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जम्मू-कश्मीर: एलओसी के साधना टॉप पर आफत बनी बर्फबारी, सेना की कई चौकियां बर्फ में दबी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: February 2, 2023 13:03 IST

अधिकारियों का मानना था कि तारबंदी पाक सेना के लिए परेशानी का सबब इसलिए बन चुकी है क्योंकि इसने आतंकियों के कदमों को रोका है। अक्सर पकड़े गए आतंकी पूछताछ के दौरान रहस्योदघाटन करते हैं कि उस पार प्रशिक्षण शिविरों में गोला-बारूद दागने के अतिरिक्त तारबंदी को फांदने और उसे काटने के तरीके भी सिखाए जाते हैं।

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर में एलओसी लाइन पर बर्फबारी से मुश्किलें बढ़ी। बर्फबारी के कारण सेना को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बर्फबारी में सीमा पर जो तारबंदी की जाती है उसके खराब होने से खतरा बढ़ जाता है।

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में भारत-पाकिस्तान को बांटने वाली लाइन ऑफ कंट्रोल पर स्थित साधना टॉप पर इस बार 10 से 12 फुट की बर्फ ने सेना के लिए परेशानी पैदा कर दी है। करनाह सेक्टर में करीब 11000 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस सेक्टर में सेना की कई फारवर्ड सीमा चौकियां बर्फ के नीचे दब तो गई हैं। मगर किसी प्रकार का कोई जान माल की हानि की खबर नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि तारबंदी को हर साल की तरह इस बार भी भारी नुकसान हुआ है।

यह सच है कि कश्मीर के पहाड़ों पर हुई जबरदस्त बर्फबारी ने एलओसी के कई इलाकों में भयानक तबाही भी मचाई है। खासकर सैन्य प्रतिष्ठान और सैनिक इसके शिकार हुए हैं। घुसपैठियों को रोकने की खातिर लगाई गई तारबंदी भी कई स्थानों पर ढह गई है जिस कारण सेना को मौसम की भयानक परिस्थितियों में चौकसी और सतर्कता को बढ़ाना पड़ा है।

बर्फबारी ने उस तारबंदी को बुरी तरह से कई इलाकों में क्षतिग्रस्त कर दिया है जो पाकिस्तानी क्षेत्र से होने वाली घुसपैठ को रोकने के लिए लगाई गई थी। हालांकि, यह कोई पहला अवसर नहीं है जब तारबंदी को बर्फबारी ने क्षति पहुंचाई हो, बल्कि हर साल होने वाली बर्फबारी तारबंदी को नुकसान पहुंचाती है। इसके बाद सेना के जवान उसे नए सिरे से खड़ा करते हैं।

सेना सूत्रों का कहना है कि फिलहाल इसके प्रति अंदाजा लगाना कठिन है कि तारबंदी के कितने किलोमीटर के हिस्से को क्षति पहुंची है क्योंकि एलओसी के ऊंचाई वाले कई इलाकों में फिलहाल बर्फबारी रूकी नहीं है और वहां तक सेना के जवान पहुंचने में कामयाब नहीं हुए है।

बर्फबारी के कारण क्षतिग्रस्त हुई तारबंदी सेना के लिए हर बार की तरह मुसीबत इसलिए बन गई है क्योंकि हर बार उसका यह अनुभव रहा है कि आतंकी टूटी हुई तारबंदी का सहारा लेकर घुसने की कोशिश करते हैं। इसी तारबंदी के क्षतिग्रस्त होने के बाद सेना को एलओसी पर चौकसी तथा सतर्कता को और बढ़ाना पड़ता है। हमेशा से ही पाक सेना इन्हीं परिस्थितियों का लाभ उठाने की कोशिश करती रही है।

यह भी एक कड़वा सच है कि भारी बर्फबारी के बावजूद सेना एलओसी की उन पोस्टों से अपने जवानों को हटाने को तैयार नहीं होती है, जो 8 से 10 फुट बर्फ के नीचे दब गई हैं। रक्षा प्रवक्ता का कहना है कि असल में तारबंदी भी बर्फ के नीचे दफन हो गई है और इन पोस्टों से सैनिकों को हटा लिए जाने का मतलब साफ होता कि घुसपैठियों को कश्मीर की एलओसी पर दूसरा करगिल प्रकरण तैयार करने का मौका प्रदान करना।

अधिकारियों का मानना था कि तारबंदी पाक सेना के लिए परेशानी का सबब इसलिए बन चुकी है क्योंकि इसने आतंकियों के कदमों को रोका है। अक्सर पकड़े गए आतंकी पूछताछ के दौरान रहस्योदघाटन करते हैं कि उस पार प्रशिक्षण शिविरों में गोला-बारूद दागने के अतिरिक्त तारबंदी को फांदने और उसे काटने के तरीके भी सिखाए जाते हैं। वहीं, मारे गए आतंकियों के कब्जे से ऐसे औजार अक्सर बरामद किए गए हैं जो तारबंदी को काटने में काम आते हैं। इसे गैर सरकारी तौर पर माना जाता रहा है कि आतंकी कई बार तारबंदी को काट घुसपैठ करने में कामयाब रहे हैं।

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