जम्मू-कश्मीर: मानवाधिकार और महिला आयोग खत्म करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

By विनीत कुमार | Published: October 25, 2019 01:35 PM2019-10-25T13:35:43+5:302019-10-25T13:37:40+5:30

यह याचिका मुजफ्फर इकबाल खान की ओर से सुप्रीम कोर्ट में डाली गई है। इस याचिका में कहा गया है कि मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग और विधान परिषद को काम करने से रोका गया है।

Jammu Kashmir IA filed Supreme Court by Muzaffer Iqbal Khan, alleging Human Rights Women Commission abolished | जम्मू-कश्मीर: मानवाधिकार और महिला आयोग खत्म करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों को लेकर एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में (फाइल फोटो)

Highlightsजम्मू-कश्मीर से कई आयोग को खत्म करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकजम्मू-कश्मीर में 31 अक्टूबर से नये कानून होंगे लागू, मानवाधिकार सहित कई आयोग को खत्म करेगा प्रशासन

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाल कर कहा गया है कि मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग और विधान परिषद को जम्मू-कश्मीप में मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा खत्म कर दिया गया है। यह याचिका मुजफ्फर इकबाल खान की ओर से सुप्रीम कोर्ट में डाली गई है। इकाबल पेशे से वकील हैं। इकाबल ने याचिका डालकर अनुरोध किया है कि आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इन सभी संस्थानों को काम करने दिया जाए।

जम्मू-कश्मीर में 31 अक्टूबर से नये कानून लागू होने हैं। इसी से संबंधित जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने राज्य में कई आयोग को खत्म करने का आदेश दिया है। इसमें मानवाधिकार आयोग, महिला और बाल आयोग सहित और सूचना आयोग भी शामिल हैं। 

वहीं, विधान परिषद को पिछले हफ्ते भंग करने का फैसला किया गया था। राज्य को आधिकारिक रूप से 31 अक्टूबर की मध्यरात्रि दो केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित करने से कुछ दिन पहले विधान परिषद को भंग करने का ये आदेश जारी किया गया। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश होगा। आदेश के मुताबिक विधान परिषद में कार्यरत 116 कर्मियों को 22 अक्टूबर तक सामान्य प्रशासन विभाग को रिपोर्ट करने को कहा गया है। 


इसी साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाये जाने के बाद से ही कई तरह के प्रतिबंध राज्य में लगाये गये थे। हालांकि, अब इनमें धीरे-धीरे ढील दी जा रही है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई जारी है। कोर्ट ने गुरुवार (24 अक्टूबर) को भी जम्मू-कश्मीर प्रशासन से सवाल किया कि अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के बाद घाटी में इंटरनेट सेवा अवरूद्ध करने सहित लगाये प्रतिबंधों को कब तक प्रभावी रखने की उसकी मंशा है। 

कोर्ट ने कहा कि प्राधिकारी राष्ट्र हित में पाबंदियां लगा सकते हैं लेकिन समय-समय पर इनकी समीक्षा भी करनी होगी। कोर्ट घाटी में आवागमन और संचार व्यवस्था पर लगायी गयी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने केन्द्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि स्पष्ट जवाब के साथ आयें और इस मुद्दे से निबटने के दूसरे तरीके खोजें। 

Web Title: Jammu Kashmir IA filed Supreme Court by Muzaffer Iqbal Khan, alleging Human Rights Women Commission abolished

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे