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अगर मध्यस्थता से भी नहीं निकला राम मंदिर मुद्दे का समाधान तो बीजेपी के पास है 'बैक-अप प्लान'

By आदित्य द्विवेदी | Updated: March 8, 2019 11:46 IST

अगर मध्यस्थता से भी राम मंदिर मुद्दे का हल नहीं निकलता तो बीजेपी ने इस स्थिति के लिए 'प्लान 2.0' भी तैयार रखा है।

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के लिए मध्यस्थता से समाधान निकालने का आदेश दिया है।अगर मध्यस्थता से भी राम मंदिर मुद्दे का हल नहीं निकलता तो बीजेपी ने इस स्थिति के लिए 'प्लान 2.0' भी तैयार रखा है।

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के लिए मध्यस्थता से समाधान निकालने का आदेश दिया है। पीठ ने कहा कि आठ हफ्ते में मध्यस्थों की अपनी पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी होगी। इस प्रकरण में निर्मोही अखाड़ा के अलावा अन्य हिन्दू संगठनों ने इस विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजने के शीर्ष अदालत के सुझाव का विरोध किया था, जबकि मुस्लिम संगठनों ने इस विचार का समर्थन किया था। अगर मध्यस्थता से भी राम मंदिर मुद्दे का हल नहीं निकलता तो बीजेपी ने इस स्थिति के लिए 'प्लान 2.0' भी तैयार रखा है।

जनवरी में सरकार ने विवादित स्थल के आसपास 67 एकड़ अधिग्रहित भूमि को उनके मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगी है। केंद्र सरकार ने इस आवेदन में न्यायालय के 2003 के आदेश में सुधार का अनुरोध किया है। मोदी सरकार ने 33 पृष्ठों के आवेदन में 31 मार्च, 2003 के आदेश का जिक्र करते हुये मोदी सरकार ने कहा है कि शीर्ष अदालत ने विवादित भूमि तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश सीमित रखने की बजाय इस आदेश का विस्तार इसके आसपास की अधिग्रहित भूमि तक कर दिया था। मोदी सरकार के इस कदम को मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है।

क्या है पूरा मामला?

अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 से पहले 2.77 एकड़ के भूखंड के 0.313 एकड़ हिस्से में यह विवादित ढांचा मौजूद था जिसे कारसेवकों ने गिरा दिया था। इसके बाद देशभर में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे। सरकार ने 1993 में एक कानून के माध्यम से 2.77 एकड़ सहित 67.703 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी। इसमें रामजन्म भूमि न्यास उस 42 एकड़ भूमि का मालिक है जो विवादरहित थी और जिसका अधिग्रहण कर लिया गया था।

मोदी सरकार ने क्यों उठाया ये कदम

2014 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण का वादा किया था। अब मोदी सरकार का कार्यकाल पूरा होने को आया लेकिन अयोध्या में मंदिर निर्माण का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं दिखाई देता। आरएसएस समेत कई हिंदूवादी संगठन भी लगातार दबाव बना रहे हैं। ऐसे में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन किया है कि सिर्फ 0.313 एकड़ का भूखंड, जिस पर विवादित ढांचा था, भूमि का विवादित हिस्सा है। इसके अलावा 67 एकड़ अधिगृहीत जमीन को उनके मालिकों को सौंपने की अनुमति चाहता है। गौरतलब है कि इसमें रामजन्म भूमि न्यास उस 42 एकड़ भूमि का मालिक है जो विवादरहित थी और जिसका अधिग्रहण कर लिया गया था।

आगे क्या हो सकता है?

रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता से समाधान निकालने का आदेश दिया है। इसलिए फिलहाल सुप्रीम कोर्ट सरकार की अर्जी पर ज्यादा तवज्जो नहीं देगा। यदि ये अर्जी स्वीकार कर ली जाती है तो विवादित स्थल के आसपास की 42 एकड़ जमीन रामजन्मभूमि न्यास के पास चली जाएगी। इससे चुनाव से पहले ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू किया जा सकता है। इससे चुनाव में बीजेपी ताल ठोंक कर मंदिर निर्माण शुरू करने के दावे करेगी जिसका चुनावी लाभ पार्टी को मिल सकता है।

टॅग्स :राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामलाअयोध्या विवादराम मंदिरभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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