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जम्मू-कश्मीरः कुलगाम में सुरक्षाबलों की आतंकवादियों से मुठभेड़, दो आतंकी ढेर, ऑपरेशन जारी

By रामदीप मिश्रा | Updated: July 17, 2020 08:32 IST

नियंत्रण रेखा के पार लांचपैड पर 200-300 आतंकवादी हो सकते हैं। जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के निरसन के केंद्र के पांच अगस्त, 2019 के निर्णय के बाद से पाकिस्तान लोगों को उकसाने के लिए घाटी में अधिकाधिक आतंकवादियों को भेजने का प्रयत्न कर रहा है।

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच शुक्रवार की सुबह मुठभेड़ शुरू हो गई है। सुरक्षाबलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया है।

श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच शुक्रवार की सुबह मुठभेड़ शुरू हो गई है। इस बीच सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। उन्होंने दो आतंकवादियों को मार गिराया है। यह मुठभेड़ नागगढ़-चिम्मेर इलाके में चल रही है। मारे गए आतंकी की पहचान नहीं की जा सकी है। यह जानकारी कश्मीर जोन पुलिस ने दी है। 

बताया जा रहा है कि दोनों से फायरिंग हो रही है। सुरक्षाबलों को शक है कि कई आतंकी हो सकते हैं। खबर लिखे जाने तक आपरेशन जारी है। अधिक जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है 

इससे पहले 11 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के नौगाम सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करते हुए सेना ने दो आतंकवादियों को मार गिराया था। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लांच पैड पर करीब 300 आतंकवादी नियंत्रण रेखा के इस पार आने की ताक में हैं। सेना के बारामूला के 19 इंफैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल विरेंद्र वत्स ने बताया था कि घुसपैठ रोधी बाड़ को काटकर इलाके में घुसने की कोशिश कर रहे दो आतंकवादियों का सफाया करने के लिए सैनिकों ने उपयुक्त कार्रवाई की।

अगले तीन चार महीनों में बढ़ सकती है घुसपैठ

अधिकारी ने बताया था नियंत्रण रेखा के पार लांचपैड पर 200-300 आतंकवादी हो सकते हैं। जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के निरसन के केंद्र के पांच अगस्त, 2019 के निर्णय के बाद से पाकिस्तान लोगों को उकसाने के लिए घाटी में अधिकाधिक आतंकवादियों को भेजने का प्रयत्न कर रहा है लेकिन वह विफल रहा है। अगले तीन चार महीने में घुसपैठ बढ़ सकती है लेकिन सैनिक ऐसी सभी कोशिशों को विफल करने के लिए चौकन्ने हैं।  

'जम्मू कश्मीर में भागते फिर रहे हैं आतंकवादी'

वहीं, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह कह चुके हैं कि कश्मीर में सुरक्षाबलों द्वारा सरगर्मी से आतंकवादियों का पीछा किया जा रहा है जिससे वे अपनी जान बचाकर भागते फिर रहे हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति को अपनाने में स्पष्टता और दृढ़ता है। जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के 30 साल के इतिहास का यह अंतिम अध्याय है। आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिले डोडा और किश्तवाड़ अब आतंक से मुक्त हो चुके हैं।

टॅग्स :एनकाउंटरजम्मू कश्मीरआतंकवादी
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