जम्मू-कश्मीरः महबूबा मुफ्ती ने फिर दी मोदी सरकार को चेतावनी, संविधान संशोधन लागू करने के खिलाफ जाएंगे कोर्ट
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 2, 2019 11:15 IST2019-03-02T09:07:08+5:302019-03-02T11:15:56+5:30
महबूबा मुफ्ती ने केंद्र की मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि कश्मीर के लोगों को मजबूर क्यों किया जा रहा है.

महबूबा मुफ्ती और ओमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो)
श्रीनगर, 1 मार्च: नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने कहा कि वे जम्मू-कश्मीर में किसी निर्वाचित सरकार के अभाव में भारतीय संविधान के 77वें एवं 103वें संशोधन को राज्य में लागू करने के केंद्र के निर्णय के खिलाफ अदालत का रुख करने पर विचार कर रहे हैं. दोनों पार्टियों ने यह प्रतिक्रिया उस वक्त जाहिर की जब केंद्र सरकार ने गुरुवार को उस अध्यादेश को मंजूरी दी जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जातियों (एससी) एवं अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को आरक्षण का लाभ दिए जाने का प्रावधान है.
राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के एक प्रावधान में संशोधन कर यह व्यवस्था की गई. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, ''इससे राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 की धारा (1) के अंतर्गत जारी संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू होने के लिए) संशोधन आदेश, 2019 द्वारा संविधान (77वां संशोधन) अधिनियम,1955 तथा संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम,2019 से संशोधित भारत के संविधान के प्रासंगिक प्रावधान लागू होंगे.
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ''अनुच्छेद 370 यह प्रावधान करता है कि तीन विषयों के तहत नहीं आने वाले किसी संवैधानिक प्रावधान को राज्य में लागू करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की सहमति जरूरी है.'' उमर ने कहा कि उनकी पार्टी वरिष्ठ वकीलों से चर्चा कर देखेगी कि इस फैसले को अदालत में कैसे चुनौती दी जा सकती है. उन्होंने ट्वीट किया, ''सरकार का मतलब होता है निर्वाचित सरकार. राष्ट्रपति राज्यपाल की सहमति नहीं मांग सकते, क्योंकि वह राष्ट्रपति के प्रतिनिधि या एजेंट होते हैं. यह वहां भी लागू होता है जहां सिर्फ सहमति की जरूरत होती है.''
उमर ने कहा, ''यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस कल वरिष्ठ वकीलों से संपर्क करेगी ताकि देखा जा सके कि हम इस असंवैधानिक आदेश को अदालत में चुनौती देने के लिए कौन सा सर्वश्रेष्ठ कदम उठा सकते हैं.'' पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, ''स्पष्ट तौर पर राज्यपाल के पद का इस्तेमाल करना राज्य को कमजोर करने का एक दुर्भावनापूर्ण कदम प्रतीत होता है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पूरा राज्य भारत सरकार के इस आपराधिक एवं अवैध कदम के खिलाफ लड़ाई लड़ेगा.''
उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि कश्मीर के लोगों को मजबूर क्यों किया जा रहा है. मुफ्ती ने एक ट्वीट में कहा, ''भारत सरकार आग में घी डालने और हालात को काबू से बाहर जाने देने पर क्यों तुली है? कश्मीरियों को मजबूर क्यों किया जा रहा है? पीडीपी इस लड़ाई को अदालतों में पूरी मजबूती से लड़ने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ काम करने के लिए तैयार है.''