ असहज स्थिति में आ जाती है जबकि गांधी, नेहरू और पटेल का जिक्र बड़े नायकों में किया जाता है। राष्ट्रपिता गांधी पर सीधा हमला करना शायद उचित नहीं लगता (हालांकि बैकडोर से उनके खिलाफ भी खूब दुष्प्रचार किया जाता है) इसलिए नेहरू और पटेल के बीच दुश्मनी दिखाना चाहते हैं। इसी वजह से पटेल को अपनाकर नेहरू को खलनायक के रूप में पेश करने की कोशिश की जाती रहती है।

वरिष्ठ संपादक आलोक श्रीवास्तव ने इन वजहों को अपने फेसबुक पेज पर अधिक स्पष्ट तरीके से अभिव्यक्त किया है। वो लिखते हैं, 'नेहरू के प्रधानमंत्री बनने से कैसे धन्ना सेठों, जमींदारों, पूंजिपतियों, राजे-राजवाड़ों, रियासतों के दीवानों, अधिकारियों में सनाका छा गया था। भारत का ब्रिटिश संरक्षण में रहने वाला यह ताकतवर वर्ग नए समाज के किसी भी स्वप्न का भीषण विरोधी था।'

आलोक श्रीवास्तव लिखते हैं, 'इस वर्ग ने नेहरू के समाजवादी विचारों से लड़ने के लिए आरएसएस, जनसंघ आदि तमाम सांप्रदायिक विचार वाले संगठनों को जमकर धन से मदद की, उसकी नींवों को मजबूत बनाया. यह भारतीय राजनीति का कोई दुर्लभ नहीं, बहुत ज्ञात तथ्य है, हां अब इस बात की भी जरूरत है कि इतने वर्षों बाद जो भी तथ्य, आंकड़े, साक्ष्य मिल सकें उसके जरिए भारत में प्रतिक्रियावादी राजनीति के शक्तिस्रोतों पर अनुसंधान हो और उसे मॉस लेबल पर प्रचारित किया जाए।'

English summary :
Jawaharlal Nehru Jayanti: Particularly Kashmir issue or division of the country ... For the more or less of the history of independent India, it is being propagated to make Jawaharlal Nehru a villain.


Web Title: Jawaharlal Nehru birth anniversary special untold story, unknown facts about first prime minister

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