स्पेशल रिपोर्टः चीनी सेना घुसपैठ, करगिल युद्ध ही नहीं कई मामलों में रोमांचकारी पर्यटन स्थल, बर्फीला रेगिस्तान लद्दाख के बारे में जानें

By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 15, 2020 04:24 PM2020-06-15T16:24:21+5:302020-06-15T16:24:21+5:30

सरकारी आंकड़ों के बकौल रोमांच का आनंद पाने की चाह अब देश के पर्यटन प्रेमियों में भी उतनी ही है जितनी की विदेशियों में है। आंकड़ों की बात करें तो पिछले साल ही सवा दो लाख से अधिक पर्यटक लद्दाख आए थे तो 2018 में यह संख्या 3.27 लाख थी। इनमें एक लाख से अधिेक विदेशी नागरिक भी थे।

Jammu and Kashmir Ladakh Chinese army intrusion Kargil war tourist destination ice desert | स्पेशल रिपोर्टः चीनी सेना घुसपैठ, करगिल युद्ध ही नहीं कई मामलों में रोमांचकारी पर्यटन स्थल, बर्फीला रेगिस्तान लद्दाख के बारे में जानें

खास बात इस पर्यटन स्थल के दौरे की यह है कि इसका दौरा करना आम स्वदेशी के बस की बात नहीं है। (file photo)

Highlightsअसल में लद्दाख के पश्चिम में स्थित हिमालय पर्वतमालाओं की सुरम्य घाटियां और पर्वत ही विदेशियों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक प्रतिबंधित क्षेत्र में आती थीं लेकिन आज उनकी सैर करना लद्दाख के दौरे के दौरान एक अहम अंग बन जाती है।कुछ समय तक उसका करीब 20 किमी का भाग सीधे पाक तोपों की मार में होने से यह किसी मौत से कम नहीं माना जाता था।

जम्मूः बर्फीला रेगिस्तान लद्दाख सिर्फ चीनी सेना की घुसपैठ या फिर करगिल युद्ध के लिए ही नहीं जाना जाता है बल्कि उन सभी के लिए रोमांचकारी पर्यटनस्थल के रूप में भी उभरा है, जो जीवन में रोमांच के साथ पर्यटन का आनंद लेने की इच्छा रखते हैं।

सरकारी आंकड़ों के बकौल रोमांच का आनंद पाने की चाह अब देश के पर्यटन प्रेमियों में भी उतनी ही है जितनी की विदेशियों में है। आंकड़ों की बात करें तो पिछले साल ही सवा दो लाख से अधिक पर्यटक लद्दाख आए थे तो 2018 में यह संख्या 3.27 लाख थी। इनमें एक लाख से अधिेक विदेशी नागरिक भी थे।

असल में लद्दाख के पश्चिम में स्थित हिमालय पर्वतमालाओं की सुरम्य घाटियां और पर्वत ही विदेशियों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। लद्दाख के पूर्व में स्थित विश्व की सबसे बड़ी दो झीलें-पैंगांग व सो-मोरारी-भी इन विदेशियों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं जो कुछ वर्ष पूर्व तक प्रतिबंधित क्षेत्र में आती थीं लेकिन आज उनकी सैर करना लद्दाख के दौरे के दौरान एक अहम अंग बन जाती है।

इसके एक नए पर्यटनस्थल के रूप में उभरने के बावजूद भी एक पर्यटनस्थल के लिए जिस ढांचे और व्यवस्थाओं की आवश्यकता होती है उसकी आज भी लद्दाख में कमी है। जहां तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग भी है जिसकी यात्रा अत्याधिक रोमांचकारी तो है ही लेकिन कुछ समय तक उसका करीब 20 किमी का भाग सीधे पाक तोपों की मार में होने से यह किसी मौत से कम नहीं माना जाता था।

दौरा करना आम स्वदेशी के बस की बात नहीं है

एक खास बात इस पर्यटन स्थल के दौरे की यह है कि इसका दौरा करना आम स्वदेशी के बस की बात नहीं है। एक तो सड़क मार्ग की यात्रा भी महंगी होने व होटलों व अन्य प्रकार के मदों पर होने वाला खर्चा भी बहुत अधिक होने के परिणामस्वरूप एक आम आदमी इसके दौरे पर नहीं आ सकता। पिछले कुछ सालों के भीतर आने वाले पर्यटकों के आंकड़ें इस बात की पुष्टि करते हैं कि इन सालों में वही स्वदेशी लद्दाख के दौरे पर आए थे जो सुविधा संपन्न परिवारों के थे।

माना कि लद्दाख आज विदेशियों के लिए एक रोमांचकारी पर्यटनस्थल बना है लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि लद्दाख की कला और संस्कृति का दोहन और बलात्कार आज इन्हीं विदेशियों द्वारा किया जा रहा है जिनकी संस्कृति को अपनाने वाले आम लद्दाखी अपनी सभ्यता और संस्कृति को भुलाते जा रहे हैं। जब लद्दाख को विदेशियों के आवागमन के लिए खोला गया था तो कोई भी लद्दाखी बाहरी दुनिया के प्रति जानकारी नहीं रखता था और आज विदेशी संस्कृति का इतना गहन प्रभाव है इस पर कि जिस लद्दाखी संस्कृति के दर्शानार्थ विदेशी आते हैं उन्हें वह दिखती ही नहीं है।

बौद्ध मंदिरों तथा अन्य एतिहासिक धरोहरों को भी खतरा पैदा कर दिया है

इस सांस्कृतिक घुसपैठ ने न सिर्फ स्थानीय संस्कृति व सभ्यता को ही खतरे में नहीं डाला है बल्कि उन बौद्ध मंदिरों तथा अन्य एतिहासिक धरोहरों को भी खतरा पैदा कर दिया है जो लद्दाख की पहचान माने जाते हैं। इतना ही नहीं विदेशियों के आवागमन ने देश की सुरक्षा पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी जानते हैं कि यह क्षेत्र दो ओर से-पाकिस्तान तथा चीन की-सीमाओं से घिरा हुआ है। इनमें से पाक सीमा ऐसी है जो कई साल पहले तक हमेशा आग उगलती रहती थी। जबकि विश्व के सबसे ऊंचे युद्धस्थल सियाचिन का आधार शिविर भी लेह ही है।

इन सबके बावजूद लद्दाख को एक नए रोमांचकारी पर्यटनस्थल के रूप में ही नहीं बल्कि पारिस्थितिकी पर्यटन के रूप में भी पेश किया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्यांेकि पेड़-पौधों के अतिरिक्त कई कीमती व दुर्लभ जीव आज तस्करी के माध्यम बने हुए हैं। यही नहीं एतिहासिक धरोहरों आदि को बचाने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है जो आने वाले हजारों पर्यटकों के कारण खतरे में पड़ती जा रही हैं।

Web Title: Jammu and Kashmir Ladakh Chinese army intrusion Kargil war tourist destination ice desert

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