हिरासत से रिहा होने के बाद उमर अब्दुल्ला बोले, आज मुझे एहसास हुआ कि हम जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे हैं

By रामदीप मिश्रा | Published: March 24, 2020 02:13 PM2020-03-24T14:13:26+5:302020-03-24T14:26:28+5:30

उमर अब्दुल्ला पर जनसुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत लगाए गए आरोप हटाए जाने के बाद रिहाई के आदेश जारी किए गए। गत 10 मार्च को 50 साल के हुए अब्दुल्ला ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद, 232 दिन हिरासत में गुजारे।

Jammu kashmir: I realise that we are fighting a war of life and death says Omar Abdullah | हिरासत से रिहा होने के बाद उमर अब्दुल्ला बोले, आज मुझे एहसास हुआ कि हम जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे हैं

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला रिहा। (फोटोः एएनआई)

Highlightsजम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लगभग आठ महीने बाद मंगलवार (24 मार्च) को हिरासत से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद उनका पहला बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि उन्हें एहसास हुआ कि वह जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे हैं।

श्री नगरः जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लगभग आठ महीने बाद मंगलवार (24 मार्च) को हिरासत से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद उनका पहला बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि उन्हें एहसास हुआ कि वह जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे हैं। अब्दुल्ला रिहाई के बाद अपने घर के लिए रवाना हो गए।

समाचार एजेंसी के अनुसाक, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'आज, मुझे एहसास हुआ कि हम जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारे सभी लोग जिन्हें हिरासत में लिया गया है, उन्हें इस समय रिहा किया जाना चाहिए। हमें कोरोन वायरस से लड़ने के लिए सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए।'

उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'जिस तरह से जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों में टूटा, कैसे बच्चे महीनों तक स्कूल नहीं जा सके, दुकानदारों की कमाई नहीं हुई, शिकारा मालिकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा, मैं इस बारे में वर्तमान स्थिति के गुजरने के बाद बात करूंगा कि 5 अगस्त 2019 से क्या हुआ?'


बता दें, उमर अब्दुल्ला पर जनसुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत लगाए गए आरोप हटाए जाने के बाद रिहाई के आदेश जारी किए गए। गत 10 मार्च को 50 साल के हुए अब्दुल्ला ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद, 232 दिन हिरासत में गुजारे। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को पूर्व में एहतियातन हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में पांच फरवरी को उन पर पीएसए लगा दिया गया था।

बीते दिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनेन मसूदी ने केंद्र सरकार से जम्मू कश्मीर में और केंद्र शासित प्रदेश से बाहर हिरासत में रखे गए लोगों को रिहा करने की मांग की थी। मसूदी ने कहा था कि जेलें क्षमता से अधिक भरी हुई हैं और यह कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सामाजिक दूरी बनाने के विपरीत है। 

दक्षिण कश्मीर से लोकसभा सदस्य ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में कहा था, 'अंबेडकर नगर, आगरा, तिहाड़ और जम्मू कश्मीर के बाहर की अन्य जेलों में जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में रखे गए सैकड़ों लोगों की दुर्दशा की तरफ आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं।' 

उन्होंने कहा था कि इन लोगों को बिना आरोप और मुकदमे के मात्र शक के आधार पर हिरासत में रखा गया है, उन्हें रिहा किए जाने की जरूरत है। कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन और यात्रा तथा यातायात पर रोक लगाई गई है, ऐसे में हिरासत में रखे गए लोगों को रिश्तेदारों के लिए इतनी दूर उनसे मिलने जाना नामुमकिन है। 

Web Title: Jammu kashmir: I realise that we are fighting a war of life and death says Omar Abdullah

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