500 कर्मियों के साथ ‘दरबार मूव’ की परंपरा जारी रहेगी, कल से सर्दियों के लिए जम्मू में कामकाज संभालेंगे कुछ कार्यालय

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: November 7, 2021 15:31 IST2021-11-07T15:26:59+5:302021-11-07T15:31:36+5:30

जम्मू सचिवालय में पिछले छह महीने से जम्मू आधारित कर्मचारी कामकाज देख रहे थे। दोनों नागरिक सचिवालयों के कर्मचारियों की संख्या करीब 2900 है।

jammu kashmir darbar move winter ut offices | 500 कर्मियों के साथ ‘दरबार मूव’ की परंपरा जारी रहेगी, कल से सर्दियों के लिए जम्मू में कामकाज संभालेंगे कुछ कार्यालय

500 कर्मियों के साथ ‘दरबार मूव’ की परंपरा जारी रहेगी, कल से सर्दियों के लिए जम्मू में कामकाज संभालेंगे कुछ कार्यालय

Highlights150 साल पुरानी ‘दरबार मूव’ की परंपरा गैर-सरकारी तौर जारी रहेगी.पांच सौ के करीब कर्मी दोनों राजधानियों में आते-जाते रहेंगें।दोनों नागरिक सचिवालयों के कर्मचारियों की संख्या करीब 2900 है।

जम्मू: जम्मू के व्यापारिक वर्ग के विरोध के बावजूद 150 साल पुरानी जिस ‘दरबार मूव’ की परंपरा को आधिकारिक तौर पर इस बार से ‘बंद’ किया जा रहा है, उसके प्रति सच्चाई यह है कि यह गैर-सरकारी तौर पर 500 कर्मियों के साथ फिलहाल जारी रहेगा।

यह पांच सौ के करीब कर्मी उपराज्यपाल, मुख्य सचिव और वित्त विभाग के वित्त आयुक्त, सामान्य प्रशासनिक विभाग के आयुक्त सचिव के कार्यालयों में लिप्त कर्मी हैं जो दोनों राजधानियों में आते-जाते रहेंगें।

यही नहीं सरकार ने बैकफुट पर जाते हुए दरबार से जुड़े उन कर्मियों को फिर से आवास आबंटित कर दिए हैं जो जम्मू व श्रीनगर के राजधानी शहरों में आते जाते रहेंगें।

जम्मू सचिवालय में पिछले छह महीने से जम्मू आधारित कर्मचारी कामकाज देख रहे थे। दोनों नागरिक सचिवालयों के कर्मचारियों की संख्या करीब 2900 है।

इनमें जम्मू सचिवालय के कर्मचारियों की संख्या करीब 1300 और कश्मीर के कर्मचारियों की संख्या 1600 के करीब है। जम्मू के कर्मचारियों में अधिकतर नान गजटेड हैं।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार दरबार मूव की परंपरा बंद होने के बाद मई से अक्टूबर तक उपराज्यपाल, मुख्य सचिव व वित्त विभाग के वित्त आयुक्त और सामान्य प्रशासनिक विभाग के आयुक्त सचिव ने ज्यादातर श्रीनगर से कामकाज की बागडोर संभाले हुई थी।

अब नवंबर से अप्रैल तक ये लोग जम्मू से कामकाज देखेंगे, लेकिन श्रीनगर में भी इनके नियमित दौरे होते रहा करेंगे। कल से जम्मू में कुछ विभागों के साथ ‘दरबार मूव’ की परंपरा आरंभ तो होगी पर इस बार इसे ‘दरबार मूव’ का नाम नहीं दिया जा रहा है।

ऐसे में उपराज्यपाल के जम्मू में कामकाज संभालने लायक व्यवस्था बनाने के लिए जरूरत के हिसाब से कर्मचारियों को अन्य विभागों व कश्मीर से भी बुलाया गया है।

सामान्य प्रशासनिक विभाग के आयुक्त सचिव मनोज कुुमार द्विवेदी का कहना है कि दोनों नागरिक सचिवालयों में सुचारु रूप से कामकाज करने लायक व्यवस्था बनाई गई है।

इतना जरूर था कि ‘दरबार मूव’ की परंपरा को बंद करने का समर्थन मात्र मुट्ठीभर उन लोगों द्वारा ही किया जा रहा है जो एक राजनीतिक दल विशेष से जुड़े हुए हैं जबकि जम्मू का व्यापारी वर्ग इससे दुखी इसलिए है क्योंकि इतने सालों से कश्मीर से दरबार के साथ सर्दियों में जम्मू आने वाले लाखों लोगों पर उनका व्यापार निर्भर रहता था। जो अब उनसे छिन गया है।

क्या था दरबार मूव?

जम्मू कश्मीर में दरबार मूव की शुरूआत महाराजा रणवीर सिंह ने 1872 में बेहतर शासन के लिए की थी। कश्मीर, जम्मू से करीब 300 किमी दूरी पर था, ऐसे में डोगरा शासक ने यह व्यवस्था बनाई कि दरबार गर्मियों में कश्मीर व सर्दियों में जम्मू में रहेगा।

19वीं शताब्दी में दरबार को 300 किमी दूर ले जाना एक जटिल प्रक्रिया थी व यातायात के कम साधन होने के कारण इसमें काफी समय लगता था। अप्रैल महीने में जम्मू में गर्मी शुरू होते ही महाराजा का काफिला श्रीनगर के लिए निकल पड़ता था।

महाराजा का दरबार अक्टूबर महीने तक कश्मीर में ही रहता था। जम्मू से कश्मीर की दूरी को देखते हुए डोगरा शासकों ने शासन को ही कश्मीर तक ले जाने की व्यवस्था को वर्ष 1947 तक बदस्तूर जारी रखा।

जब 26 अक्टूबर 1947 को राज्य का देश के साथ विलय हुआ तो राज्य सरकार ने कई पुरानी व्यवस्थाएं बदल ले लेकिन दरबार मूव जारी रखा।  

राज्य में 148 साल पुरानी यह व्यवस्था आज भी जारी है। दरबार को अपने आधार क्षेत्र में ले जाना कश्मीर केंद्रित सरकारों को सूट करता था, इस लिए इस व्यवस्था में कोई बदलाव नही लाया गया था।

Web Title: jammu kashmir darbar move winter ut offices

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